तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट वेद मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए हुए बंद,अब मक्कूमठ में होगे भगवान तुंगनाथ के दर्शन

0
1396

पंच केदारों में तृतीय भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट शनिवार दोपहर बाद लगनानुसार शीतकाल के लिए वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के अवसर पर तुंगहनाथ धाम में हजारों भक्त भगवान तुंगनाथ धाम पहुंच कर कपाट बंद होने के साक्षी बने और जय भोले के उदघोषों के साथ चोपता तक भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य स्वागत किया।

तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की पूजा और दर्शन अब शीतकाल में मक्कूमठ के मंदिर में होगी। मक्कू मठ के  मैठाणी ब्राह्मण भगवान तुंगनाथ के परम्परागत पुजारी हैं। नागपुर मंडलान्तर्गत भुत्यौर द्यबता इस क्षेत्र में भुम्याल देवता हैं। जिनकी पूजा भी भगवान तुंगनाथ के साथ ही होती है। भुत्यौर के न्यौजा,निशाण भी शीतकाल में डोली के साथ रहते हैं।

आपको बता दें कि बह्मबेला पर आचार्यों,वेदपाठियों ने पंचाग पूजन के तहत भगवान तुंगनाथ सहित तैतीस कोटि देवी-देवताओं का आहवान कर आरती उतारी और श्रद्धालुओं ने भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग पर जलाभिषेक कर मनौती मांगी। जिसके बाद ठीक दस बजे भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई। ब्राह्मणों के द्वारा वैदिक मंत्रोंच्चारण के साथ भगवान तुंगनाथ के स्वयभू लिंग को चन्दन,पुष्प,भृंगराज,फल,अक्षत्र से समाधि दी गयी तथा भगवान शंकर शीतकाल के छःमाह जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो गये।

कपाट बंद होते ही तुंगनाथ की चल विग्रह डोली ने मंदिर की तीन परिक्रमा की। इसके बाद भक्तों ने डोली के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ की ओर प्रस्थान किया। उत्सव डोली पहले पड़ाव में चोपता में प्रथम रात्रि प्रवास के लिए पहुंची। जहां स्थानीय लोगों,व्यापारियों और श्रद्धालुओं ने भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य स्वागत किया। आज सुबह 31 अक्टूबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना हो चुकी है। यहां से वह विभिन्न यात्रा पड़ाव पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड पहुंचेगी। एक नवंबर को भनकुण्ड से रवाना होकर शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कडेय तीर्थ तुंगनाथ मन्दिर मक्कूमठ पहुंचेगी। जहां पर छह माह तक शीतकाल में भगवान की पूजा अर्चना होगी।