बच्चों ने कहा ऑनलाइन पढ़ाई से अच्छी है ऑफलाइन पढ़ाई

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ऋषिकेश में गंगोत्री विद्या निकेतन इंटरमीडिएट कॉलेज में ‘छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर लॉकडाउन का प्रभाव’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें विद्यालय संचालकों,अभिभावकों, शिक्षक -शिक्षिकाओं सहित छात्र-छात्राओं में भी अपने विचार साझा किए।

शिक्षाविद बंशीधर पोखरियाल ने कहा जहां जीवन रक्षा के लिए लॉकडाउनअनिवार्य था,वहीं दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से अध्यापन का दूसरा कोई विकल्प नहीं था। इसमें निम्न आय वर्ग के अभिभावकों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। वह इसका समुचित उपयोग नहीं कर पाए। जिनके दो-तीन बच्चे थे वे अभिभावक इस लाभ से वंचित रहे तब संसाधन विहीन छात्रों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रमोद मलासी ने स्वीकारा इस विश्वव्यापी महामारी से निश्चय ही शिक्षा में गतिरोध उत्पन्न हुआ है जिससे बच्चों का जीवन अत्यधिक प्रभावित हुआ है व उनके मानसिक स्तर में भी गिरावट आई है। विद्यालय संचालक राम प्रसाद उनियाल ने कहा कि बच्चों को जो शिक्षा विद्यालय में दी जाती है वह दूरस्थ शिक्षा से नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में दी गई शिक्षा का अपना विशेष महत्व है।

प्रबोध उनियाल ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई बहुत छोटे बच्चों के लिए परेशानी का सबब ही रही। शिक्षक प्रवीण अंथवाल ने कहा कि लॉकडाउन के नकारात्मक पहलुओं के साथ सकारात्मक पहलू भी देखने को मिले हैं। वहीं यज्ञव्रत पोखरियाल ने भी शिक्षा में व्यवहारिकता को ही स्वीकारा।

अंजना कंडवाल व संतोषी खंतवाल ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों के स्वास्थ्य में भारी गिरावट देखी गई। वे अवसाद ग्रस्त हो गए। छात्र- अध्यापिका पिंकी राजभर व राखी पंत ने कहा कि बच्चों में ऑनलाइन  शिक्षण का सकारात्मक प्रभाव कम व नकारात्मक प्रभाव ज्यादा देखने को ज्यादा मिला।

अभिभावक गंगा सिंह चौहान व धीरज नेगी ने स्वीकारा की ऑनलाइन शिक्षण भी आज की जरूरत है, बच्चों को इसके लिए भी तैयार करना होगा। वहीं छात्र-छात्राओं में सुमित सेमवाल, कंचन व अदिति ने अपने विचार रखते हुए कहा कि विद्यालयी शिक्षा का ही बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। दूरस्थ शिक्षा के लिए अभी हमें संसाधनों को जुटाना होगा। संगोष्ठी के समापन पर विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रमोद मालासी ने सभी का आभार व्यक्त किया।