उत्तराखंड-तो क्या फिर से त्रिवेंद्र रावत को सौंपी जा सकती हैं उत्तराखंड की बागडोर,बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री से की मुलाकात!

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उत्तराखंड में नया मुख्यमंत्री कौन होगा? इसको लेकर अटकलों का दौर तेज हो चला है। पुष्कर सिंह धामी,प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, डॉ.धनसिंह रावत,गणेश जोशी,दिलीप सिंह रावत,विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल महिलाओं में ऋतु खंडूड़ी और रेखा आर्य समेत कई नाम इसमें शामिल हैं। इन दावेदारों की बीच शनिवार को अचानक पुष्कर सिंह धामी,प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली बुलाया गया है। जिसके बाद से सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर हैं कि क्या उत्तराखंड की बागडोर एक बार फिर से त्रिवेंद्र रावत को सौंपी जा रही है?

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद से मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर संस्पेश बरकार है। इस संस्पेंश के बीच अचानक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली से बुलावा और उनका बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मिलना,सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर लड़ा हो और बीजेपी को राज्य में प्रचंड जीत मिली हो,लेकिन इस चुनाव में राज्य की जनता ने भाजपा के पांच साल के कार्याकाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट किया है। यही वजह भी रही की उत्तराखंड में बीजेपी को 70 में 47 सीटों पर जीत मिली।

उत्तराखंड में बीजेपी की जीत की बात करें तो इसमें त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के चार सालों में किए गए कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। मुख्यमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल 10 मार्च 2021 को खत्म हुआ। अपने चार साल कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई विकास के कार्य किए। चाहे वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में अटल आयुष्मान योजना हो,गरीब जनता को एक रुपये नल से जल की योजना,महिलाओं को पति की पैतृक संपत्ति में सहखातेदार बनाने की योजना हो या फिर मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना। उनके कार्यकाल में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का भी एतिहासिक फैसला लिया गया।

त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी की अंदरुनी राजनीति का शिकार हुए। बीजेपी में ही कई खेमे उनके खिलाफ हो गए थे। मजबूरन केंद्रीय नेतृत्व को उन्हें हटाना पड़ा। त्रिवेंद्र सिंह रावत, जमीनी स्तर के नेता रहे हैं। उनकी संगठन के भीतर मजबूत पकड़ मानी जाती है। ऐसे में बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका दी और उनके कार्यों को जनता के बीच लेकर गई। इसी का नतीजा रहा कि उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी को 70 में 47 सीटों पर प्रचंड जीत मिली

त्रिवेंद्र रावत को एक बार फिर से सत्ता सौंपने की तैयारी

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री पिछले दो दिनों से दिल्ली में है। जहां वह कई केंद्रीय नेताओं से मिल रहे है। शनिवार को उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से मुलाकात की और रविवार सुबह वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले। सूत्रों की माने तो त्रिवेंद्र रावत ने बीजेपी अध्यक्ष और गृह मंत्री से मिलकर उत्तराखंड में चल रहे वर्तमान परिदृश्य को लेकर चर्चा की है।

राजनीति विशेषज्ञों की माने तो केंद्रीय नेतृत्व एक बार फिर उत्तराखंड की बागडोर त्रिवेंद्र सिंह रावत के सौंपने की तैयारी कर रहा है। माना जा रहा हैं कि पुष्कर सिंह धामी के खटीमा से चुनाव हारने के बाद से कई विधायक उनको फिर से मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा है।

माना जा रहा हैं कि 20 मार्च को देहरादून में बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक होगी। जिसमें सभी नवनिर्वाचित विधायकों को मौजूद रहने के निर्देश दिए गए है। इस बैठक में पर्यवेक्षक रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सह पर्यवेक्षक विदेश मंत्री मिनाक्षी लेखी भी मौजूद रहेंगे। इस बैठक में उत्तराखंड के नए सीएम के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम पर आधिकारिक मुहर लग सकती है। लेकिन यह सब अब 20 मार्च को देहरादून में होने वाली विधानमंडल दल की बैठक में पता चल पाएगा।