श्रीनगर गढ़वाल-तीन दिवसीय मां गौरा देवी कलश यात्रा का विशाल भंडारे एवं कलश स्थापना के साथ हुआ समापन

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गौरा देवी मंदिर समिति देवलगढ़ और समाज सेवी एवं उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय कोषाध्यक्ष मोहन काला के नेतृत्व में 28 अक्टूबर को सुमाड़ी से शुरू हुई मां गौरा देवी की तीन दिवसीय डोली एवं कलश यात्रा का देवलगढ़ मंदिर में हवन यज्ञ और कलश स्थापना एवं विशाल भंडारे साथ समापन हो गया। समाज सेवी मोहन काला के गांव सुमाड़ी से शुरू हुई यह कलश यात्रा सुमाड़ी से श्रीनगर,कलियासौड़ (मां धारी देवी से भेंट),डुंगरीपंथ, लंग्वालयूबगड़,धारखेला,बुदेसु, खिर्सू सहित विभिन्न पड़ावों से होते हुए 30 अक्टूबर को देवलगढ़ मंदिर पहुंची। जहां हजारों श्रद्धालुओं ने मां की कलश यात्रा का स्वागत किया। जिसके बाद हवन यज्ञ कर कलश की स्थापना की गई।

यात्रा के संयोजक मोहन काला ने बताया कि लगभग 500 साल पहले देवलगढ़ के राजा देवल ने ब्रह्मकमल स्वरूप कलश की स्थापना देवलगढ़ मंदिर में की थी। कई दशकों से इस ब्रह्म कमल स्वरूप कलश की स्थिति जीर्ण-शीर्ण हो गई थी। इस बीच देवलगढ़ मंदिर समिति एवं सुमाड़ी के लोगों ने मुझे से निवेदन किया था कि वैसा ही कलश बनाने की आप जिम्मेदारी लें जैसा राजा देवल ने मां गौरा को भेंट किया था। जिसके बाद हमने प्रयास किया। मां का आशीर्वाद हमारे साथ था तो हमने उसी तरह का कलश निर्मित करवाया जिसे देवलगढ़ मंदिर में स्थापित किया गया।

श्री काला ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य हैं कि मैं धार्मिक पटल पर अपनी माटी,अपनी सांस्कृति विरासत की सेवा कर पा रहा हूं। मैं मां गौरा देवी जी से देश-प्रदेश में सभी की कुशलता के लिए प्रार्थना करता हूं।

आपको बता दें कि अपने प्रथम पड़ाव में यह कलश यात्रा विभिन्न पड़ावों से होते हुएहुलकी खाल पहुँची,जहां प्रथम दिवस विश्राम किया।दूसरे दिन यात्रा हुलकी खाल से कठुलि,चमराड़ा,खंण्डा,श्रीकोट, जमनाखाल,ढिकलगाँव,सरणा होते हुए रात्रि विश्राम के लिए सुमाड़ी पहुँची।

तीसरे और अंतिम दिन यह भव्य कलश यात्रा सुमाड़ी से बुघाणी,सुरालू गांव होकर देवलगढ़ मंदिर पहुंची। जहां भव्य यज्ञ के पश्चात कलश की स्थापना की गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोगों ने कलश के दर्शन कर माता से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लिया। इस मौके पर आयोजित विशाल भंडारे में हजारों की संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।

आपको बता दें कि इस कलश का जीर्णोद्धार समजा सेवी मोहन काला ने लगभग 450 साल बाद कराया हैं। इससे पहले कलश की स्थापना देवल राजा के बाद राजा अजयपाल ने की थी। लेकिन कई दशकों से यह कलश टूटा हुआ था। देवलगढ़ मंदिर समिति ने इस कलश के नवनिर्माण की ज़िम्मेदारी मोहन काला को दी थी। जिसे श्री काला ने सहर्ष स्वीकारा और इस कलश की स्थापना की,जिसके लिए देवलगढ़ मंदिर समिति ने मोहन काला का आभार व्यक्त किया।

समाज सेवी मोहन काला द्वारा नवनिर्मित इस कलश का वजन लगभग 18 किलो है,जबकि पुराने कलश का वजन 4.50 किलो मात्र था। इस अष्ट धातु के बने कलश को बने लगभग 2 वर्ष हो चुके थे। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसकी स्थापना नहीं हो पाई थी।

इस तीन दिवसिया मां गौरा देवी कलश यात्रा में जेपी काला, सुनील, आलोक,खेम सिंह भंडारी,आलोक नवानी,राजेश सिंह भंडारी,गौरव सिलोड़ी,दीपक भंडारी,उपासना भट्ट,प्रिया ठक्कर,अमित काला,मनोज काला,सुखदेव,राजेश काला,प्रेमबल्लभ नैथानी,विमल बहुगुणा,वासुदेव कंडारी,दिनेश असवाल,दिनेश पंवार,बंटी जोशी आदि मौजूद रहे।