Uttarakhand:-नगर निकाय चुनाव की तैयारी तेजी,भाजपा ने नियुक्त किए प्रभारी,कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह के आरोप पर तंज कहा-निर्वाचन प्रक्रिया पर राजनैतिक आरोप लगाने का नैतिक अधिकार किसी को नहीं

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उत्तराखंड में नगर निकायों के चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने तैयारी तेज कर दी है। हाईकोर्ट में दिए गए 30 जून तक चुनाव संपन्न कराने के शपथ पत्र की भावना के अनुरूप शासन भी इसकी तैयारियों में जुट गया है। इस बीच भाजपा ने निकाय चुनाव की तैयारियों को आगे बढ़ाने के साथ विधानसभा उपचुनावों को विधानसभा प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है।

  • प्रीतम को कांग्रेस में शेष बचे नेताओं की चिंता करनी चाहिए,क्योंकि निकाय व पंचायत चुनाव के दौरान वे भी पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं।
  • ईवीएम एवं संवैधानिक प्रक्रिया पर कांग्रेस को भरोसा नहीं और कांग्रेस पर जनता को भरोसा नहीं।


प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने ईवीएम की सुरक्षा को लेकर कांग्रेसी आरोपों को लोकसभा चुनाव में दिखाई दे रही निश्चित हार के प्रति हताशा बताया है। साथ ही भाजपा की अंदरूनी गतिविधियों पर टिप्पणियों के लिए कांग्रेस पर तंज किया कि उन्हें अपनी पार्टी में शेष रहे गिने चुने लोगों को वहां बनाए रखने की चिंता करनी चाहिए,क्योंकि पंचायत और निकाय चुनाव में बड़े पैमाने पर उनके नेता कार्यकर्ता फिर कांग्रेस को छोड़ने वाले हैं।
पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में श्री भट्ट ने जानकारी दी कि राज्य में रिक्त दो विधानसभा उपचुनाव को लेकर पार्टी ने चुनाव प्रभारी की नियुक्ति की है। जिसके तहत बद्रीनाथ सीट के लिए विजय कप्रवाण एवं मंगलोर सीट के लिए अजीत चौधरी को जिम्मेदारी दी गई है।
इस दौरान निकाय चुनावों को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर पूछे सवालों का जवाब देते हुए कहा,निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है और किसी को भी उसकी प्रक्रिया पर आरोप लगाने का नैतिक हक नही है। सरकार पर इस संबंध में लगाए आरोपों पलटवार कर उन्होंने कहा,विपक्ष भी जानता है कि निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया से सरकार का कोई लेना देना नही है। लिहाजा उनके सभी आरोप तथ्यों से परे और बेबुनियाद हैं।
उन्होंने कहा जहां तक सुझाव की बात है तो उसे सभी दे सकते हैं,हमारे संज्ञान में भी मतदाता सूची को लेकर बड़े पैमाने पर त्रुटियां होने की जानकारी आयी हैं। जिसके संबध में निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से चर्चा की गई है, साथ ही नगर निकाय मंत्री से भी फोन पर वार्ता हुई है। उन्होंने कहा,7 से 10 दिन लगाकर,बीएलओ को डोर टू डोर संपर्क कर सूची को दुरस्त करना चाहिए।
उन्होंने ईवीएम की सुरक्षा को लेकर लगाए गोदियाल के आरोपों पर पलटवार कर कहा,चुनाव आयोग और संवैधानिक प्रक्रिया पर झूठे आरोप लगाना कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है। आज उन्हें सुरक्षा बलों पर विश्वास नहीं,चुनाव आयोग पर विश्वास नहीं और उसके अधीन प्रशासनिक तंत्र पर भी विश्वास नहीं है।
जबकि ईवीएम की सुरक्षा को लेकर लगभग यही प्रक्रिया पहले भी अपनाई जाती रही हैं। क्योंकि अब वह बखूबी जानते हैं कि जनता का उन पर विश्वास नहीं है,इसलिए निर्वाचन प्रक्रिया पर अविश्वास जताकर अपनी खीज उतारी जाए। सुप्रीम कोर्ट के हाल में दिए निर्णय के बाद अब तो कम से कम कांग्रेस नेताओं को ईवीएम को लेकर बयान बाजी से बचना चाहिए।
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा,फिर भी यदि कांग्रेस को कोई शंका है तो उन्हें अपने कार्यकर्ताओं को ईवीएम स्ट्रांग रूम परिसर में तैनात करना चाहिए। साथ ही वहां सीसीटीवी कैमरा से भी 24 घंटे निगरानी की जा रही है उसकी रिकॉर्डिंग देखने का अधिकार सभी को है। ऐसे तमाम आरोपों से एक ही बात साबित होती है कि कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हारने जा रही है।
कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह की भाजपा को लेकर की गई टिप्पणी पर तंज कसते हुए कहा,उन्हें अपनी पार्टी में शेष रह गए लोगों को रोके रखने की चिंता करनी चाहिए बजाय हमारी पार्टी में आए लोगों की। क्योंकि आने वाले दिनों में निकाय एवं पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में कांग्रेसियों का पाला बदलना तय है,लेकिन हम भी चाहते हैं कांग्रेस अब नही टूटे।
साथ कांग्रेस पर कटाक्ष किया कि हमारी पार्टी जो लोग आते हैं उनकी चिंता हम सब करते हैं। और जो छोड़ कर चले भी जाते हैं,उसे हम अपनी कमी मानते हैं, कांग्रेस की तरह आरोप नही लगाते हैं।