संसार में वास्तविक सुंदरता केवल श्रीराम नाम में ही है

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आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं,ज्योतिष पीठ व्यास पद से अलंकृत

माता जानकी को रावण कह कर चला गया। मास दिवस महुँ कहा न माना।तौ मैं मारबि काढ़ि कृपाना।। यह महत परक चौपाई है। यह तो श्रीराम दूत के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि और विलंब नहीं। लंका की संत यहाँ पर त्रिजटा स्वप्न के माध्यम से आगे का हनुमत चरित बता रही है

माता जानकी को सपने बानर लंका जारी।जातुधान सेना सब मारी।।

ये देखिए रूद्र कार्य की प्रेरणा…वे तो लंका जलाने की सोचे भी नहीं थे।

जब त्रिजटा सीताजी को समझाकर चली गई और प्रभु मायावश सब प्रहरी भी सो गई तब..

कपि करि हृदय बिचार,दीन्हि मुद्रिका डारि तब। जनु अशोक अंगार,दीन्ह हरषि उठि कर गहेऊ।।

माता सीताजी को अत्यंत विरह व्याकुल देखकर हनुमानजी शीघ्रता से हृदय में विचार किए कि अब कोई युक्ति लगाई जाय।अभी माताजी अशोक पेड़ से अग्नि माँग रही हैं,बस उसी समय मुद्रिका गिरा दिए। अब वे अपनी जीवन लीला समाप्त करने के उद्देश्य से अँगूठी को अंगार समझ कर खुशी-खुशी उठा ली। तब देखी..फिर देखती हैं कि ये..मुद्रिका मनोहर…भई ! ये कैसी मुद्रिका है जो विरह व्याकुल सीताजी के मन को हर लिया ? जिनके मन को सोने की लंका न हर सका,

इसे एक मुद्रिका ने हर लिया!!!

मन को हरने का कारण है… मुद्रिका का राम नाम अंकित होना,

हनुमानजी के मन को रावण के अद्वितीय महल न हर सका लेकिन रामायुध अंकित विभीषण के गृह ने हर लिया। अतः यह मुद्रिका मनोहर है क्योंकि-राम नाम अंकित है, भला जिसपर श्री राम जी का नाम लिखा हुआ है वह कैसा रहेगा ?

कहते हैं…”अति सुंदर”…!!!

इस पर राम नाम अंकित है अतः यह “अति सुन्दर” है।

मित्रों! संसार में वास्तविक सुंदरता केवल श्रीराम नाम में ही है

विनिश्चिंतम् वदामि नअन्यथा वचांसि में।