दिल्ली छावला केसः-उपराज्यपाल ने रिव्यू पिटीशन को दी मंजूरी,उत्तराखंड सरकार और सामाजिक संगठन बोले-बेटी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष रहेगा जारी

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दिल्ली के उपराज्यपाल ने छावला केस आरोपियों को बरी किए जाने के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंज़ूरी दे दी है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छावला बलात्कार और हत्याकांड के तीन आरोपियों को बरी किये जाने के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने की अनुमति देने के लिये दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना का आभार व्यक्त किया है। इस मामले में सरकार की तरफ़ से एस.जी (SG) तुषार मेहता और एडिशनल एस.जी (SG) ऐश्वर्या भाटी को नियुक्त करने को भी मंज़ूरी दी गई है।

आपको बता दें कि पिछले दिनों उत्तराखंड बेटी को न्याय दिलाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू से भी बात की थी। वे लगातार केंद्र सरकार से इस मामले में सम्पर्क में थे। इसी के साथ सांसद अनिल बलूनी ने भी परिवार के साथ दिल्ली के उपराज्यपाल से मुलाक़ात की थी और पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का आग्रह किया था। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी परिवार से मुलाक़ात कर उन्हें इंसाफ में साथ होने का भरोषा दिलाया था। इसी के साथ उत्तराखंड के तमाम सामाजिक संगठनों में छावला-पीड़िता उत्तराखंड की बेटी को न्याय दिलाने के लिए लगातार संघर्ष जारी रखा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छावला केस में आरोपियों को बरी किए जाने के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी देने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल का हार्दिक आभार किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की बेटी को न्याय दिलवाने व दोषियों को कठोरतम सजा मिले यह सुनिश्चित करने हेतु हमारी सरकार हर संभव प्रयास करेगी।

दिल्ली-गाजियाबाद में निकाला गया केंडल मार्च

गाजियाबाद के ट्रांस हिंडन क्षेत्र इंदिरापुरम,वैशाली तथा कौशाम्बी के प्रभुद्ध लोगो की अगुवाई में कैंडल मार्च के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर आम जनमानस ने अपना विरोध दर्शाया। उत्तराखंड बिटिया के हत्यारों को जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने बरी किया है,उस फैसले से आमजन निराश और स्तब्ध है,जिस बिटिया के साथ, निर्भया बिटिया जैसी ही दरिन्दगी के बाद हत्या की गई थी,वह भी निर्भया के साथ हुई दरिन्दगी से भी 10 महीने पहले 9 फरवरी 2012 को उस बिटिया के हत्यारों का इस तरह बरी होने से पूरा देश निशब्द है।

यह निराशा पूरे देश में धरना-प्रदर्शन और केंडिल मार्च के रूप मे देखी जा रही है और इसी क्रम में गाजियाबाद क्षेत्र के सर्व समाज ने भी इस दिशा में पहल की फैसले के खिलाफ रिव्यू पेटिशन दाखिल की जा रही है,उसी दौरान सरकार और न्यायालय पर सही न्याय के लिए सामाजिक दवाब के माध्यम से जगह-जगह धरना प्रदर्शन और कैंडल मार्च के द्वारा इस आक्रोश को आंदोलन बनाया जा रहा है।

इसी के साथ रविवार 20 नवम्बर दिवंग्त बिटिया के नाम से एक-एक दिया अपने घर मे प्रज्वलित कर श्रद्धाजंलि अर्पित करने का संकल्प भी लिया गया। केंडिल मार्च की श्रृंखला की पहली कड़ी में पहला केंडल मार्च,शनिवार शाम 6 बजे से,न्याय खण्ड-1 के सुभाष पार्क निकट शनि बाज़ार चौक से आरंभ होकर न्याय खण्ड अभय खण्ड के विभिन्न भागों से गुजरते हुए,अभय खण्ड 4 के बिनसर मंदिर पर बिटिया की आत्मा के लिये दो मिनट के मौन के साथ समाप्त हुई।  इस आशा के साथ कि सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका को न केवल स्वीकार करे,अपितु उस पर ध्यान भी दे और बिटिया के गुनहगारों को फाँसी की सज़ा मिले।

इस कैंडल मार्च में उत्तराखण्ड एकता समिति-इंदिरापुरम,धरोहर-इंदिरापुरम,नई पहल नई सोच,गर्जिया सोसाइटी,पूर्व सैनिक संगठन,सर्च माई चाइल्ड फाउंडेशन,उत्तराखंड महासंघ-गाजियाबाद,मानव अधिकार मिशन तथा ट्रांस हिंडन समिति आदि समिति से सर्वश्री दिनेश घिल्डियाल,किशोरी लाल ममगई।

गढ़वाल हितैषणी-दिल्ली के अध्यक्ष अजय बिष्ट,कोषाध्यक्ष अनिल पंत,खुशहाल बिष्ट,राजेन्द्र रावत, सच्चिदानंद शर्मा,सागर रावत,महेश नेगी,अरुण डोभाल,खजान पंत, जगमोहन सिंह रावत,संजय चौहान,बिमला रावत,कुसुम कंडवाल भट्ट,हंसा तिवारी,लता बवाड़ी,हेमा जोशी,अरुणा सजवाण,गीता बिष्ट,लक्ष्मी,कमला रावत,लक्ष्मी रावत, अनन्या,शकीरा शेख,दीपिका नयाल,दीपक केन्थुरा,पंडित नरेंद्र जदली, जगदीश रावत,हरीश कडाकोटी,शिवराज रावत,चंद्र रावत स्वतंत्र,कुंदन रावत,संदीप रावत,दिलबर सिंह बिष्ट,सुदेश नैथानी,कमल पटवाल, मनोहर पटवाल,पुरन,गीता चौहान,प.वीरेंद्र जुयाल ‘उपिरि’,दीपक गौड़ और सुरेंद्र नेगी सहित कई अन्य सामाजिक लोगो ने शिरकत की।