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दिल्ली के अशोक नगर में डीपीएमआई सभागार में वरिष्ठ लेखिका रामेश्वरी ‘नादान’ के उपन्यास ‘वक्त कब ठहरा है’ और बाल कहानी संग्रह ‘अक्ल बड़ी या भैंस’ का लोकार्पण वरिष्ठ कवि,साहित्यकार ललित केशवान,वरिष्ठ बाल साहित्यकार घमंडीलाल अग्रवाल,लेखक विनय सक्सेना,हेमा उनियाल,नरेंद्र उनियाल ‘ननू’,साहित्यकार ड्रॉ.अखिलेश द्विवेदी’अकेला’ और डीपीएमआई के चेयरमैन डॉ.विनोद बछेती ने किया।
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इस अवसर पर उपस्थिति प्रबुद्धजनों,समाजसेवियों और साहित्यकारों को अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित लेखकों ने लेखिका रामेश्वरी नादान के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला और उनके लेखन को उनका देखा-भाला सत्य बताते हुए कहा कि वह किसी का अनुकरण नहीं करती है। इस लिए उनके साहित्य में ताजगी है। नादान के लेखन में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू और भाषा में लोकतत्व झलकता है।
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रामेश्वरी ‘नादान’ के उपन्यास ‘वक्त कब ठहरा है’ में कोरोनाकाल में जीवन और मृत्यु से संघर्ष करती लेखिका ने जीवन के सत्य और मूल्यों को उकेरा गया है। बाल कहानी संग्रह ‘अक्ल बड़ी या भैंस’ में मुहावरों और लोकोक्तियों को कहानी के रूप में प्रयोग करके समझाया गया है।
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इस मौके पर कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यकारों और शुभचिंतकों ने नादान को आशीर्वाद व शुभकामनाएं दीं। आपको बता दें कि रामेश्वरी ‘नादान’ की इन पुस्तकों को रावत डिजिटल (बुक पब्लिशिंग हाउस) ने प्रकाशित किया है। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि-लेखक दिनेश ध्यानी ने किया।
रिपोर्ट- अभय द्विवेदी