
दून विश्वविद्यालय के नशा मुक्ति,सांस्कृतिक प्रकोष्ठ एवं थिएटर विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा संचालित “नशा मुक्त भारत अभियान”के अंतर्गत एक भव्य सामूहिक नृत्य कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय परिसर में किया गया।

इस अवसर पर पचास से अधिक छात्र-छात्राओं ने विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से नशा मुक्ति का संदेश दिया। प्रस्तुत सामूहिक नृत्यों में भारतीय लोक धरोहर, सामाजिक चेतना और युवाओं की ऊर्जा का सशक्त समावेश दिखाई दिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों से जागरूक करना और समाज में स्वस्थ जीवन शैली के प्रति प्रेरित करना था।
इस मौके पर कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि “युवाओं को नशे से दूर रखना आज की सबसे बड़ी सामाजिक आवश्यकता है। सांस्कृतिक गतिविधियाँ जैसे नृत्य,संगीत और थिएटर न केवल हमारी परंपराओं को जीवित रखते हैं,बल्कि युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा भी देते हैं। दून विश्वविद्यालय सदैव ऐसे अभियानों को प्रोत्साहित करता रहेगा।”
समन्वयक अधिकारी प्रो.रीना सिंह ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “नशा केवल व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे समाज का नुकसान करता है। कला और संस्कृति के माध्यम से यह संदेश जब युवाओं तक पहुँचता है तो उसका प्रभाव अधिक गहरा होता है।”
क्रीड़ा अधिकारी डॉ.सुनीत नैथानी ने कहा कि “स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन ही जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है। खेल और सांस्कृतिक गतिविधियाँ नशे से दूर रहने और जीवन में अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।”
कार्यक्रम में डॉ.चेतन पोखरियाल,डॉ.अजीत पंवार,डॉ.मानवेंद्र बर्थवाल,कृतिका बिजल्वाण,आशी वत्स,दिशा कोहली,अमीषा,निवेदिता शुक्ला,विशाल सिंह,भूमिका धस्माना,निमिषा बिष्ट,दिया भंडारी,पायल,दीपशिखा बोर,दिव्यांशी,स्वाति गोस्वामी सहित कई प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे,सभी ने इस पहल की सराहना की और इसे समाज सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों और उपस्थित अतिथियों ने सामूहिक रूप से “नशा मुक्त भारत”का संकल्प लिया।