इलाहाबाद हाईकोर्ट का केंद्र सरकार को सुझाव,गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए संसद में लाना चाहिए बिल,अयोध्या के संतों ने किया स्वागत

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय को लेकर केंद्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा के हैं वह गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें। कोर्ट ने अपने सुझाव में कहा कि केन्द्र सरकार संसद में बिल लाकर गायों को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दें। कोर्ट ने वैदिक,पौराणिक,सांस्कृतिक महत्व व सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को  राष्ट्रीय पशु घोषित करें।

कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं। यह हिंदुओं की आस्था का का विषय है। आस्था पर चोट से देश कमजोर होता है। कोर्ट ने कहा गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है। इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं। यह भारतीय कृषि की रीढ़ है।

कोर्ट ने कहा पूरे विश्व में भारत ही एक मात्र देश है जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं। पूजा पद्धति भले ही अलग-अलग हो,सोच सभी की एक है। यहां एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं।

न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने संभल के जावेद की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि गाय को मारने वाले को छोड़ा तो फिर अपराध करेगा।

आपको बता दें कि याची पर साथियों के साथ खिलेंद्र सिंह की गाय चुराकर जंगल में  अन्य गायों सहित मारकर मांस इकट्ठा करते टार्च की रोशनी में देखें जाने का आरोप है। जो  8 मार्च 21 से जेल में बंद हैं। शिकायतकर्ता ने गाय के कटे सिर से पहचान की थी। तब आरोपी मोटर साइकिल छोड़ कर भाग गए थे। अर्जी पर शासकीय अधिवक्ता एस के पाल  व  ए जी ए मिथिलेश कुमार ने प्रतिवाद किया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा 29 में से 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है। एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है। गोमांस से केवल 80 लोगो का पेट भरता है। महाराजा रणजीत सिंह ने गो हत्या पर मृत्यु दण्ड देने का आदेश दिया था। कई मुस्लिम व हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई। मल-मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है। गाय की महिमा का वेदों पुराणों में बखान किया गया है। रसखान ने कहा जन्म मिले तो नंद के गायों के बीच मिले। गाय की चर्बी को लेकर मंगल पाण्डेय ने क्रांति की। संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है।

हाईकोर्ट के सुझाव का अयोध्या के संतों के किया स्वागत

इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव का अयोध्या के संतों ने गर्मजोशी से स्वागत किया है। संतो ने कहा है की उच्च न्यायालय का यह सुझाव स्वागत योग्य है। केंद्र और प्रदेश सरकार को तत्काल इस सुझाव को अमल में लाना चाहिए, और गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। संतो ने तो यह भी मांग की है कि गाय को राष्ट्रीय पशु की जगह राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाना चाहिए। क्योंकि हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है.

हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा है कि उच्च न्यायालय की इलाहाबाद खंडपीठ का यह फैसला स्वागत योग्य है। हम पहले से ही यह मांग करते रहे हैं,कि गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए। इस विषय पर उच्च न्यायालय ने ध्यान दिया है। इसके लिए हम उच्च न्यायालय को साधुवाद देते हैं। हम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यह आग्रह करते हैं कि तत्काल इस सुझाव पर अमल किया जाए और गाय को राष्ट्रीय पशु की जगह राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए।

हाई कोर्ट के इस सुझाव पर हरीधाम पीठ के जगद्गुरु श्रीराम दिनेशाचार्य ने स्वागत करते हुए कहा है की हिंदू समाज के लिए यह बेहद प्रसन्नता का पल है। गाय हमारी मां है हमारे शास्त्रों में गाय की महिमा और महत्व का वर्णन है। निश्चित रूप से उच्च न्यायालय का यह कदम गौ माता के महत्व को और बढ़ाएगा। इसके साथ ही हम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का भी धन्यवाद करते हें कि उन्होंने गाय,गंगा,गायत्री के संरक्षण और संवर्धन के लिए हमेशा प्रयास किया है।

वशिष्ठ पीठ के महंत राघवेश दास वेदांती ने कहा कि शास्त्रों में उल्लेखित है ‘गावो विश्वस्य मातर’ अर्थात गाय विश्व की माता है। गाय से प्राप्त होने वाले दूध-दही-घी से ना सिर्फ स्वास्थ्य उत्तम होता है। बल्कि कृषि प्रदान देश भारत में गाय और गोवंश का कृषि में भी महत्वपूर्ण स्थान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय पूजनीय है। उच्च न्यायालय का सुझाव स्वागत योग्य है। अयोध्या का संत समाज इस सुझाव का स्वागत करता है। हमारी मांग है कि केंद्र और प्रदेश सरकार जल्द से जल्द इस सुझाव को अमल में लाए।