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पहाड़ की माटी से जुड़ी ख़बरें’,उत्तराखंड की लोक संस्कृति,लोक परंपराओं और लोक धरोहर के संरक्षण के लिए एक छोटा सा योगदान देने के लिए हमने ‘संवाद जाह्नवी’ वेबसाइट की शुरूआत की है।

आज के इस दौर में पत्रकारिता के पटल पर खास तौर पर उत्तराखंड की ज़मीन पर बहुत कुछ लिखा-पढ़ा जा रहा है। बहुत कुछ हटकर,शोधपरक और वैचारिक विचारधार के साथ खूब चर्चा भी की जा रही है। आज की युवा पीढ़ी उत्तराखंड के सांस्कृतिक-सामाजिक और लोक कैनवास पर बहुत कुछ उकेर रही है। इस में कुछ बेहतर हैं,तो कुछ बिखराव भी है। हम इस सब से कुछ हटकर पहाड़ की बात इस वेबसाइट के माध्यम से कर रहे है।

बात,खेत-खलिहानों,लोक संस्कृति,लोक परंपराओं की,लोक कलाओं की,लोक गीतों की,लोक उत्सवों की,लोक रंगों की और उन नम् आँखों की जिन्होंने आज भी पहाड़ को पहाड़ जैसे जीवित रखा है।

पहाड़ के प्रति हमारे अंदर की छटपटाहट, हमें मैदान बनाते हुए भी,बार-बार पहाड़ की ओर लेकर जाती  है। लेकिन हमारे कदम बार-बार खुद की तलाश के लिए मैदानों में रूक जाते है। फिर भी हम पहाड़ के होना चाहते है,पहाड़ को जीना चाहते है,पहाड़ जैसे तटस्थ रहना चाहते है। जिसके लिए हम ने ‘संवाद जाह्नवी’ के इस मंच की शुरूआत की है।

इसी उम्मीद में की आप समय-समय पर अपने सुझाव और प्रतिक्रियाएं हमें देते रहेंगे।

आपसे निवेदन हैं कि किसी भी प्रकार सूचना और शिकायतें सीधे samvadjanhvi@gmail.com पर भेंजे। आपकी दी हुई सूचना की सत्यता की जांच के बाद उसे प्रकाशित किया जाएगा। आप जो भी जानकारी,खबर हमें भेंजे। उसके साथ संबंधित व्यक्ति का फोन नंबर और फोटो भेंजे,ताकि जिससे संबंधित खबर है,हम उसका पक्ष भी जान पाएं।

संपादक

‘संवाद जाह्नवी’  के माध्य से हमारी कोशिश हैं कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति,लोक परंपराओं,लोक कलाओं और उत्तराखंड की माटी से जुड़ी खबरों को वास्तविक रूप में जनजन तक पहुंचाना है। हम संवाद जाह्नवी के मंच से आपको पहाड़ की उस तस्वीर को दिखा रहे है। जो वास्तव में पहाड़ होने का वजूद है। 

संवाद जाह्नवी के कैनवास पर आपको हर रोज अलग-अलग रंग में पहाड़ की माटी से जुड़ी संस्कृति,कला,लोक कला,लोक परंपराएं,लोक उत्सव,धर्म और देव भूमि की माटी की खुशबू मिलती रहेगी।

हमारे इस कैनवास पर पहाड़ के अलग-अलग रंग तो होंगे ही,साथ ही पहाड़ की विचारधार,पहाड़ के जीवन को खुद में समाहित करने वाले प्रबुद्धजनों के विचार और खुद को पहाड़ के रंग में रंगने वाले लोक व्यक्तित्वों की बात भी होगी,उन्हीं के शब्दों में।

उम्मीद हैं कि आप सभी का वैचारिक और लिखित सहयोग हमें मिलता रहेगा।

प्रेरणास्रोत

श्री नरेंद्र सिंह नेगी,लोक गायक

श्री मंगेश घिल्डियाल, अंडर सेक्रेटरी,प्रधानमंत्री कार्यालय

प्रबंध निदेशक- सुनीता देवी

संपादक- केशर सिंह बिष्ट

केशर सिंह बिष्ट,पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता है। केशर सिंह बिष्ट जी ठाणे,मुंबई में रहते हैं। विगत 2  दशकों से भी अधिक समय से मुंबई में उत्तराखंड के सामाजिक पटल पर प्रखर रूप से सक्रिय हैं।

तीन दशक से मुंबई की हिंदी पत्रकारिता जगत में सक्रिय हैं। शहर के प्रमुख हिंदी दैनिक ‘नवभारत’ में 22 साल की पत्रकारिता सफ़र के बाद अब स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहे हैं।

मुंबई में सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था ‘कौथिग फाउंडेशन’ के तहत विगत 13 वर्षों से 10 दिवसीय सांस्कृतिक आयोजन में सक्रिय हैं। आज मुंबई और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग ‘कौथिग फाउंडेशन’ से जुड़े हुए हैं। मूल रूप से ग्राम-केपार्स, पट्टी-बासर, जिला-टिहरी गढ़वाल के रहने वाले है।

कार्यकारी संपादक (अवैतनिक)

जगमोहन ‘आज़ाद’

प्रयागराज,हिन्दी विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि। पत्रकारिता एंव जनसंचार में उपाधि,जैन स्टूडियो,दिल्ली। दिल्ली दूरदर्शन में सात वर्ष तक विशेष कार्यक्रम ‘पत्रिका’,’कला  परिक्रमा’,’सृजन’ एवं ‘किताब की दुनिया’ में सहायक निदेशक के तौर पर कार्य किया। लगभग 1000  लेखकों-पत्रकारों एवं फिल्म हस्तियों के साक्षात्कार विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।

 कविताएं-कहानियां और समीक्षाएं,वैचारिक लेख देश की सभी पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित। दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के दिल्ली,पौड़ी एवं देहरादून केंद्र से समय-समय पर साहित्यक चर्चाएं एवं कविताओं का प्रसारण। कविताएं पंजाबी,तेलगु,उर्दू और गढ़वाली-कुमाऊनी में अनूदित।

उत्तराखंड के लोक-कलाकारों से साक्षात्कार पर आधारित पुस्तक लोक की बात’ उत्तराखंड के लोक कलाकारों के जीवन एवं सांस्कृतिक परिवेश पर प्रथम रचनात्मक शोध कार्य।

प्रकृति के कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल पुस्तक का संपादन,चार कविता संग्रह,एक बाल कहानी संग्रह प्रकाशित। लेखन के लिए सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित। मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के निवासी है।

स्थानीय संपादक

इंद्र सिंह नेगी

अखिल भारतीय स्तर पर हुए ‘भारतीय भाषा लोक सर्वेक्षण’(people’s linguistic survey of India (P.L.S.I)) के अंतर्गत जौनसारी भाषा का सर्वेक्षण। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली द्वारा उत्तराखंड की सुप्रसिद्ध लोक गाथा “भाना-गंगनाथ” के दस्तावेजीकरण में सांस्कृतिक समूह के समन्वक की भूमिका। “मेघाली” युवाओं की वार्षिक पत्रिका का सम्पादन और प्रकाशन। रतन सिंह “जौनसारी” कुछ यादें…कुछ बातें पुस्तक का सम्पादन। उत्तराखंड की लोक भाषाओं का व्यवहारिक शब्दकोश में जौनसारी शब्दों का संकलन। जौनसारी-बावर के विलुप्त होते गोकगीत-नृत्यों के दस्तावेजीकरण में संलग्न। दूरदर्शन केंद्र देहारादून में जौनसारी लोकगीतों पर चर्चा में प्रसोस्ता। कई पुरस्कारों से सम्मानित। मूल रूप से ग्राम-सिल्ला, पोस्ट- नागथात,कालसी, देहरादून निवासी है। 

Contact Information     

दिल्ली– अरविंद मालगुड़ी

मुंबई– तरुण चौहान

देहरादून– डॉ.हरीश मैखुरी

नैनीताल– हेंमत रावत

रामनगर– गणेश रावत

उत्तरकाशी– सुनील थपलियाल

कर्णप्रयाग– अरूण मैठाणी

पौड़ी–  विक्रम पटवाल

श्रीनगर– अनिल भंडारी

चंड़ीगढ़– डॉ.हरेंद्र सिंह

लखनऊ– भागवत सिंह

कनाडा– मुकेश खुगशाल

दुबई– चांद मौला बख्श

विधि सलाहकार– संजय शर्मा दरमोड़ा

फोटो एवं वीडियो– चंद्र मोहन सिंह

डिजाइन– विवेक कुमार

सम्मानित सलाहकार

भुवन चन्द्र उनियाल,धर्माधिकारी बद्रीनाथ धाम

गजेन्द्र सिंह रावत चेयरमैन एवं  मैनेजिंग डायरेक्टर,सुप्रीम एडवरटाइजिंग

मीर रंजन नेगी, भारतीय हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर

सुरेश चंद्र पांडे, चेयरमैन एवं  मैनेजिंग डायरेक्टर,एस.के.पी.प्रोजेक्ट्स प्रा.लिमिटेड

मीनाक्षी कंडवाल,  न्यूज एंकर एवं पत्रकार

डाक्टर हरिसुमन बिष्ट,वरिष्ठ लेखक

हेमा उनियाल,सुप्रसिद्ध लेखिका एवं सहित्यकार

लोकेश नवानी,कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता

सी एम पपनैं,वरिष्ठ पत्रकार

मोहन काला,उद्यमी एवं समाज सेवी

माधवानंद भट्ट,उद्योगपति एवं समाजसेवक

विजय लक्ष्मी भट्ट शर्मा,उपनिदेशक,भारतीय संसद,राज्य सभा