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Tag: Mridula Ghai's poem Aag

मृदुला घई की कविता ‘आग’

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आग धीरे धीरे हौले हौले से दिल में जगह बनाई तुमने प्यार की आग सुलगाई तुमने तड़पा तड़पा के भड़काई तुमने फिर भोले बन के यूँ पूछो अरे ये आग...

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