सामाजिक संस्था धाद के हरेला मार्च में उत्तराखण्ड के उजड़ते हुए गाँव और शहरीकरण के कारण काट रहे पेड़ों को लेकर की चिंता जाहिर

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उत्तराखण्ड में निरंतर उजाड़ रहे गाँव और बंजर होती खेती के साथ शहरों में काट रहे पेड़ों के सवाल के साथ धाद ने हरेला स्वागत मार्च निकाला। मार्च गाँधी पार्क एक सामने पिलखन के पेड़ से प्रारम्भ होकर घंटाघर पीपल के पेड़ से होते हुए कनाट प्लेस पहुँचा। मार्च में शैहर के प्रमुख गणमान्य नागरिकों ने हिस्सा लिआया और अपनी चिंता जाहिर की। पारम्परिक ढोल दमाऊ के साथ शांति बिंजोला  सुनीता बहुगुणा की थाप पर लोगों ने हर्ष उल्लास के साथ हरेला का स्वागत किया। 

पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल लोकगायिका रेखा उनियाल और साथियो ने पारम्परिक हरेला गीतों के साथ प्रस्तुति दी  सुनो हरेला का सन्देश  हरा भरा हो मेरा देश, क्या है जंगल के उपकार मिटटी पानी और बयार,चप्पा चप्पा हरा करेंगे हरियाली से धरा भरेंगे के नारों के साथ मार्च कनाट प्लेस पहुंचा जहाँ हाल ही में सड़क चौड़ीकरण के चलते काटे गए पेड़ों के संग  लोगों ने एकत्र होकर सभा की सभा को स्वागत सम्बोधन  करते हुए धाद के उपाध्यक्ष डी.सी नौटियाल ने कहा क्या जो हरियाली हमारे इर्द गिर्द है। वो सुरक्षित है य विकास का नया मॉडल में सबसे पेहले उसे ही ख़त्म करेगा दूसरा जिस पहाड़ की धरती का ये उत्सव है। अगर वहां के गाँव खेती वीरान हो रही है,तो उसकी चिंता और सवाल भी करने होंगे वर्ना अगली पीढ़ी यह उत्सव कैसे मनाएगी आज का मार्च दो जिम्मेदारियों के साथ है। एक हम अपने स्तर पर पेड़ लगाने बचाने के लिए लोगों को लगतार बोल रहे है और हम हरेला वन के साथ अपनी पूरी क्षमता के साथ इस जिम्मेदारी को निभा भी रहे हैं।

दूसरा हम जो हरेला के साथ आज चिंताए खड़ी हो रही है उनको सबसे कहना चाहते हैसमाजिक कार्यकर्त्ता अनूप नौटियाल ने कहा की प्रदेश में पर्यावरण को लेकर जो मौजुदा तंत्र की अनदेखी है। वो साफ़ दिखाई देती है हाल ही में खनन के चलते पल का टूटना हो या आल वेदर रोड के किनारों का कटान हर जगह यह लापरवाहि नजर आती है। इसलिए इस चौतरफा लूट के खिलाफ आम जनता की संवेदनशीलता को जगाने की जरुरत है ।

बीजू नेगी ने कहा कि हरेला धरती को,प्रकृति को सजाकर,  बचाकर रखने का त्यौहार है I यह हमे हमारी मानवीय जिम्मेदारी का एहसास दिलाता है I इसे हम खेती से भी जोड़ते है तथा सृष्टि की विविधता को स्वीकारने की भी बात होती हैI लेकिन मैं यह भी कहना चाहूँगा कि इस पर एक दिन बात करने से फर्क़ नहीं पड़ेगाI  आज के ये भी निश्चित करे कि हमारी क्या भूमिका है ।

प्रकृति को बचाने मे पर्यवरणा कार्यकर्त्ता आशीष गर्ग देहरादून मे विकास के नाम पर पेड़ धड़ल्ले से काटे जा रहे हैI कई प्रयासों और प्रदर्शन के बाद भी पेड़ों का कटान नहीं रुक रहा हैI उन्होंने धाद के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे कई और प्रयास किए जाने की जरूरत हैI हरेला एक जन आंदोलन बनेगा तभी देहरादून में हरियाली लौटेगीI सभा को समाजिक कार्यकर्त्ता कपिल डोभाल,सी ऍफ़ जे डी  के अनीस,भूगर्भशःस्त्री उत्तम सिंह रावत,लक्ष्मी मिश्रा ने भी सम्बोधित किया।

 इस अवसर पर विजय जुयाल,विनय आनंद बौड़ाई,उत्तम सिंह रावत,शिव प्रकाश जोशी,टी आर बरमोला,विजेंद्र सिंह रावत,दीपा कौशलम,फैजी,सुदीप जुगरान,कैलाश कंडवाल,सुशील पुरोहित,राकेश उनियाल,विकास मित्तल,मोहन सिंह चौहान,वीरेंद्र खंडूरी,सी वी शुक्ला,हिमांशु आहूजा,गणेश उनियाल,मीनाक्षी जुयाल,मीना जोशी,मनीषा ममगाईं,नीलिमा धूलिया,मोहन सिंह रावत,दयानंद डोभाल,सिद्धि डोभाल,पुष्प लता ममगाईं,ज्योति जोशी,आशा डोभाल,सुरेश कुकरेती,कुसुम पंत,विनीता मैठाणी,रतन अमोली,शांति बिंजोला,विकास बहुगुणा,साकेत रावत,किसन सिंह,मनोहर लाल,राजीव पांथरी,अनूप नौटियाल,जया सिंह,अनीस,रश्मि,बीजू नेगी,तन्मय ममगाईं,कल्पना बहुगुणा,तपस्या सती,सुनीता बहुगुणा,कनकलता सेमवाल, कल्पना बिष्ट,भूपेन्द्र रावत,प्रभाकर देवरानी,डा.जयंत नवानी,अर्चना नौटियाल,अनुव्रत नवानी,वीना कंडवाल,वीना कंडारी,कीर्ति भंडारी,राजेश्वरी सेमवाल,मनोरमा शर्मा,इंदूभूषण सकलानी,अरुण थपलियाल,रितिका त्यागी,आकांक्षा,सौरभ,स्वाति,डा.विद्या सिंह उपस्थित रहे।