
भाजपा ने स्कूलों में गीता ज्ञान देने की पहल को देवभूमि स्वरूप के अनुरूप बताते हुए स्वागत किया है। प्रदेशाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने इस मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं की दुविधा पर चुटकी लेते हुए कहा,जिन्हें तुष्टिकरण के वोट लेने हों उनको तो संविधान पर राम दरबार के चित्र पर भी आपत्ति होती रही है। लेकिन भाजपा और प्रदेश की जनता एकमत है कि गीता आधारित स्कूली पाठ्यक्रम के लिए देवभूमि से बेहतर कोई राज्य नही हो सकता।
- तुष्टिकरण करने वालों को ही,स्कूलों में गीता के श्लोकों से दिक्कत।
उन्होंने इस मुद्दे पर मीडिया में बयान जारी कर कहा,भारतीय संस्कृति,दैनिक जीवन के कर्तव्य और सामाजिक प्रेरणा देने वाले प्रसंगों की बात करें तो श्रीमद भगवद गीता से बेहतर कोई पाठ्य सामग्री नही है। इसी उद्देश्य के साथ प्रदेश सरकार ने भावी पीढ़ी को संस्कारवान और ज्ञानवान बनाने के लिए इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया था। लिहाजा जब तक इसका पाठ्यक्रम पूरी तरह से तैयार नहीं होता तब तक स्कूलों की प्रार्थना में गीता के श्लोकों और प्रसंगों का उच्चारण करना सर्वथा उचित है और भारतीय जनता पार्टी इसका पुरजोर समर्थन करती है। पहले भी अनेकों मर्तबा गीता को कर्म आधारित ज्ञान दर्शन का सर्वश्रेष्ठ संयोजन माना गया है। जिसका दैनिक जीवन में पढ़ाया जाना हमारे नौनिहालों और देश के भविष्य बहुत लाभकारी साबित होगा।
उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस नेताओं के विरोधाभासी बयानों को उनका असली सनातन विरोधी चेहरा बताया है। कहा,गीता के उपदेश स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए देवभूमि से बेहतर राज्य कोई अन्य हो ही नही सकता है। जबकि कांग्रेस छद्म धर्मनिरपेक्ष नीति का अनुसरण करने वाली पार्टी है जो अब सुविधावादी सनातनी नेताओं से भरी हुई है। राज्य में भी इनके नेताओं के हालात इससे अलग नहीं हैं,तभी मैदानी क्षेत्रों में अल्पसंख्यक वोटों की खातिर इनके कुछ नेता गीता के स्कूली ज्ञान का खुला विरोध करते हैं,कुछ पूर्व सीएम हरीश रावत की तरह तारीफ करते करते,विरोधी सवाल खड़े करने लगते हैं।
वहीं पहाड़ पर राजनीति करने वाले इनके प्रदेश अध्यक्ष गीता पाठ्यक्रम का स्वागत करते हैं। कांग्रेस नेताओं की ये दुविधा उनकी सुविधावादी सनातनी सोच को उजागर करती है। तुष्टिकरण वोटों की राजनीति करने वाली कांग्रेस इस मुद्दे कर कन्फ्यूज्ड हो सकती है,लेकिन भाजपा और प्रदेश की जनता एकमत है कि गीता पाठ्यक्रम की शुरुआत के लिए देवभूमि से बेहतर कोई राज्य नहीं हो सकता है।