हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर संचालित करने को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि मेडिकल कॉलेज जनता की कमाई से तैयार हुआ है। लेकिन सरकार ने इस मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर संचालित करने के लिए दे दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार मेडिकल कॉलेज को चलाने में विफल साबित हो रही है। कांग्रेस के इस बयान के बाद भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने हरिद्वार मेडिकल कालेज को पीपीपी मोड मे देने के फैसले को प्रदेश हित में बताते हुए कहा कि इससे न छात्रों के हित प्रभावित हो रहे हैं और लोगों को सरकारी सुविधा अन्य मेडिकल कालेज की भाँति मिल रही है,तो इस पर कांग्रेस का विरोध पूरी तरह राजनैतिक और चिंता नाटक है।
- –गुणवत्तायुक्त चिकित्सा और सरकारी अनुमन्य सुविधा के बाद भी कांग्रेस का प्रलाप राजनैतिक:चौहान।
- –राज्य में खुल रहे मेडिकल कालेज,नये अस्पताल तथा विकास कार्य कांग्रेस की टीस।
-पीपीपी मोड से होगा वित्तीय संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल।
-भर्ती मरीजों को भी आयुष्मान और सीजीएचएस की दरों के अनुसार मिलेगा उपचार।
श्री चौहान ने कहा कि मेडिकल कालेज को लेकर सरकार पहले ही स्थिति स्पष्ट कर चुकी है कि जन हित में यह फैसला लिया गया है। पीपीपी मोड पर संचालन से अध्ययनरत छात्रों की फीस नहीं बढ़ेगी,साथ ही छात्रों को अन्य सभी सुविधाएं सरकारी भी मेडिकल कॉलेज के समान ही मिलती रहेंगी।
पीपीपी की शर्त में स्पष्ट किया गया है कि इससे अध्ययनरत छात्रों की फीस नहीं बढेगी,साथ ही छात्रों को मिलने वाले सभी शैक्षिक प्रमाणपत्र और डिग्रियों पर राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार ही दर्ज रहेगा। इसी तरह भर्ती होने वाले मरीजों को उनके कार्ड के अनुसार आयुष्मान कार्ड या सीजीएचएस की दरों पर ही उपचार दिया जाएगा। इसका मकसद अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं को आधुनिक बनाना है जिससे छात्रों और मरीजों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा कि हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर देना राज्य के वित्तीय संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इससे सरकार पर अकेले वेतन मद में ही प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपए का वित्तीय भार कम होगा। साथ ही प्रति वर्ष ऑपरेशनल व्यय के रूप में भी 50 करोड़ रुपए का बोझ कम होने की उम्मीद है। अस्पताल के साथ भविष्य में बनने में वाले पैरामेडिकल कॉलेज,स्पेशलिटी एंड सुपर स्पेशलिटी सर्विस के विस्तार पर भी करीब 200 करोड़ रुपए का खर्च बचेगा। दूसरी तरफ सेवा प्रदाता द्वारा इसके लिए छह करोड़ रुपए की वन टाइम फीस भी सरकार को दी जाएगी तथा इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष रुपया 2.5 करोड़ राज्य सरकार को प्राप्त होगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस भ्रम की स्थिति उत्पन्न करने की असफल कोशिश कर रही है। भाजपा काल मे स्वास्थ्य क्षेत्र मे कई नये मेडिकल कालेज तथा अस्पताल खुले और कांग्रेस को इसकी टीस भी है। राज्य मे विकास की तमाम योजनाएं धरातल पर उतरी है और कांग्रेस महज विरोध कर ही विपक्ष का धर्म निभा रही है। सकरात्मक कार्यों पर कांग्रेस को सरकार के प्रयासों को सराहना भी चाहिए,क्योंकि महज विरोध की राजनीति के बूते विपक्ष जन मुद्दों का विरोध कर देता है और यह सर्वथा अनुचित है।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार पीपीपी मोड में 11 मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी कर रही है,लेकिन वहां विरोध नही हुआ,क्योंकि कांग्रेस सरकार है। विकास कार्यों को राजनैतिक चश्मे से नही देखा जाना चाहिए।