रक्षा बंधन विशेषः- मंत्र को पढ़कर ही आचार्य जन अपने यजमानों के हाथो मे बांधते हैं रक्षा सूत्र

0
1632
आचार्य श्रित सुरेंद्र प्रसाद सुंदरियाल जी महाराज

आज देश भर में भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का त्योहार रक्षा बंधन धूम-धाम से मनाया जा रहा है। रक्षा बंधन के अवसर क्या है शुभ योग और राखी बांधने का सबसे उत्तम समय और मंत्र क्या है। इस बारे में बता रहे है,मां धारी देवी नागराज उपासक आचार्य श्रित सुन्दरियाल।

भाई बहनों के साथ-साथ रक्षा बन्धन का पावन त्यौहार ब्राह्मणों के द्धारा भी यजमानों की सुख समृद्धि एवं ऐश्वर्य के रूप में रक्षा सूत्र को बांधने का विशेषकर हमारे उत्तराखंड में नियम है।

येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल। ॐ व्रतेन दीक्षामाप्नोति, दीक्षयाऽऽप्नोति दक्षिणाम् । दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति, श्रद्धया सत्यमाप्यते

पौराणिक काल से ही श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को ही बांधा जाता है रक्षा सूत्र सनातन धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता है कि यमराज की बहन श्री यमुना जी ने उनकी कलाई में रक्षा सूत्र बांधा था जिसके बदले यमराज जी ने श्री यमुना जी को अमरता का वरदान दिया था।

रक्षाबंधन मुहूर्त 2021

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 21 अगस्त की शाम 03 बजकर 45 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 22 अगस्त की शाम 05 बजकर 58 मिनट तक

शुभ समय – 22 अगस्त, रविवार सुबह 05:50 बजे से शाम 06:03 बजे तक.

दोपहर का उत्तम समय – 22 अगस्त को 01:44 बजे से 04:23 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:04 से 12:58 मिनट तक

अमृत काल – सुबह 09:34 से 11:07 तक

ब्रह्म मुहूर्त – 04:33 से 05:21 तक

भद्रा काल – 23 अगस्त, 2021 सुबह 05:34 से 06:12 तक

रक्षाबंधन पर्व का धार्मिक महत्व है

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा बलि को वचन देकर जब श्रीविष्णु जी  पाताल जा पहुंचे तो श्रावण माह की पूर्णिमा को ही लक्ष्मी ने रक्षा सूत्र बांधकर भगवान विष्णु को मांगा था। एक अन्य कथा के अनुसार राजसूय यज्ञ के समय भगवान श्री कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। इसी के बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई। रक्षाबंधन के दिन ब्राहमणों द्वारा अपने यजमानों को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है। इस दिन विद्या आरंभ करना भी शुभ माना जाता है।  जय हो विजय हो