उत्तराखंडी बोली भाषा संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन के लिए बैठक मुंबई के ठाणे में मुन्ना भाई महादीप सिंह बिष्ट के कार्यालय में आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता पूर्व प्रधानाचार्य साहित्यविद भुवनेन्द्र सिंह बिष्ट द्वारा की गई।
इस अवसर पर डॉ जलंधरी ने कहा कि हम उतराखण्ड और उतराखण्डी के साथ मां माटी मातृभूमि मातृभाषा का रैबार लेकर आए हैं। जिस तरह कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल को मिला कर उतराखण्ड राज्य की स्थापना हुई उसी तरह कुमाऊनी और गढ़वाली के समान शब्दों के आधार पर उत्तराखंडी भाषा अस्तित्व में आए, यह सबका उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंडी भाषा का पहला माडल ‘मौल्यार’ नाम से पाठ्यक्रम तैयार हो चुका है। हम प्रवास में उत्तराखंड समाज की संस्थाओं से समर्थन पत्र लेकर उत्तराखंड सरकार से ‘उत्तराखंडी भाषा परिषद’ बनाने की मांग करेंगे।
बैठक में महावीर प्रसाद पैनूली,भुवनेन्द्र बिष्ट,चामू सिंह राणा,शशि नेगी,मोहन सिंह बिष्ट,बीबी पाठक,रमन कुकरेती,अमन (पप्पू) बड़त्वाल,कैलाश चंद्र आदि ने विचार रखे। मंच संचालन रमेश गोदियाल ने किया।
बैठक में एक प्रस्ताव पर चर्चा हुई कि मुंबई में सभी संस्थाओं का इस विषय पर एक विशाल अधिवेशन का आयोजन किया जाय। जिसमें गढ़वाल कुमाऊं बाद से ऊपर उठकर सभी लोग एक मत एक मंच से उत्तराखंड और उतराखण्डी की बात करें। इस प्रस्ताव का सभी ने करतल ध्वनि से स्वागत किया।
इस बैठक में मुंबई में उत्तराखंडी समाज की संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भाग लिया। मार्च के अंत में काम का दबाव, कार्य दिवस व बहुत कम समय में बैठक का आयोजन होने से कुछ संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित नहीं हो सके। उन सभी से लगातार सम्पर्क बना हुआ है।
इस बैठक जिन संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया उनमें हिमालय पर्वतीय संघ के पूर्व अध्यक्ष चामू सिंह राणा,गढ़वाल भ्रात मंडल से वरिष्ठ समाजसेवी रमन मोहन कुकरेती,देवभूमि कला मंडल के अध्यक्ष अशोक मुरारी,भिलंग जन जाग्रति मंडल के अध्यक्ष अमन (पप्पू)बड़त्वाल,अखिल भारतीय उतराखण्ड महासभा एवं ओमकार सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महावीर प्रसाद पैनूली,उत्तरांचल महासंघ से कैलाश चंद्र,सानदी रावत,शशी नेगी,गढ़वाल एकता समिति ठाणे से बलवीर सिंह,गढ़ कुमाऊं पर्वतीय समाज विरार से मोहन सिंह बिष्ट,गीतकार कवि गायक रमेश गोदियाल,वरिष्ठ समाजसेवी बीबी पाठक,युवा पीढ़ी के जुझारू समाजसेवी सतीश रिखाडी,चार्टर्ड अकाउंटेंट रणवीर सिंह नेगी,सामना के उप संपादक राकेश खंकरियाल आदि उपस्थित हुए।