उत्तराखंडः-विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद,मां गगा की डोली पहुंची शीतकालीन प्रवास मुखबा

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विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा-अर्चना के बाद गुरूवार को दोपहर 12:09 मिनट पर भैया दूज पर शीतकाल के लिए बंद हो गए। जिसके बाद माता की डोली ने अपने मायके खरसाली के लिए प्रस्थान किया। इस दौरान तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं की भीड़ भी उमड़ी लगभग 2500 श्रद्धालु कपाट बंद होने के अवसर पर यमुनोत्री धाम में मौजूद रहे।

मां यमुना की डोली अपने शीत कालीन खरशाली गावं के लिए रवाना हो गई है। जहा गावं में यमुना जी के स्वागत के लिए तैयारी की गई है। यहां मां यमुना जी शीत कालीन में अगले छ माह तक विराजमान रहेगी। शीतकाल के छःमाह मां तक यमुना की पूजा अर्चना की जायेगी।

कपाट बंद होने के बाद खरसाली गांव से सोमेश्वर देवता की डोली मां यमुना को लेने यमुनोत्री धाम पहुंचती है। इस मौके पर मंदिर में यमुना स्त्रोत का पाठ, यमुना आरती और हवन होता है। जिसके बाद सोमेश्वर देवता की अगवाई में मां यमुना की उत्सव डोली खरसाली गावं लाई जाती है। जहां शीतकाल में मां यमुना की पूजा-अर्चना होगी। यहां पर मंदिर समिति ने शीतकालीन मंदिर को भव्यता से सजाया हुआ है। इस वर्ष यात्रा काल में 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने यमुनोत्री धाम के दर्शन किए।

मां गगा की डोली पहुंची शीतकालीन प्रवास मुखबा

मां गंगा की उत्सव डोली सैकड़ो भक्तों की मौजूदगी में अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा पहुँच गई है। मां गंगा की उत्सव डोली के मायके पहुंचने पर ग्रामीणों ने डोली का पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ भव्य स्वागत किया। मुखवा गाव गंगोत्री से 28 किलोमीटर पहले पड़ता है। यहां अगले छः माह तक मां गंगा की पूजा-अर्चना होगी।

आपको बता दें कि मखुवा गांव के ग्रामीण गंगा को अपनी बेटी मानते हैं। गुरुवार को जब गंगा की डोली मुखवा गांव पहुंची तो डोली का भव्य स्वागत किया गया। मुखवा में डोली के स्वागत के लिए पहले से ही तैयार की गई थी। ग्रामीणों ने परंपरागत लोक नृत्यों और गीतों के साथ अपनी बेटी का स्वागत किया।

इस अवसर पर सेना की 11वाहिनी के जवानों की बैंड की धुनों और परंपरागत ढोल-दमाऊ की धुनों से वातावरण गुंजायमान रहा।