विश्वप्रसिद्ध भू-बैकुंठ बद्रीनाथ धाम के कपाट शनिवार को शाम 3 बजकर 35 पर विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इसी के साथ वर्ष 2022 की चारधाम यात्रा का समापन भी हो गया है। इस वर्ष बद्रीनाथ धाम में रिकॉर्ड साढ़े 17 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री दर्शन के लिए पहुंचे।
बद्रीनाथ धाम के कपाट के मौके पर मंदिर के सिंहद्वार को लगभग 10 कुंटल गेंदे के फूल मालाओं से भव्य रूप से सजाया गया था। हमेशा की तरह गढ़वाल स्काउट की बैंड की मधुर ध्वनि एवं श्रद्धालुओं की जय बद्री विशाल के जयकारों से पूरा बद्रीनाथ धाम गुंजायमान रहा,तो कपाट बंद होते समय स्थानीय महिलाओं ने पारम्परिक अंदाज में भगवान बद्रीनाथ के गीतों के साथ नृत्य किया। इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान बद्री विशाल के इस वर्ष के अंतिम दर्शन किए।
कपाट बंद होने के बाद कुबेर और उद्धव जी की उत्सव मूर्ति डोली बामणी गांव के लिए रवाना हुई। इस वर्ष लगभह 17 लाख से ऊपर श्रद्धालुओं ने भगवान बद्री विशाल जी के दर्शन किए। इस वर्ष भगवान बद्री नाथ जी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ कर नया रिकॉर्ड बनाया।
कपाट बंद होने के मौके पर ज्योतिर्माठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज रहे उपस्थित
इस वर्ष कपाट बंद होने के मौके पर ज्योतिर्माठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज भी उपस्थित रहे। ज्योतिष पीठ के इतिहास में लंबे समय के बाद पहली बार पीठ के शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपराओं का निर्वहन करते हुए बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज की।
उल्लेखनीय है कि कि 1776 में किन्ही कारणों से ज्योतिष पीठ आचार्य विहीन हो गई थी। उसके बाद से यह परंपरा टूट गई थी। लेकिन स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य पर अभिषिक्त होने के बाद एक बार फिर से आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपरा प्रारंभ हुई है। इसको लेकर सनातन धर्मावलंबियों में खासा उत्साह और खुशी है।