Dehradun:-दून विश्वविद्यालय में रंगमंच एवं लोक कला विभाग द्वारा एक दिवसीय बाल नाट्य समारोह का आयोजन,प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा-बच्चों की प्रतिभा को मंच दे रहा है रंगमंच विभाग

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दून विश्वविद्यालय में रंगमंच एवं लोक कला विभाग द्वारा एक दिवसीय बाल नाट्य समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग पचास से अधिक बाल कलाकारों ने प्रतिभाग किया। सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल और दून विश्वविद्यालय के कर्मचारी,शिक्षकगणों के बच्चों के लिए बीस दिन की रंगमंच कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें तीन नाटकों का मंचन किया गया।

बाल नाट्य समारोह के बारे में प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल कुलपति दून विश्वविद्यालय ने कहा शिक्षाजगत में रंगमंच का महत्व धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। इस तरह के नाट्य समारोह बच्चों के अंदर एक नये तरीके का आत्मविश्वास पैदा करते हैं। बच्चों को मोबाइल की आभासी दुनिया से बाहर निकालकर समाज को एक नए तरीके से समझने का अवसर देते हैं।

इस अवसर पर सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य पंकज नौटियाल ने कहा यह नाट्य समारोह उनकी प्रतिभाओं को निखारने के लिए एक नए द्वार खोलेगा है। स्कूल के बच्चों को नाट्य प्रशिक्षण देने के लिए हम दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल का हृदय से धन्यवाद करते हैं।

निदेशक आइ.क्यू.ए.सी.दून विश्वविद्यालय प्रोफेसर एच.सी.पुरोहित का कहना है कि बच्चों के लिए थिएटर कार्यशालाएँ रचनात्मकता,संचार कौशल और आत्मविश्वास को बढ़ावा देने के साथ-साथ भावनात्मक विकास और सामाजिक कौशल को बढ़ाने के लिए कई लाभ प्रदान करती हैं।

आपको बता दें कि इस नाट्य समारोह में पहला नाटक “मोडर्न बचपन”मांचित किया गया। ये नाटक पृथ्वी पर पेड़ पौधे वनस्पतिया से लेकर और बानर से आपने आप को बदलते हुए पूर्ण रूम में मानव बनने की कहानी है। हमारे जीवन में मोबाइल का उपयोग किस तरह से हमारे जीवन को बर्बाद कर रहा है। नाटक में पात्रों के रूप में मानव,अक्ष,अंशिका भट्ट,अक्षिता तिवारी,एंजेल अग्रवाल,सक्षम,राघवेंद्र,शिवम् कोहली,आराध्या परिहार,आरोही,पाखी चौधरी,वंशिका,अंश पाल,अनिरुद्ध उनियाल,प्रसिद्धि बहुगुणा,आराध्या उनियाल आदि विद्यार्थियों ने अभिनय किया। नाटक का निर्देशन नितिन कुमार और सहनिर्देशन मुकेश,वीरेंद्र,रजत वर्मा ने किया।

दूसरा नाटक “टैं तू”–एक तोते के परिवार की मार्मिक कथा “टैं तू”एक अत्यंत संवेदनशील और शिक्षाप्रद कहानी है,जो जंगल में बसे एक तोते के परिवार के इर्द-गिर्द बुनी गई है। यह परिवार प्रेम,सद्भाव और समझदारी के साथ मिल-जुलकर अपना जीवन व्यतीत करता है। यह सुखद और शांतिपूर्ण जीवन तब अचानक बदल जाता है। जब उस आदर्श परिवार की खुशहाली पर किसी की बुरी नज़र लग जाती है।नाटक में इशिता,अक्षत,नव्या,अर्जुन,आकांक्षा,नाजिश,अद्विका,आहवान,प्रणव कपिल,सचिन कुमार ने अभिनय किया। नाटक का निर्देशन हर्षित गोयल और सहनिर्देशन सोनिया वालिया,हिमांशु यादव,हिमांशी ने किया।

तीसरे नाटक “बाल कृष्णा”में दृश्य-दर-दृश्य यह दिखाया जाता है कि कैसे गोपियाँ पहले बालकृष्ण की शरारतों से परेशान होती हैं,पर धीरे-धीरे उन यह समझ आता है कि कृष्ण की लीलाओं में केवल नटखटपन नहीं,बल्कि एक आध्यात्मिक संदेश भी छिपा है-बचपन की मासूमता,निष्कपट प्रेम और सच्चे आनंद की अनुभूति। इस नाटक में अर्णवी चमोली,अनुषा जुगरान,रिद्धिमा खत्री,परी बडोनी,अस्मिता चमोली,रेयांश डोभाल,तेजस नैथानी,लवी कुमार बबेरा ने प्रतिभाग किया।

रंगमंच कार्यशाला का उद्देश्य यानी थिएटर हमें स्क्रीन और डिजिटल मनोरंजन की भारी उपस्थिति से बहुत जरूरी राहत प्रदान करता है जो अक्सर दैनिक आधार पर उनका ध्यान आकर्षित करता है। फिल्मों या वीडियो गेम के विपरीत,लाइव थिएटर एक व्यक्तिगत,विसर्जित अनुभव प्रदान करता है जो उनकी इंद्रियों को संलग्न करता है,कल्पना को जगाता है,और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करता है। रंगमंच के प्रति इस प्रेम ने मेरे बच्चों को डिजिटल विकर्षणों से एक मूल्यवान ब्रेक दिया है,उनके दिमाग को नए दृष्टिकोणों के लिए खोल दिया है और हमारे साथ बिताए समय को ऐसे तरीकों से समृद्ध किया है जो जीवन भर याद रहेंगे। बच्चों को लाइव थिएटर से परिचित कराना उनके विकास और आनंद के लिए सर्वोत्तम निर्णयों में से एक हो सकता है।

इस अवसर पर दुर्गेश डिमरी कुलसचिव दून विश्वविद्यालय,प्रो.हर्ष डोभाल,रोहित जोशी,डॉ.राजेश भट्ट,प्रशांत मेहता आदि कर्मचारीगण उपस्थित थे।

रंगमंच कार्यशाला के संयोजक के रूप में डॉक्टर.अजीत पंवार और कैलाश कंडवाल,फैकल्टी रंगमंच विभाग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त बलोनी पब्लिक स्कूल के शिक्षक पंकज नौटियाल,जसप्रीत कौर और रंगमंच विभाग के अंजेश कुमार,सरिता भट्ट,सरिता बहुगुणा,संयम बिष्ट,सृजश्न डंगवाल,कोमल ने रंगमंच कार्यशाला को सफल बनने में सहयोग किया।

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