उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसोनी ने धामी सरकार पर उत्तराखंड के विकास के पहिए को पूरी तरह से जाम करने का आरोप लगाया है। दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूकेएमआरसी) द्वारा जनवरी 2021 में राज्य सरकार को देहरादून के लिए मेट्रो नियो की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सौंपे हुए लगभग ढाई साल हो गए हैं,लेकिन आज तीन साल बीतने को हैं और इस पर आज तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। आखिर क्यों?
गरिमा मेहरा दसौनी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा की यूकेएमआरसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यदि डीपीआर बनाने के बाद भी किसी परियोजना में कई वर्षों की देरी होती है,तो डीपीआर प्रासंगिकता खो देती है और परियोजना की लागत कई गुना बढ़ जाती है। दसौनी ने कहा की जब परियोजना की घोषणा और डीपीआर तैयार हुई,तो जनता में खुशी की लहर दौड़ गई क्योंकि सड़कों पर जाम की आफत और अव्यवस्था तो आम जन को ही झेलनी पड़ती है और उन्हें उम्मीद थी कि मेट्रो शुरू होने के बाद जाम के झाम से छुटकारा मिलेगा।
गरिमा दसौनी ने बताया की स्थानीय निवासी भी परियोजना के ठंडे बस्ते में जाने से हैरान हैं। जानकारी देते हुए गरिमा ने कहा की यूकेएमआरसी के अधिकारियों के अनुसार पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1662.8 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाते हुए, राज्य सरकार ने केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) को भेज दिया था। मंत्रालय ने पिछले साल मार्च से अगस्त के बीच तीन बार कुछ वित्तीय प्रश्न उठाए। लेकिन पूरी परियोजना ठंडे बस्ते में जाते हुए दिखाई पड़ रही है क्योंकि धामी सरकार की ओर से कोई भी पहल नहीं की जा रही ना ही कोई फॉलोअप किया जा रहा है
दसौनी ने कहा कि पहले मेट्रो ट्रेन के सपने दिखाकर अब जनता ठेंगा दिखाना उनकी भावनाओं को आहत करने वाला है उत्तराखंड की जनता भली-भांति समझ चुकी है कि भारतीय जनता पार्टी का भाषण ही उसका शासन है और धरातल पर विकास शून्य।