1-
टंगी है लालटेनअभी भी
एक उम्मीद को लिए-
लालटेन मौन है
एक लावा है
जो हथेलियों में सिमट गया
बढ़ेंगे हाथ और
ये लालटेन
उजालों से भर जायेगी
आएंगे सब, लौटकर आएंगे
जैसे लौट आते हैं पंछी
अपनी-अपनी डार पर-
2-
सो जाइए
इसलिए भी कि
नींद उतर गयी है
नीले किसी गहरे सागर में
कोई नाविक
ढूंढता है किनारों को
बीच मझधार में
रेत के मरुस्थल में
सपनों के झरने
टकटकी लगाए बैठे हैं-
सुबह शायद
कोई बादल
पानी लेने जाए
सागर के पास
एक आस,
बूंद सी प्यास
तब अधरों में
मोती बन नाचेगी
3-
हवाएं नाम रखती हैं
यदि आप होंठो पर
मुस्कुराहट नहीं रखते
मैं नीम के पेड़ के पास
हरे पत्तों को भी
मुस्कुराता हुआ,देख रहा हूँ
ये अभी भी हरे-भरे हैं
लो !बसंत आएगा
नीम फिर से
नई कोंपल के साथ
खिलखिलायेगा–
4-
सपनों की ही
किसी उम्मीद में,
वो देखता है सपना!
फूलों ने
आँख-मिचौली की
और खिल गए
उम्मीद पाले
पंछी उड़ रहे हैं
ठहरो! एक नदी थमी है
सपने से जागने के लिए–
लौटेगा तब मौसम
उम्मीद के
ख़ुशनुमा बादल लिए