भाजपा ने कहा कि जिस तरह से पूर्व सीएम हरीश रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को मानवीय चेहरे के रूप मे महिमामंडित कर रहे हैं। वह पूरी तरह से खुद को आत्ममुग्धता के खोल मे बंद करने जैसा और दरबारी राग है। उन्होंने कांग्रेसियों के जम्मू-कश्मीर मे जोशीमठ मुद्दे पर नुमाइश को प्रदेश की साख और चार धाम यात्रा सहित पर्यटन पर बट्टा लगाने की कोशिश बताया। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं पर निशाना साधा कि जो राहुल के निर्देशों पर आपदा राहत के लिए जोशीमठ नही पहुंचे वो उनके संभावित दौरे पर ढींगे हांक रहे हैं।
श्री चौहान ने कहा कि 2013 की आपदा के समय भी राहुल गांधी प्रचार पॉलिटिक्स के तहत उत्तराखंड आये थे और हवाई दौरा कर चले गए। राहत सामग्री पर उनके चित्र लगे थे और उसे हरी झंडी देने के फेर मे सामग्री खराब हो गयी थी। उसके बाद वह बाढ़ को लेकर शांत हो गए और उन्हे भूख से तड़पते या ठंड से ठिठुरते लोग याद नही आये।
चौहान ने कहा कि एक ओर राज्य आपदा की विभीषिका से जूझ रहा था तो राहत कार्यो मे जुटने के बजाय राज्य मे कांग्रेस सत्ता संघर्ष मे लगी रही और सीएम बदल गए। लेकिन राज्य मे भ्रष्टाचार की आपदा शुरू हो गयी। तमाम घोटालों की गूंज पूरे देश तक पहुंची,लेकिन इन घोटालों से कराहते राज्य और राज्य के लोगों की वेदना कांग्रेस के युवराज के कानों तक नहीं पहुंची या उन्होंने इसे जानबूझकर अनसुना कर दिया।
उन्होंने कहा कि आज राज्य के हर मुद्दे पर चौकस रहने का नाटक करने वाले युवराज और महिमामंडन कर रहे पूर्व सीएम हरदा की जुगलबंदी को लेकर राज्य के कांग्रेसी भी खिन्न बताये जाते है। क्योकि तमाम घपले घोटालों की सरकार को शह देने के पीछे उनका ही बरदहस्त माना जाता है।
चौहान ने कहा कि जोशीमठ आपदा के पीड़ितों के हक के लिए जम्मू-कश्मीर मे पर्चा बाँटकर प्रदर्शन नहीं,बल्कि पीड़ितों के बीच आकर सेवा कार्यो मे हाथ बंटाने की जरूरत है। पीड़ितों के लिए राहत और पुनर्वास की पर्याप्त व्यवस्था सरकार कर रही है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद राहत कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे है।
उन्होंने कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को याद दिलाया कि राहुल गांधी ने तो उन्हें जोशीमठ के लोगों की तकलीफ साझा करने को भी कहा था लेकिन किसी ने अमल नही किया और भारत जोड़ो यात्रा में पहुंच गए। विपक्ष सरकार को सुझाव दे सकती है, लेकिन जब जोशीमठ मे शोर शराबा कर उसे कुछ हासिल नही हुआ तो वह मुद्दे को राजनैतिक रंग देने के लिए भारत जोड़ो यात्रा मे पहुँच गयी। राज्य मे परियोजनाओं को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रही कांग्रेस को इसका भान है कि सभी परियोजनाएं उसके ही कार्यकाल मे बनी है।
उन्होंने करिश्माई नेतृत्व पर तंज कसते हुए कहा कि उनके नेतृत्व मे कांग्रेस सैकड़े से आधी रह गयी है और महिमामंडन करने वालों के नेतृत्व मे भी राज्य मे अस्तित्व की लडाई लड़ रही है।