उत्तराखंड की वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के निधन के बाद से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई। सुशीला बलूनी के निधन पर राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने शोक जताया है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी बलूनी का मंगलवार की सांय निधन हो गया था। वह 84 साल की थी। वह बीते काफी दिनों से बीमार चल रही थीं।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने वरिष्ठ उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी तथा उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त की है। राज्यपाल ने कहा है कि संघर्ष की प्रतिमूर्ति स्वर्गीय सुशीला बलूनी के उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण में दिए गए योगदान को चिरकाल याद रखा जायेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी तथा उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन पर दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने सुशीला बलूनी के डोभालवाला स्थिति आवास पर जाकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथक उत्तराखण्ड के निर्माण में सुशीला बलूनी के योगदान को सदैव याद रखा जायेगा। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी ने भी सुशीला बलूनी को श्रद्धांजलि दी।
उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष करण महारा ने वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा कि सुशीला बलूनी जी का राज्य आंदोलन में अविस्मरणीय योगदान है राज्य आंदोलन में एक मुखर एवं संघर्षशील योद्धा के तौर पर उन्होंने प्रतिभाग किया एवं आजीवन उत्तराखंड के विकास के लिए चिंतित एवं संघर्षशील रही उनका यूं ही हम सब को छोड़कर चले जाना स्तब्ध कारी है,आजीवन महिलाओं और आम उत्तराखंड वासियों के लिए उनका संघर्ष हमेशा याद किया जाएगा। करण महारा ने कहा कि मैं कांग्रेस परिवार की ओर से सुशीला बलूनी जी को भावभीनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं एवं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि भगवान इस दुख की घड़ी में उनके परिवार को इस दुख को सहने की क्षमता प्रदान करें।
आपको बता दें कि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सुशीला बलूनी ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्हें भाजपा सरकार में विभिन्न दायित्व भी मिले। बीमारी के बावजूद वे आखिरी समय तक राजनीतिक व सामाजिक कार्यों में सक्रिय रही। वे ताई जी के तौर पर भी पहचानी गईं।