नंदा देवी लोक राजजात के आगमन पर हिमालय एवं बुग्याल के संरक्षण के लिए वितरित किए गए औषधि प्रजाति के पौधे

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विकासखंड देवाल के ल्वाणी गांव के पिलखड़ा एवं इच्छोली में नंदा लोक राजजात के आगमन पर आयोजित राज राजेश्वरी संस्कृति संरक्षण एवं विकास मेले में पर्यावरण मित्र बलवंत सिंह बिष्ट द्वारा  क्षेत्रीय जनता को हिमालय एवं बुग्यालो के संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण बचाने के लिए उनके द्वारा नर्सरी का निर्माण किया गया है। नर्सरी में उगाई गई पौधों को वह हर वर्ष निःशुल्क उपहार के रूप में भेंट करने के साथ-साथ रोपण भी किया जाता है।

नंदा देवी लोक राजजात के दौरान इस नर्सरी में उगाए गए औषधिय प्रजाति के 1000 पौधों का निःशुल्क वितरण किया गया। जिसमें आंवला, हरड़, बहेड़ा,तेजपत्ता,रीठा आदि पौधे मेले में उपस्थित अतिथि पूर्व विधायक जीत राम,अनुसूचित मोर्चा के जिला अध्यक्ष बलवीर घुनियाल,जिला पंचायत सदस्य आशा धपोला पूर्व प्रमुख उर्मिला बिष्ट प्रधान प्रदुमन सिंह मेला कमेटी के अध्यक्ष महावीर बिष्ट पूर्व प्रधान गंगा सुयाल, किशोर घुनियाल रूपकुंड पर्यावरण समिति महोत्सव के अध्यक्ष हीरा सिंह रूपकुडी,महिला मंगल दल की अध्यक्षा  दिमोती देवी सरपंच बिमला देवी आदि क्षेत्रवासियों को उपहार के रूप में औषधिय पौधे को भेंट किए।

इस अवसर पर पर्यावरण मित्र बलवंत सिंह ने कहा कि अगर मानव जीवन को संचार के रूप में संतुलन में लाना चाहते हैं,तो उपहार के रूप में गुलदस्ते के बजाए पौधों को भेटं करना चाहिए और अपने सामाजिक कार्यों एवं परिवारिक पूजा-पाठ,कथा,भागवत,श्राद्ध,जन्म दिवस,चल-अचल संपत्ति खरीद को भी यादगार के रूप में हमें पौधों का रोपण करना चाहिए।

उन्होंने कहा हमें अपने घर अपने गावं मे (मेरा-घर, मेरा-गांव, मेरा-बच्चा मेरा-पौध) के नाम से पर एक-एक पौधा अवश्य लगा चाहिए। उन्होंने कहा कि हम मां नंदा देवी लोकजात यात्रा के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण बुग्यालो का आनंद लें, लेकिन ध्यान रखें कि बुग्यालो की मखमली घास,वनस्पतियों,जड़ी-बुटियों,जैव विविधता के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ ना करें,और ना ही बुग्यालों के बीच ध्वनि प्रदुषण फैलाए। जिससे हमें हिम ग्लेशियर फटने जैसी आपदाओं का शिकार न होना पड़े।

उन्होंने कहा कि हम नंदा लोकजात के साथ बुग्याल के लिए जो भी सामग्री एवं खाद्य पदार्थ हम ले जा रहे हैं। उसका डिस्पोजल अपने साथ स्वयं लगेज के साथ वापस लाएं ताकि पर्यावरण प्रदूषण नहीं हो। इसी के साथ वन विभाग के दिशा निर्देशों के अनुसार ही ट्रैक करें जिस से आने वाली पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए सजग होगी। जिस प्रकार आए दिन मौसमी बरसात बादलों का फटना भू-खनन का होना प्राकृतिक आपदाओं का आना,यह मानव जाति के लिए अच्छे संकेत नहीं है। इसीलिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए ताकि ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या पैदा ना हो और पर्यावरण संतुलन बना रहे।