
लोकसभा चुनाव से पहले देशभर में सियासी सरगर्मी तेज हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी,कांग्रेस और तमाम दूसरी पार्टियों ने लोक सभा चुनाव के लिए जोर-शोर से तैयारी शुरु कर दी है। भाजपा अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अपने चुनावी मिशन में जुट गई है। यही कारणा हैं कि पार्टी लोकसभा चुनाव में 400 सीट जीतने का दावा कर रही है।
- पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से प्रदेश मंत्री भाजपा,दिल्ली प्रदेश विनोद बछेती को टिकट देने को लेकर एक जुट हो रहा है उत्तराखंड समाज

चुनाव आयोग भी अपनी तरफ से लोकसभा चुनाव-2024 की तैयारी में जुट गया है। इस क्रम में चुनाव आयोग ने 22 जनवरी को दिल्ली में अपडेट वोटर लिस्ट प्रकाशित की है। मुख्य निर्वाचन कार्यालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक इस सूची में 18 से 19 साल आयुवर्ग के युवाओं की संख्या में 85 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और महिला मतदाताओं का पंजीकरण भी बढ़ा है। दिल्ली में विशेष वोटर लिस्ट पुनरीक्षण-2024 के अनुसार,अब राष्ट्रीय राजधानी में कुल 1,47,18,119 मतदाता हैं,जिनमें 79,86,572 पुरुष,67,30,371महिलाएं तथा 1,176 तृतीय लिंगी हैं।
इस वोटर लिस्ट में 2023 की वोटर लिस्ट की तुलना में मतदाताओं की संख्या 58,182 घटी है,वर्ष 2023 की वोटर लिस्ट में पुरुष और महिला मतदाता क्रमश:80,38,676 और 67,36,470 थे। इस संबंध में घर-घर जाकर किये गये सत्यापन के दौरान वोटर लिस्ट से 3,97,004 एंट्री हटायी गई। जिनमें 3,07,788 ऐसे मतदाता थे,जो स्थायी रूप से कहीं और चले गये,56,773 मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है और 32,443 मतदाताओं की एक से अधिक बार एंट्री की गई थी। दिल्ली में मतदाताओं की संख्या कम होने के पीछे मुख्य कारण करीब सवा दो लाख मतदाताओं की ओर से अपना मत दूसरे राज्यों में स्थानांतरित कराना बताया जा रहा है।
दिल्ली में राज्यवार मतदाताओं की बात करें तो दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं के बाद प्रवासियों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी उत्तराखंड से आए मतदाताओं की है। जो लगभग 45 लाख के करीब है। इस आबादी में लगभग 25 से 30 लाख वोटर हैं,जो किसी भी पार्टी का गणित बनाने या बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं। वैसे माना यह जाता है कि परंपरागत रूप ये यह वोटर भारतीय जनता पार्टी के साथ रहता है। यही वजह भी हैं कि 2020 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में भले ही अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने चुनाव में 62 सीटें जीतीं हो,लेकिन उसे दिल्ली में कई सीटों पर रोमांचकारी मुकाबला देखना पड़ा। जिसमें दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सीट पटपड़गंज थी। इस सीट पर उत्तराखंड के मतदाता सबसे ज्यादा संख्या में हैं। इस सीट पर जीत के लिए सिसोदिया को भाजपा के प्रत्याक्षी रवि नेगी से कड़ी टक्कर मिली। यही नहीं,दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जो सात सीटें जीती हैं,उनमें से तीन सीटों पर उत्तराखंड के मतदाताओं ने पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई।
उत्तराखंड मूल के विनोद बछेती को लोकसभा टिकट देने की मांग

दिल्ली को हमेशा से ‘मिनी उत्तराखंड’ कहा जाता रहा है। इसकी एक वजह यह भी रही है कि दिल्ली और उत्तराखंड की दूरी कम होने की वजह से यहां पहाड़ के लोग आसानी से जीवन-यापन के लिए पहुंचते हैं,संघर्ष करते है,कुछ इसमें सफल होते हैं तो कुछ लौट जाते है। राजनैतिक पटल पर बात करें तो देश की राजधानी दिल्ली में राजैतिक पटल पर उत्तराखंड की भूमिका हमेशा अग्रणीय रही है,फिर चाहे वह जाने-माने शिक्षाविद और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री कुलानंद भारतीय हो,डॉ.खुशालमणि घिल्डियाल,केसी पंत,बहादुर राम टम्टा,उषा शास्त्री,सत्या जोशी,लीला बिष्ट,सरला परिहार,दीप्ति जोशी, तुलसी जोशी,वीर सिंह पंवार,कस्तूबानंद बलोदी,दमयंती रावत,गीता रावत,गीता बिष्ट आदि प्रमुख नाम है जिन्होंने राजनैतिक पटल पर तमाम पार्टियों के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा और जीते भी,लेकिन इस सबके बावजूद अभी तक दिल्ली के राजनैतिक परिवेश में उत्तराखंड मूल के व्यक्तियों को वह मान-सम्मान नहीं मिला है,जो उन्हें मिलना चाहिए।
वर्तमान परिवेश की बात करें तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने जरूर अपने राजनैतिक फयादे के लिए या यू कहें कि प्रावसी उत्तराखंडियों को अपनी ओर खींचने के लिए,दिल्ली में उत्तराखंड के लोक गायक स्व.हीरा सिंह राणा को गढ़वाली-कुमाउंनी-जौनसारी भाषा अकादमी में उपाध्यक्ष बनाया था। साथ ही सामाजिक-सांस्कृतिक पटल पर उत्तराखंडियों को अपनी ओर आकृषित करने के लिए उत्तरायणी,मकरैणी पर्व पर बड़े-बड़े आयोजन भी किए हों,लेकिन इस सब के बावजूद ‘आप’ उत्तराखंड के मतदाताओं को अपनी ओर नहीं खींच पाई।
दिल्ली में उत्तराखंड मतदाताओं की बात करें तो विनोद नगर,पांडव नगर,लक्ष्मी नगर,गीता कॉलोनी, मयूर विहार,दिलशाद गार्डन,शाहदरा,सोनिया विहार,करावल नगर,बदरपुर,आर के पुरम,पालम,उत्तम नगर, नज़फगढ़,वसंतकुंज,पटेल नगर,बुराड़ी,संत नगर,दक्षीण पुरी,मनद गिरी,संगम विहार,त्रिलोकपुरी और दिल्ली के कई ग्रामीण क्षेत्रों में उत्तराखंड मूल के वोटर हर चुनाव में हार-जीत में अहम भूमिका निभाते है। यही कारण हैं कि उत्तराखंड मूल के वीर सिंह पंवार,रविद्र नेगी,मोहन सिंह बिष्ट और नीमा भगत के साथ-साथ कई ऐसे चेहरे है जो,आज दिल्ली की राजनीति में बड़ी भूमिका में शामिल है।
इन नेताओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए अब लोक सभा चुनाव 2024 में राजधानी दिल्ली में सक्रिय उत्तराखंड के प्रमुख संगठनों ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से दिल्ली से किसी उत्तराखंडी को टिकट देने की मांग की है। इसके लिए वह पार्टी नेताओं पर दबाव भी बना रहे हैं। इस संबंध में विभिन्न संगठनों ने भाजपा नेतृत्व को पत्र लिखना भी शुरू कर दिया है,और इस क्रम में वर्तमान में प्रदेश मंत्री भाजपा,दिल्ली प्रदेश और पूर्व मयूर विहार दिल्ली के जिला अध्यक्ष विनोद बछेती की नाम दिल्ली में उत्तराखंड सामाज के प्रतिनिधित्व के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा है।
उत्तराखंड के प्रमुख संगठनों का मानना हैं कि दिल्ली में उत्तराखंड मूल के मतदाता बड़ी संख्या में रहते हैं। लेकिन संगठित न होने की से ये टिकट के लिए राजनीतिक दलों पर दबाव नहीं बना पाते हैं। लेकिन आज परिस्थितियां बदल गई है। आज उत्तराखंड समाज एक जुट एक मुट है। वह महज वोटबैंक नहीं है,वह दिल्ली के सामाजिक,राजनैतिक और सांस्कृति पटल पर नई भूमिका में है,यहि वजह हैं कि आज तमाम राजनैतिक पार्टियां हमारी भागीदारी को समझ रही है। इस लिए हम मांग कर रहे हैं कि राजधानी दिल्ली में हमारी भागीदारी को सम्मान देने के लिए उत्तराखंड मूल के शख्स को लोकसभा चुनाव में टिकट दिया जाए।

विनोद बछेती ही क्यों?
पौड़ी गढ़वाल की सितोनस्यू पट्टी के कांडा गांव में जन्में विनोद बछेती की दिल्ली-एनसीआर में उत्तराखंड समाज के साथ-साथ तमाम दूसरे समाज के लोगों की बीच में सामाजिक,सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पटल पर सौहार्दपूर्ण पहचान है। यही वजह भी रही है कि देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अपने राजनैतिक कुनबे में शामिल कर कई जिम्मेदारियां प्रदान की है। जिनमें मयूर विहार दिल्ली के जिला अध्यक्ष और वर्तमान में दिल्ली प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी प्रमुख है।
डॉ,विनोद बछेती की पहचान एक ऐसे नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता और जन नेता की है जो अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की आवाज़ बन हमेशा गरीब और शक्तिहीन लोगों के साथ खड़े होकर उनके हित की बात करते है। श्री बछेती बाल्यकाल से संघ से जुड़े हैं और पिछले 30 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े है। उन्होंने 1994 में पार्टी की सदस्यता ली थी। उनकी मेहनत और पार्टी की प्रति कर्तव्य निष्ठाता को देखते हुए उन्हें 1997 में समिति अध्यक्ष न्यू अशोक नगर-त्रिलोकपुरी मंडल की जिम्मेदारी दी गई। इसी के साथ उन्हें 2002 में उत्तराखंड प्रकोष्ठ का मंडल अध्यक्ष बनाया गया। पूर्वी दिल्ली नगर-निगम में शिक्षा समिति के सदस्य के तौर पर रहते हुए उन्होंने पूर्वी दिल्ली के नगर निगम के स्कूलों में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। डॉ.विनोद बछेती की पार्टी के प्रति सेवा भावनाओं को देखते हुए भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव-2019 के चुनाव में संचलान समिति का सदस्य भी बनाया।
राजनैतिक पटल पर दिल्ली में रहते हुए वह निरंतर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र और उसने वादों की पोल ही नहीं खोल रहे है। बल्कि केंद्र सरकार की जनहितैषी योजनाओं को हितग्राहियों तक सीधे पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। यही वजह हैं भाजपा ने उन्हें कई बड़ी जिम्मेदारियों से नवाजा है।

सामाजिक एवं सांस्कृति पटल की बात करें तो विनोद बछेती उत्तराखंड एकता मंच के संस्थापक सदस्य एवं संयोजक है। दिल्ली की प्रतिष्ठित संस्था गढ़वाल हितैषणी सभा (पंजी) के आजीवन सदस्य,पूर्वी दिल्ली गढ़देशीय भ्रात मंडल (पंजी) के आजीवन सदस्य,पिछले चालीस वर्षों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में रहते हुए उत्तराखंड समाज एवं दिल्ली की तमाम सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर समाज के हित में निरंतर सेवा कार्यों का निर्वहन कर रहे है।
सशक्त राष्ट्र,सशक्त उत्तराखंड के परिकल्पना के साथ उन्होंने जब दिल्ली के रामलीला मैदान में 20 नवंबर 2016 को जब एकजुट-एकमुट अभियान के जरिए पूरे भारत में निवासित उत्तराखंडियों को एक मंच पर लाने का सफल प्रयास किया तो तमाम राजनैतिक पार्टियों को उत्तराखंड के जन-मानस की वास्तविक शक्ति का एहसास हुआ। यहि कारण हैं कि आज उन्हें दिल्ली में उत्तराखंड के प्रतिनिधित्व करने के लिए उत्तराखंड समाज एक सुर में मांग कर रहा है।
दिल्ली में उत्तराखंडी भाषा गढ़वाली-कुंमाउनी-जौनसारी के उत्थान की बात हो तो श्री बछेती दिल्ली में पिछले कई वर्षों से गढ़वाली-कुंमाउनी-जौनसारी कक्षाओं का आयोजन कर रहे है,जिसके माध्यम से दिल्ली में रह रहे हजारों बच्चे अपनी भाषा-बोली को सीख कर बोलने भी लगे है। दिल्ली सरकार की गढ़वाली-कुंमाउनी-जौनसारी अकादमी के गठन के लिए उनका प्रयास महत्वपूर्ण रहा। जिसके फलस्वरूप दिल्ली सरकार ने दिल्ली में गढ़वाली-कुंमाउनी-जौनसारी अकादमी का गठन किया।

श्री बछेती के अथक प्रयासों से दिल्ली में उत्तराखंड के लोक पर्व उत्तरैणी-मकरैणी के लिए पहाड़ वासियों को एक मंच पर लाकर दिल्ली में सौ से ज्यादा स्थानों पर उत्तरैणी-मकरैणी पर्व का आयोजन किया जाने लगा है। उत्तराखंड सामज के हर दुःख-सुख में भागीदारी निभाने वाले डॉ.विनोद बछेती पिछले कई वर्षों से दिल्ली में रह रहे उत्तराखंडी प्रावासियों के उत्थान के लिए हर जगह,हर समय उपलब्ध है। पहाड़ के लोगो के दुःख-सुख में उनकी भागीरथी भागीदारी आज किसी से छुपी नहीं है। वह पहाड़ की सशक्त आवाज बन दिल्ली में रह रहे उत्तराखंडियों के लिए निरंतर आवाज उठा रहे है।
नजफगढ़ में उत्तराखंड की बेटी किरन नेगी की को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन के साथ-साथ दिल्ली में उत्तराखंडी प्रवासियों पर होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होकर आवाज उठाना एवं उन्हें न्याय दिलाने की दिशा में निरंतर संघर्षरत रहने में उनकी भूमिका अग्रणीय है।
सांस्कृति पटल पर भी डॉ.बछेती निरंतर सेवाओं की नई परिभाषा लिख रहे है। सुप्रसिद्ध लोक गायक,गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के जन्मदिन पर प्रेरणा दिवस की शुरूआत,लोक के चितेरे जनकवि स्व.हीरा सिंह राणा सहित उत्तराखंड के लोक कलाकारों का सम्मान,उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच के माध्यम से उत्तराखंड की भाषा-बोली के “शिक्षकों का सम्मान समारोह”,सन् 2019 में उत्तराखंड की सामाजिक पृष्ठभूमि से जुड़ी महिलाओं के लिए दीदी कमला रावत सम्मान की शुरूआत प्रमुख है।
डॉ.विनोद बछेती एक जुझारू,संघर्षरत और एक अजीब सी छटपटाहट के साथ,उस हर जरूरतमंद व्यक्ति के साथ खड़ा शख्स है,जिनकी हर सांस उत्तराखंड के लोगों के लिए समर्पित है। यहि वजह हैं कि लोक सभा चुनाव-2024 में दिल्ली में निवासित उत्तराखंडी समाज डॉ.बछेती को पूर्वी दिल्ली से टिकट दिने की मांग ही नहीं कर रहा है,बल्कि भारी मतों से उन्हें विजय बनाकर लोक सभा भेजने की तैयारी भी कर रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी की उत्तराखंड सामज की इस मांग को भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कितनी गंभीरता से लेता है।