
नई दिल्ली में उत्तराखंड में भू-कानून की मांग की मांग को लेकर भू-कानून संघर्ष समिति दिल्ली एनसीआर द्वारा सांकेतिक धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। जिसमें उत्तराखंड में जमीनों की हो रही खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने एवं पड़ोसी राज्य हिमाचल की तरह उत्तराखंड में भी सख्त कानून बनाए जाने की मांग को लेकर दिल्ली स्थित उत्तराखंड स्थानिक आयुक्त के कार्यालय के समुख उत्तराखंड भू-कानून संघर्ष समिति के तत्वावधान में एक दिवसीय धरने का आयोजन किया गया। इस मौके पर भू-कानून संघर्ष समिति के तत्ववाधान में एक दिवसीय धरने का आयोजन किया गया। इस मौके पर भू कानून बनाए जाने एवं तुरंत लागू किए जाने की मांग को लेकर स्थानीय आयुक्त के माध्यम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन प्रेषित किया गया।

उत्तराखंड भू कानून संघर्ष समिति द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया कि प्रदेश सरकार द्वारा भू-सुधार कानूनों में संशोधन करके राज्य में भूमि खरीद की असीमित छूट दे दी गई है। इस से राज्य में भूमिहीन हो रहे हैं स्थानीय नागरिकों में रोष है। समिति का कहना है कि सरकार द्वारा भूमि खरीद की असीमित छूट दिए जाने से पिछले कुछ वर्षों में बाहरी लोगों द्वारा जमीनों की खरीद-फरोख्त की जा रही है। जिसके कारण प्रदेश की संस्कृति सभ्यता आदि को भारी खतरा होने की आशंका के चलते आज स्थानीय लोग अपनी जमीन में चौकीदारी करने को मजबूर हो रहे हैं। मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया कि उत्तराखंड की सामाजिक सांस्कृतिक एवं मूल अवधारणा को बनाए रखने हेतु संघर्ष समिति उत्तराखंड की जनता की ओर से हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू संरक्षण कानून बनाए जाने की मांग करती है।

इस मौके पर धरना देने वालों में भू कानून संघर्ष समिति के अलावा दिल्ली में कार्यरत उत्तराखंड की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के लोग भी शामिल थे। जिनमें मातृभूमि सेवा पार्टी,देव सेना संगठन,उत्तराखंड आवाज मंच,उत्तराखंड जनसंपर्क मंडल,उत्तराखंड एकता समिति इंदिरापुरम,शिक्षा से शिखर तक,यूथ फ़ॉर यूके शामिल हुए।
उत्तराखंड भू-कानून संघर्ष समिति द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय धरने में उमेश खंडूरी,उत्तराखंड क्रांति दल पुरुषोत्तम शर्मा,किसान नेता धीरेंद्र प्रताप,कांग्रेस नेता देव सिंह,आंदोलनकारी उत्तराखंड आंदोलनकारी शशि मोहन कोटनाला,हरिपाल रावत,कांग्रेस के सचिव एवं उत्तराखंड के जाने-माने कवि भगवती प्रसाद सहित बड़ी संख्या में उत्तराखंड समाज के लोग उपस्थित रहे।