उत्तराखंड-मतगणना से पहले भाजपा-कांग्रेस को सताने लगा है खरीद-फरोख्त का डर,अपने-अपने विधायकों को दूसरे राज्य में शिफ्ट करने की तैयारी

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में पांच दिन शेष बचे है। लेकिन भाजपा-कांग्रेस पार्टी ने अभी से फूट से बचने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। कांग्रेस 2017 के चुनाव से सबक लेते हुए अपने विधायकों को सुरक्षित जगह पर ठहराने के इंतजाम कर रही है। कुछ इसी तरह की स्थिति भाजपा में बनी है। भाजपा भी अपने जीते विधायकों को सरकार बनने से पहले सुरक्षित जगह पहुंचाने की रणनीति बना रही है।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार पांच राज्यों उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,गोवा,पंजाब और मणिपुर में इस बार विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते है जिसे देखते हुए इन राज्यों में चुनाव लड़े रहे दलों की धड़कने बढ़ गई है। इन्हें खरीद-फरोख्त का डर भी सताने लगा है। खास तौर पर भाजपा-कांग्रेस को खरीद-फरोख्त के डर ज्यादा परेशान कर रहा है। यही वजह हैं कि चुनाव नतीजों से पहले ही यह दल अपने-अपने जीते विधायकों को दूसरे राज्य में भेजने की तैयारी कर रहे है।

10 मार्च को परिणाम घोषित होने से पहले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत  ज्यादा चिंतित दिख रहे है। यही वजह भी हैं कि हरीश रावत अपने जीते विधायकों को दूसरे राज्यों मे शिफ्ट करना चाहते है। माना जा रहा है कि उत्तराखंड कांग्रेस के कुछ विधायक विधानसभा चुनाव घोषित होने से पहले राजस्थान जा सकते हैं। यह इसलिए भी कहा जा रहा हैं कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा हैं कि कांग्रेस दल-बदल को प्रश्रय नहीं देती। लेकिन भाजपा दल-बदल का खेल करेगी तो हम उसका जवाब देंगे,अब की बार हम भी चूकेंगे नहीं। हरीश रावत ने कहा कि हम राज्य में 2017 की स्थिति इस बार नहीं होने देंगे।

विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के से पहले भाजपा को भी खरीद-फरोख्त का डर सता रहा है। इसी आशंका के मद्देनजर भाजपा भी मतगणना के बाद सभी विजयी प्रत्याशियों को दूसरे राज्यों में भेजने की तैयारी कर रही है। इसी मद्देनजर 7 मार्च को भाजपा ने देहरादून में एक बैठक सुनिश्चित की है। जिसमें प्रदेश चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने सभी सांसद,प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष,विधानसभा प्रत्याशी एवं विधानसभा प्रभारियों को आमंत्रित किया है।