उत्तराखंडः-भाजपा का कांग्रेस पर तंज कहा-केदारनाथ में गर्भगृह के स्वर्ण मंडित का विरोध कांग्रेस का सनातन विरोधी कदम

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भारतीय जनता पार्टी ने श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने की प्रक्रिया का कॉंग्रेस द्धारा किए जा रहे विरोध को सनातन विरोधी मानसिकता और दान दाताओं को षड्यंत्र के तहत हतोत्साहित करने वाला बताया। पार्टी प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि गर्भगृह को भव्य और दिव्य बनाने के इस विधिसम्मत व परंपरा अनुरूप कार्य को कांग्रेस नेता दुर्भावनावश मंदिर व परंपराओं से छेड़छाड़ का भ्रम फैला कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।

चौहान ने इसे कोंग्रेसी नेताओं का विवाद खड़ा करके इस धार्मिक कार्य में विध्न डालने की कोशिश बताया। उन्होंने कहा कि शासन की अनुमति से ही चारधाम से जुड़ी सभी परम्पराओं और मान्यताओं को सज्ञान में रखते हुए श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति एक भक्त के सहयोग से मंदिर गर्भगृह को स्वर्ण से सुशोभित करने का कार्य कर रही है। ऐसे में सिर्फ और सिर्फ विरोध की राजनीति करने के उद्देश्य से मंदिर की वस्तु संरचना से छेड़छाड़ के आरोप लगाकर दुष्प्रचार करने को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है।  

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मंशा हमेशा से ही हिन्दुत्व विरोधी और दान-धर्म करने वाले भक्तों का उत्साह तोड़ने वाली रही है । वर्तमान प्रकरण में भी वह और उनकी पार्टी संगठित रूप में इस तरह के विवाद विवाद खड़ा करके अन्य श्रद्धालुओं को दिग्भ्रमित कर सहयोग करने से रोकने की साजिश में लगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि धार्मिक कार्यों में बाधा डालने का जो कुत्सित प्रयास आज कॉंग्रेस की प्रदेश इकाई कर रही है,वहीं उनकी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर करती आयी है,चाहे प्रभु श्री राम को काल्पनिक साबित करने की कोशिशें रही हों, चाहे श्री राम मंदिर निर्माण के विरोध में रात दिन एक करने की कोशिश रही हो या अन्य तमाम हिन्दुत्व विरोधी कोशिशें रही हो।

पौराणिक मान्यताओं,परंपराओं के अनुरूप हो रहा सोने की परत चढाने का कार्यः-अजेंद्र अजय

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में छेड़छाड़ किए जाने संबंधी समाचारों को विपक्ष के दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाने के मामले में धार्मिक मान्यताओं,परम्पराओं और पुरातत्व विशेषज्ञों की सलाह का पूरा पालन किया जा रहा है।

अजेंद्र ने कहा कि महाराष्ट्र के एक शिवभक्त के प्रस्ताव पर बीकेटीसी ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की प्लेटें लगाने की अनुमति प्रदेश सरकार से प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गर्भगृह में चारों दीवारों पर चांदी की प्लेटें लगी थीं। शासन से अनुमति मिलने के पश्चात गर्भगृह में लगीं चांदी की प्लेटें उतार दी गईं। गर्भगृह का आवश्यक माप इत्यादि लेकर उस अनुरूप सोने की प्लेटें तैयार कर लगाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि चूंकि गर्भगृह में पूर्व में चांदी की प्लेटें लगी थीं। लिहाजा,सोने की प्लेटें लगाने के लिए गर्भगृह में नाममात्र के लिए ही अतिरिक्त कार्य की आवश्यकता होगी।

उन्होंने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की प्लेटें चढ़ाए जाने मामले में कुछ लोगों के विरोध को औचित्यहीन बताया और कहा कि ऐसा करने से किसी भी प्रकार की परंपराओं अथवा धार्मिक मान्यताओं से छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि इतिहास साक्षी है कि प्राचीन काल से ही हिंदू मंदिर वैभवता के प्रतीक रहे हैं। स्वर्ण व रत्नजड़ित आभूषणों से देवी-देवताओं का श्रृंगार किया जाता था। मंदिरों के गर्भगृह व स्तंभ मूल्यवान धातुओं व रत्नों से सजाए जाते थे। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर में मुगल शासकों द्वारा कई बार लूटपाट मचाए जाने का इतिहास में वर्णन मिलता है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में भी सोमनाथ व काशी विश्वनाथ समेत अनेक बड़े शिवालयों के गर्भगृह से लेकर बाहरी आवरण तक को सोने से सजाया गया है। उन्होंने कहा कि जो लोग केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाए जाने का विरोध कर रहे हैं, वो सोशल मीडिया पर शास्त्रों का हवाला देकर कई भ्रामक तथ्य फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि समय के साथ धार्मिक स्थलों में आवश्यक परिवर्तन स्वाभाविक हैं।

अजेंद्र ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि दशकों पहले तक श्री केदारनाथ मंदिर की छत घास-फूस (स्थानीय भाषा में खाड़ू) से बनायी जाती थी। श्री केदारनाथ मंदिर की छत के लिए खाड़ू घास उगाने के लिए कुछ खेत नियत थे। स्थानीय भाषा में उन ढालनुमा खेतों को “खड़वान” कहते हैं। उसके बाद समय बदला तो घास के स्थान पर पत्थर के पठाल लगायी गयी। उसके बाद टिन की छत तथा वर्तमान में तांबे के पतरों (शीट) की छत है।