स्की माउंटेनियरिंग एसोसिएशन द्वारा आयोजित बद्रीनाथ से माणा पास साइकलिंग के प्रतिभागियों को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने किया सम्मानित

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स्की माउंटेनियरिंग ऐसोसिएशन द्वारा बद्रीनाथ से माना पास तक आयोजित पहली साइकिल रैली के प्रतिभागियों का पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रमाण पत्र और मेडल देकर उनका उत्साहवर्धन किया। इस साइकिल रैली में देश प्रदेश के 70 लोगों ने प्रतिभाग किया।

माणा पास-बद्रीनाथ एमटीबी चैलेंज 2022

(पहली उच्च हिमालयी रैली-5632 मी.)

भारत-तिब्बत सीमा पर साइकलिंग का रोमांचक अहसास

देवताल अंजुली में लिए खड़ा है इंद्र कुर्सी पर्वत…यहां इंडियन आर्मी के जवान निगहबां हैं..साथ ही हर पड़ाव पर आईटीबीपी भी तैनात..

देहरादून से साइकिलिंग रैली में 7 लोग विनोद कोठियाल, सुशील पंवार, ज्योति विजय रावत, राजकुमार धीमान,विवेक जैन,सचिन चौहान और दीपक कंडारी शामिल रहे। रैली के आयोजक अजय भट्ट थे।

देहरादून में प्रतिभागियों ने बताया कि हम माणा से 15 किमी साइकलिंग करते हुए सेना के पहले बेस घसतोली पहुंचे। यहां सेना ने चाय नाश्ता परोसा तो थके शरीर को ताजगी मिली,अपनी साइकलों को सेना के वन टन ट्रक में लाद कर हम रात्ताकोना और जगरांव पड़ाव से होकर 45 किमी आगे देवताल पहुंचे। बर्फीली चोटियों के बीचों बीच होते हुए हम 18 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर थे और साइकलिंग कर रहे थे।

सरस्वती नदी जो माणा में अलकनंदा से संगम करती है, उसका उद्गम देवताल ही है। पौराणिक और धार्मिक महत्व के इस दिव्य स्थान पर आकर मन रोमांचित भी था और शांत भी ऐसी ऊंचाई पर आक्सीजन की कमी के कारण सांस लेने में तकलीफ होना स्वाभाविक था लेकिन वहां दर्जनों सर्द बैरकों में मुस्तैद सेना को देखकर लगा कि हौसले तकलीफों को कैसे परास्त करते हैं।

माणा पास सीमा देवताल से 2 किमी आगे दिखाई देती है.. जो हमारी रैली का आखिरी प्वाइंट था। आखिर तक मोटर मार्ग का संपर्क होना सेना के लिए किसी लाइफ़ लाइन से कम नहीं। उस पार हम सब के प्यारे दलाईलामा की भूमि खूबसूरत तिब्बत की खुशबू हम महसूस कर सकते थे। यहां देवताल में हम 70 सिविलियंस की मौजूदगी ने चीन की सेना को असहज किया। ऊपर बैरक से भारतीय सैनिक ने हमारे साथ खड़े सेन्य अधिकारी को वायरलेस पर सूचित किया कि सीमा पार से पैट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। सेना ने अहतियातन हमें माणा पास जाने से रोक दिया। यह कुछ निराशाजनक था,लेकिन सेना के निर्णय के आगे हम बेबस थे। बहरहाल हम खुश थे कि सेना की अनुमति से ही हम देवताल तक पहुँच पाये। 

हमें बताया गया कि माणा पास से आने वाले समय में मानसरोवर की यात्रा शुरू की जाएगी। यह भारत सरकार की सामरिक महत्व वाली एक महत्वाकांक्षी योजना है। माणा लौट कर रैली का समापन हुआ।