
भगवान श्री रघुनाथ जी के प्रांगण और भृगु गंगा के सुरम्य तट पर स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी की कर्मभूमि इस बार विखोत पर्व पर लोकसंस्कृति और नवोदित प्रतिभाओं की अभिव्यक्ति की साक्षी बनी। राजेन्द्र सिंह चौहान के निर्देशन में गढ़भूमि सांस्कृतिक एवं नाट्य कला मंच के शुभारंभ की यह बेला उपस्थित अतिथियों,भिलंगना घाटी के स्थानीय अभिभावकों और आयोजकों के लिए मानों एक अकल्पनीय उपलब्धि थी।

राइजिंग सन पब्लिक स्कूल घुत्तू के नन्हे मुन्ने कलाकार यूं तो पहले ही दिल्ली में उत्तरायणी के राष्ट्रीय मंच पर राजेन्द्र सिंह चौहान के निर्देशन में माधो सिंह भंडारी की शानदार प्रस्तुति दे चुके थे,उसके बाद भिलंगना क्षेत्र विकास समिति के स्थापना दिवस पर जीतू बगडवाल नाटिका प्रस्तुत की थी,जिसकी बहुत चर्चा और तारीफ हुईं। इन उदीयमान कलाकारों अद्वितीय अभिनय से जीतू बगडवाल नाटिका को जीवंत बनाकर वर्षों बाद भिलंग के विखोत पर्व की भी रंगत लौटा दी।
भाव नाटिका के निर्देशक राजेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि “हमारे सम्मानित अतिथियों,मातृशक्ति के आशीर्वाद,युवा साथियों के सहयोग और दर्शकों की अपार उपस्थिति व तालियों की गूंज ने इस प्रस्तुति को अविस्मरणीय बना दिया।”
मंचासीन अतिथियों में गिरीश बडोनी,इंद्रमणि बडोनी साहित्य कला मंच के अध्यक्ष एडवोकेट लोकेंद्र दत्त जोशी,पूर्व प्रधानाचार्य कुंवर सिंह रावत,केदार बर्तवाल,अब्बल सिंह भंडारी,राम प्रसाद तिवारी,सुनील पैन्यूली,नरेश तिवारी,डॉ.कंसवाल,संतोष नामदेव,महिपाल सिंह कंडारी,पवन पंवार,बद्री रौथान,सुरजीत सिंह चौहान,कमलेश्वर उनियाल,नित्यानंद कोठियाल,अमरीका प्रसाद,सुरेंद्र रावत और केदार सिंह त्रिकोटी प्रमुख थे। जबकि व्यवस्थापक के रूप में डॉ.जयदेव पैन्यूली,पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय महासचिव कवि बीर सिंह राणा,जय विजेंद्र नेगी और केसर सिंह चौहान का विशेष योगदान रहा।

बाल कलाकारों के अभिनय की बात करें तो सुमित राणा ने “जीतू बगडवाल”की भूमिका,सीमा रावत ने जीतू की मां की भूमिका,आरती ने भरणा की भूमिका,सुरेन्द्र भट्ट ने हुड़क्या और राजा,चरण सिंह नेगी ने चाचा उछनू,ऋषभ चौहान ने “सोबनू” और दिल्ली से पधारीं सुहानी सत्ती ने अपनी नृत्य कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अन्य सभी कलाकारों ने प्रभावी प्रस्तुति दी।
विखोत महापर्व पर जिस नाट्य मंच का श्रीगणेश भिलंगना की माटी के सपूत शिक्षा और लोकसंस्कृति के क्षेत्र में निरंतर तल्लीन रहने वाले साधक राजेंद्र सिंह चौहान ने अपनी इस घाटी से किया है ये मंच उत्तराखंड और देश विदेश तक हमारी प्रतिभावान नई पीढ़ी को पहुंचाने का काम करेगा।