काव्यांश प्रकाशन की ओर से प्रकाशित अमित श्रीवास्तव के कहानी संग्रह “कोतवाल का हुक्का” पर अनौपचारिक चर्चा व लेखक से संवाद कार्यक्रम का आयोजन रिजर्व पुलिस लाइन,रेसकोर्स स्थित सम्मेलन सभागार में किया गया। साहित्यिक विचार गोष्ठी में श्रीकांत दूबे ने कहानीकार के साथ उनकी कहानियों के शिल्प पर विमर्श किया संवाद के जरिए पुस्तक पर विस्तृत चर्चा की।
इस मौके पर लेखक ललित मोहन रयाल (शहरी विकास निदेशक, उत्तराखंड) एवं सूचना महानिदेशक रणवीर चौहान ने पुस्तक पर अपने विचार साझा किए।
आपको बता दें कि संग्रह में संवेदनशील मसलों पर कहानियाँ है। गलतफहमी व परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के चलते भलमनसाहत में कदम उठाए सजायाफ्ता पुलिसकर्मियों की कहानियाँ भी हैं। जहाँ अधिकांश लघु कथाएं परिभाषिक सी प्रतीत होती है,वहीं लंबी कहानियां पुलिस की छवि और हैसियत को रेशा-रेशा खोल कर रख देती है।
कथाकार अमित श्रीवास्तव के लेखन में एक खास बात देखने में आती है की कहानी को वे कविता की दृष्टि से देखते हैं। वे पिटे हुए वर्तमान को मुग्ध इतिहास की नजर से देखने के पक्षधर कभी नहीं लगे। उनके पास भौगोलिक वृतांत अपने स्वरूप में पूर्णता को प्राप्त होते नजर आते हैं। चित्रण इतना सजीव कि उपमाएं और उपमान दृश्यचित्र की तरह उभर आते हैं। उनके लेखन में ठोस यथार्थ और गतिशील समय की गूंज है। भाषा इतनी सरल कि कोई भी बहता चला जाए।
संवाद परिचर्चा में कथाकर सुभाष पंत,नवीन नैथानी,डीएन भट्टकोटी,गंभीर पालनी,डॉ सविता मोहन,गीता गैरोला,राजेश सकलानी,दिनेश जोशी,भुवन चंद कुनियाल,शंखधर दुबे,देवेश जोशी,जितेंद्र भारती,राजेश पाल,राकेश जुगरान,रुचिता तिवारी,प्रिय आशुतोष,श्रीकांत दुबे,विनोद मुसान,सतेंद्र डंडरियाल,अरविंद शेखर,लक्ष्मी प्रसाद बडोनी आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम संचालन नितिन उपाध्याय ने किया। अंत में काव्यांश प्रकाशन की ओर से प्रबोध उनियाल ने आए हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।