वरिष्ठ कथाकार प्रो.लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही ने कहा कि डॉ.शोभाराम शर्मा ने अपने कथा साहित्य में स्थानीय मिथकों को नए फलक में प्रस्तुत किया है। यह अपने आप में अनूठा काम है। शुक्रवार को एनआईवीएच सभागार में सेव हिमालय मूवमेंट और संवेदना की ओर से आयोजित विद्यासागर सम्मान समारोह में वरिष्ठ साहित्यका शोभाराम शर्मा को साहित्य व अनिल स्वामी को सामाजिक क्षेत्र में विद्यासागर नौटियाल स्मृति सम्मान-2023 से सम्मानित किया गया।
- डॉ.शोभाराम शर्मा का विषद काम अद्भुत हैःडॉ.प्रभाती नौटियाल
बतौर मुख्य वक्ता बटरोही ने कहा कि हमारा हिंदी समाज बहुत कृतघ्न समाज है जो सिर्फ अपने दायरे में सोचता है। उन्होंने शोभाराम शर्मा की घेड़ गिंडुक की तेरहवी व अपने अपने कव्वा लेख कहानियों का उल्लेख करते हुए उन्हें अपने किस्म की अलग कहानियां बताया। मुख्य अतिथि प्रभाती नौटियाल ने कहा कि चे ग्वेरा पर पुस्तक समेत शोभाराम शर्मा का विषद काम अद्भुत है। अनिल स्वामी को वह बहुत पहले से जानते हैं लेकिन उन्होंने जो काम किया है वह उन्हें अब पता चला है।
उन्होंने विद्यासागर नौटियाल और दोनो सम्मानित जनों को पाब्लो नेरुदा की कविता ‘पेड़ों की बात है’ समर्पित की और लोर्का पत्रिका भेंट की।
डॉ.शोभाराम शर्मा के अधिक वय के कारण उनका वक्तव्य पढ़ते हुए उनके पुत्र अरविंद शेखर ने कहा कि उन्हें खुशी है,क्योंकि यह उस लिखे का सम्मान है जो विषम व्यवस्था के सामाजिक अन्याय की समाप्ति और न्याय संगत आदर्श समाज की आशा में लिखा गया। विद्यासागर नौटियाल भी इसी उम्मीद में लिखते थे।लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रकला ने कहा कि शोभाराम शर्मा जनपक्षधर प्रतिबद्ध लेखक हैं। उनकी कहानियों में दलित महिला चरित्र बहुत सशक्त हैं विद्रोही हैं।
इसके पहले सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश नौडियाल ने शोभाराम शर्मा के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की। इसके पहले कथाकार नवीन नैथानी ने शोभाराम शर्मा और डॉ. अरविंद दरमोड़ा ने अनिल स्वामी को दिए जाने वाले प्रशस्ति पत्र का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए साहित्यकार व संस्कृतिकर्मी विजय गौड़ ने कहा कि शोभाराम शर्मा और विद्यासागर नौटियाल दोनो अपने सामाजिक परिवेश से कहानियां बुनते हैं। शोभाराम शर्मा का रचनाकर्म स्थानिकता के बुनियादी बदलाव की उनकी वैश्विक दृष्टि का दस्तावेज है।
वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा ने अनिल स्वामी के सामाजिक योगदान का विस्तृत परिचय देते हुए कहा कि वह समाज के जल में मछली की मानिंद हैं। सामाजिक क्षेत्र मे विद्यासागर सम्मान से सम्मानित अनिल स्वामी ने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि उनके जीवन की दिशा बदलने में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली और विद्यासागर नौटियाल औऱ पूर्व आईएएस धर्म सिंह रावत का बहुत योगदान है।
उन्होंने कहा कि उनका संदेश है कि किसी से डरो मत,सच और समाज के साथ खड़े रहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कथाकार सुभाष पंत ने कहा संस्मरण सुनाते हुए खुद को विद्यासागर नौटियाल का कर्जदार बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी लेखक समाज की आज जो दशा है उसके लिए विश्वविद्यालय जिम्मेदार हैं जो अपने लेखकों का मूल्यांकन नहीं करते। कार्यक्रम की शुरूआत में अंतरिक्षा घिल्डियाल ने विद्यासागर सम्मान का संक्षिप्त परिचय दिया।
पूनम कैंतुरा ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद देते हुए जगदंबा प्रसाद रतूड़ी ने शोभाराम शर्मा व अनिल स्वामी के साथ अपनी यादें साझा कीं। इस अवसर पर सेव हिमालय मूवमेंट के अध्यक्ष समीर रतूड़ी,पंचशील नौटियाल,साहित्यिक बिरादरी से जितेंद्र भारती,राजेश सकलानी,दिगंबर,संजय कोठियाल,प्रबोध उनियाल,गंभीर सिंह पालनी,समदर्शी बड़थ्वाल,डॉ.राजेश पाल व प्रेम साहिल आदि मौजूद रहे।