
काठमांडू,हिंदी भारत ही नहीं नेपाल की भी भाषा है। हिंदी हमारी,आपकी,हम सब की भाषा है,यह अंतर्राष्ट्रीय भाषा भी है । फ्रेंच,अँगरेज़ी,जर्मनी,चाइनीज़,अरेबिक के बाद सबसे अधिक व्यापक और प्रभावशाली भाषा हिंदी ही है। नेपाल के गोरखा राज्य का विस्तार हुआ और नेपाल के पृथ्वी नारायण शाह की लाल मोहर हिंदी में ही थी। भाषा वैमनस्यता समाप्त करती है,दुनिया को जोड़ती है और राजनीति तोड़ती है,उक्त विचार नेपाल के पूर्व उप प्रधान मंत्री उपेन्द्र यादव ने नेपाल में 15 से 24 फरवरी तक आयोजित 24वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए।
- भाषा जितना विस्तारित,समृद्धि उतनी ही-पूर्व उप प्रधान मंत्री उपेन्द्र यादव।
- 15 से 24 फरवरी-2025 तक नेपाल में आयोजित हुआ सम्मेलन।

इस मौके पर श्री यादव ने कहा कि नेपाल में पहले शिक्षा का माध्यम हिंदी ही थी। फिर राजनीतिक कारणों से इसे विदेशी भाषा कहकर हटा दिया गया। नेपाल की भाषा भारतीय संविधान की अनुसूची की भाषा है। हिंदी भाषा,हमारी भाषा है भले ही वह सरकारी ना हो। नेपाल में 100 भाषाएँ बोली जाती हैं। यहाँ हिंदी को मान्यता देने से नेपाल का कद और बढ़ेगा। हिंदी एवं नेपाली भाषा की जननी तो एक ही संस्कृत भाषा है। भाषा का जितना विस्तार होगा उतनी ही समृद्धता आएगी। विदेशी भाषा को जानना चाहिए पर उनके पीछे लगकर अपनी भाषा को नहीं भूलना चाहिए। हिंदी को रोजगार के साथ जोड़ा जाए। अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन द्वारा लगभग डेढ़ दशक से जिस तरह स्वयंसेवी भावना से हिंदी संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है,उस तरह कम ही संस्थाएं वैश्विक स्तर पर अभियान है। हिंदी का विकास एवं उसके उत्थान की सदिच्छा रखनेवाले अंहिंस से कई देश के हिंदीसेवी तथा संस्थाएँ जुड़ते जायेंगे।

स्वागताध्यक्ष और अंहिंस के अध्यक्ष डॉ.सविता मोहन ने अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के उद्देश्य और इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पहला अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन लघुकथा को केंद्र में रखकर रायपुर,छत्तीसगढ़ में 16-17फरवरी 2008 हुआ था। जिसमें,अमेरिका,न्यूजीलैंड,आबूधाबी,नेपाल सहित भारत के 300 से अधिक हिंदी के लेखकों ने अपनी भागीदारी रेखांकित की थी। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के मंच से थाईलैंड,मारीशस,उज्बेकिस्तान,संयुक्त राज्य अमीरात,कंबोडिया,वियतनाम,श्रीलंका,चीन,नेपाल,मिस्र,बाली(इंडोनेशिया),असम-शिलांग और वीर-भूमि राजस्थान,रूस,ग्रीस,म्यांमार,इजिप्ट,वियतनाम,भूटान,कज़ाकिस्तान आदि जैसे देशों में विविध सांस्कृतिक परिवेश के मध्य सृजनरत रचनाकारों से आत्मीय और निरंतर संबंधों की पहचान की गई है ।

नेपाल की राजधानी काठमांडू के होटल क्रिस्टल पशुपति,में संपन्न कार्यक्रम की अध्यक्षता की केंद्रीय भारतीय साहित्य अकादमी से सम्मानित कवि,लेखक,अनुवादक अंबिकादत्त ने उद्घाटन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में विशेष रूप से उपस्थित थे। नेपाल संविधान सभा के सदस्य रामकुमार शर्मा,पूर्व सांसद इंदू शर्मा,’नेपाल राष्ट्र बैंक’के पूर्व निदेशक,सुप्रसिद्ध नेपाली कवि, लेखक भीष्म उप्रेती व आकाशवाणी के नेपाल भाषा प्रभाग के पूर्व अधिकारी व लेखक प्रकाश प्रसाद उपाध्याय,हिमालिनी पत्रिका के प्रबंध संपादक और ख्यात हिंदी सेवी डॉ.सच्चिदानंद त्रिपाठी और नेपाल के युवा कवि डॉ.पुष्पज राय चमन।
15 कृतियाँ हुई लोकार्पित
नेपाल सम्मेलन में मुख्य अतिथि,नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेन्द्र यादव के हाथों 15 से अधिक कविता संग्रह,यात्रा संस्मरण,ललित निंबध संग्रह,आलोचनात्मक शोध कृतियों सहित पत्रिकाओं के नये अंकों का विमोचन हुआ,जिसमें आनंद प्रकाश गुप्ता (अद्वैत दर्शन के महान प्रवर्तक आदि शंकराचार्य),डॉ.मंगला रानी (धर्म एवं दर्शन में जीवन के मूल्य),भीष्म उप्रेती (बस,पन्द्रह मिनट,नेपाली कविताओं का हिंदी अनुवाद) किरण बाला ‘किरन’(किरन हूँ मैं),अंबिका दत्त (माटी कहे कुम्हार से),डॉ.पुष्पा जोशी (पत्रिका ट्रू मीडिया),डॉ.रेणु पंत (पत्रिका नवोदित प्रवाह),पत्रिका कविताम्बरा (ग़ज़लगो डॉ.के.के.प्रजापति पर केंद्रित विशेषांक),डॉ.रामकृष्ण राजपूत (श्रीलंका में हिंदी की दस्तक),डॉ.सुनील जाधव (मेरी चर्चित रचनाएँ),डॉ.रेणु पंत (AI–प्रेम अवतार तथा A SAGA OF LOVE),सौदामिनी त्रिपाठी (शतायु नमन),संतोष रंजन (जागो फिर एक बार)तथा नेपाल से प्रकाशित हिंदी की मासिक पत्रिका हिमालिनी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ.पुष्पा जोशी और किरण बाला ‘किरन’ने किया ।

नेपाल के प्रतिष्ठित कवि भीष्म उप्रेती को सृजनगाथा डॉट काम सम्मान
24वें वार्षिक अलंकरण समारोह में नेपाल के कवि,निबंधकार और बुद्धिजीवी भीष्म उप्रेती को प्रतिष्ठित सृजनगाथा डॉट काम सम्मान से अलंकृत किया गया। इसके साथ ही विभिन्न साहित्यिक संगठनों के सहयोग से सृजनगाथा लाइफ टाइम एचीव्हमेंट सम्मान (डॉ.मंजुला दास),सिन्धु रथ स्मृति सम्मान (डॉ.वंदना रानी,डॉ.रश्मि कर),सलेकचंद जैन स्मृति सम्मान (डॉ.इतिश्रद्धा त्रिपाठी,निखिलेश चेलानी),डॉ.ब्रजबल्लभ मिश्र स्मृति सम्मान (सौदामिनी त्रिपाठी),डॉ.सच्चिदानंद त्रिपाठी स्मृति सम्मान (अंबिकादत्त),डॉ.शशिकांत झा स्मृति सम्मान (डॉ.सिद्धेश्वर आचार्य) ओम साहित्य सम्मान (आनंद प्रकाश गुप्ता),गोलाप चंद्र दत्त स्मृति सम्मान (डॉ.मंगला रानी),शोध ऋतु सम्मान (डॉ.आरती झा),डॉ.अंबिका प्रसाद उनियाल स्मृति सम्मान (डॉ.सविता मोहन),ट्रू मीडिया सम्मान (डॉ.कृष्ण कुमार प्रजापति,डॉ.सुनीति आचार्य,पुरुषोत्तम पंचोली,इंद्राणी मलैया,महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मान (पुष्पज चमन,नेपाल),युगधारा अंतरराष्ट्रीय गौरव सम्मान (डॉ.पुष्पा जोशी,डॉ.रेणु शुक्ला),डॉ.खगेन्द्र ठाकुर स्मृति हिंदी गौरव सम्मान (सच्चिदानंद मिश्र,हिमालिनी पत्रिका के प्रबंध संपादक,नेपाल)प्रदान किये गये ।

नेपाल और भारत के विविध भाषाओं में कविताओं का पाठ
अंतरराष्ट्रीय सर्वभाषा कविता पाठ के सत्र में भारत और नेपाल से विशिष्ट रूप से सम्मिलित कवियों ने हिंदी,नेपाली,भोजपुरी,राजस्थानी,ओडिया,उत्तराखंडी,बांग्ला,बघेली,हरियाणवी,असमिया,छत्तीसगढ़ी भाषा में अपनी प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया जिसमें प्रमुख थे –नेपाल से भीष्म उप्रेती,विश्वा सिगडेल,किशोर पहाड़ी,कंचना झा,अंशुकुमारी झा तथा भारत के 10 प्रदेशों के सृजनधर्मी में अंबिका दत्त,डॉ.सविता मोहन,डॉ.कृष्ण कुमार प्रजापति,डॉ.मनोहर श्रीमाली, कुंतला दत्ता,सुषमा राउत,डॉ.सुनीति आचार्य,डॉ.इतिश्रद्धा त्रिपाठी,डॉ.मंजुला दास,राजश्री झा,वीणापाणि मिश्र,डॉ.पुष्पा जोशी,किरणबाला,कृष्ण त्रिपाठी,सौदामिनी त्रिपाठी । कार्यक्रम का रसदार संचालन किया सुचर्चित ग़ज़लगो मुमताज ने।
522 गाथाओं में 72 भिक्षुणियों की अभिव्यक्ति

‘हाशिए के लोग और उनका साहित्य’विषय पर अभिकेंद्रित अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ.रेणु शुक्ला ने कहा कि हाशिये के लोगों के साहित्य का एक श्रेष्ठ उदाहरण बौद्ध भिक्षुणियों द्वारा रचित ग्रंथ थेरीगाथा है। जिसमे 522 गाथाओं में 72 भिक्षुणियों ने अपने आध्यात्मिक अनुभवों एवं प्रव्रज्या से पूर्व जीवन के अनुभवों को सुंदर अभिव्यक्ति दी है। यह ग्रंथ नारी जीवन की चुनौतियों का दृढ़ता से सामना करती सामर्थ्यवान थेरियों की गौरव गाथा होने के साथ ही उनकी साहित्यिक क्षमता का भी परिचायक है। इस विमर्श में ऑल इंडिया रेडियो के पूर्व नेपाली विभाग प्रमुख व वरिष्ठ लेखक प्रकाश प्रसाद उपाध्याय,त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल केंद्रीय हिंदी विभाग की अध्येता मौसमी तिवारी सहित भारत से पुरुषोत्तम पंचोली,रमेश चंद बुनकर,निखिलेश चेलानी, नीलिमा शर्मा,सिद्धेश्वर आचार्य,आनंद प्रकाश गुप्ता,डॉ.दिलीप सिंह,डॉ.मंजुला दास,किरण बाला,डॉ.त्रिलोक्यनाथ त्रिपाठी,सच्चिदानंद मिश्र आदि ने अपने विशिष्ट आलेखों का पाठ किया। सत्र का संचालन किया पटना विश्वविद्यालय की डीन डॉ.मंगला रानी ने ।
रंगारंग सांस्कृतिक सत्र में सौदामिनी त्रिपाठी ने संबलपुरी नृत्य,राजश्री झा ने छत्तीसगढ़ी सुआ गीत गायन,डॉ.रश्मि कर व डॉ.जयश्री नंदा ने नृत्य,डॉ.त्रिलोक्यनाथ त्रिपाठी ने गायन तथा वीणापाणि मिश्र ने नृत्य नाटिका की सरस व भावभीनी प्रस्तुत की ।

भारतीय रचनाकारों का हिमालिनी पत्रिका द्वारा सम्मान
24 वें सम्मेलन में नेपाल की प्रतिष्ठित हिंदी प्रकाशन संस्थान कृष्ण मिश्र प्राइवेट लिमिटेड तथा हिंदी की हिमालिनी मासिक साहित्यिक पत्रिका की ओर से सम्मेलन के गरिमानुकूल सभी भारतीय लेखकों को सम्मानित किया गया । अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के संस्थापक समन्वयक डॉ.जयप्रकाश मानस को विभिन्न देशों में हिंदी साहित्य और भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए तृतीय श्री कृष्ण मिश्र स्मृति सम्मान से अलंकृत किया गया । इस अवसर पर सच्चिदानंद मिश्रा,मुकुंद आचार्य,शोभाकांत झा,लीलाधर गौतम सहित बड़ी संख्या में नेपाली रचनाकार,हिंदीभाषी बुद्धिजीवी आदि उपस्थित थे । 15 से 24 फरवरी तक आयोजित संपूर्ण आयोजन में पत्रिका हिमालिनी नेपाल,हिंदी साहित्य परिषद नेपाल तथा कुणाल जैन,दिलीप मलैया,सुमन गुप्ता,कल्पना रथ,रूद्र भूसाल आदि का उल्लेखनीय सहयोग रहा।
काठमांडू से किरण बाला ‘किरन’रिपोर्ट