New Delhi:-विहिप के संस्कृत आयाम द्वारा संचालित 10दिवसीय अखिल भारतीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग का समापन विहिप के संरक्षक,दिनेश चंद्र ने कहा-हिंदुत्व के साथ देश में संस्कृतमय वातावरण बनाएं

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आज विश्वभर में भारत अंतरिक्ष से लेकर अर्थजगत और सामरिक शक्ति से लेकर सांस्कृतिक पहचान को प्रमाणित कर रहा है,यह गौरवमय कालखंड है। गौ,गंगा,वेद और संस्कृत की रक्षा के लिए आवश्यक है कि हम घर-घर और जन जन-जन तक संस्कृत भाषा को पहुंचाएं,मुझे पूर्ण विश्वास है कि हमारे इस अखिल भारतीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग से निकले शिक्षक इस मिशन को साकार करेंगे।

ये विचार नई दिल्ली स्थित वसंत विहार के ललित महाजन सरस्वती बाल विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विहिप के संस्कृत आयाम द्वारा संचालित 10 दिवसीय अखिल भारतीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विहिप के संरक्षक,अशोक सिंहल वैदिक विज्ञान शोध संस्थान के अध्यक्ष और संस्कृत आयाम के पालक अधिकारी दिनेश चंद्र ने व्यक्त किए।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए वर्गाधिकारी प्रो.गणेश भारद्वाज ने कहा कि दुनिया को हिंसा,घृणा,झूठ,भ्रष्टाचार और आतंक से देववाणी संस्कृत ही बचा सकती है। दिवसीय संस्कृत व्यवहार वर्ग अवश्य लगाएं। वर्ग के प्रमुख अधिकारी और राष्ट्रीय आयाम प्रमुख प्रो.देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि भारत की प्राच्य विद्याओं और आधुनिक ज्ञान विज्ञान के विषयों पर गंभीर और प्रामाणिक अनुसंधान के प्रयास किए जा रहे हैं।

विहिप के राष्ट्रीय मंत्री और वेद विभाग के प्रमुख श्री हरिशंकर ने कहा कि इस अखिल भारतीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग में 17 प्रांतों से और 49 प्रमुख स्थानों से आए हमारे ये 65 प्रशिक्षित शिक्षक अपने क्षेत्र में जाकर प्रतिदिन 2 घंटा 10 दिवसीय संस्कृत व्यवहार शिविर लगाएं। आयाम के राष्ट्रीय सह प्रमुख और वर्ग के प्रमुख पदाधिकारी डॉ.दिनेश शास्त्री ने कहा कि आयाम नए समय,परिस्थितियों और ज्ञान विज्ञान के साथ युवा पीढ़ी को संस्कृत सेवा के लिए प्रेरित करने को प्रतिबद्ध है।

10दिवसीय संस्कृत वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए वर्ग के संयोजक डॉ.सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि इस संस्कृत वर्ग में शिक्षार्थियों को जहां विहिप के राष्ट्रीय पदाधिकारियों आलोक कुमार,बजरंग लाल बागड़ा,मिलिंद परांडे और वेंकट कोटेश्वर राव से सांगठनिक कौशल के सूत्र मिले वहीं प्रो.बलराम पाणि,प्रो.रमेश कुमार पाण्डेय,प्रो.रामनाथ झा,डॉ.गायत्री मुरली कृष्ण,डॉ.जीतराम भट्ट,ले.ज.(से.नि.)ए.एस.रावत,डॉ.राजेंद्र प्रसाद जोशी,प्रो.जयप्रकाश दुबे,डॉ.नीलांबर पांडेय चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश्वर पैन्यूली जैसे महानुभावों से बौद्धिक मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ।

संस्कृत वर्ग में सहयोग हेतु जिन शिक्षकों और व्यवस्थापकों को सम्मानित किया गया उनमें डॉ.सूर्यमोहन भट्ट,डॉ.सूर्यमणि भंडारी,प्रो.अशोक थपलियाल,डॉ.चितरंजन कौशल,डॉ.चंद्रमोहन शर्मा,डॉ.शिव कुमार शास्त्री,डॉ.गीता आर्य,डॉ.योगेन्द्र शर्मा,डॉ.दीपक वशिष्ठ,डॉ.अंशुल दुबे,डॉ.सुशील बिजल्वाण,डॉ.अश्विनी शास्त्री,विजय राव,रोहित,पूरण अधिकारी,दुर्गेश मिश्र और आनंद कौशिक आदि प्रमुख हैं।

अखिल भारतीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के समापन कार्यक्रम का संचालन डॉ.सूर्यमणि भंडारी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन आयाम के बौद्धिक प्रमुख डॉ.कृष्ण चंद्र पांडेय ने किया।