आज पूरा देश 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरे होने पर जाबांजों को याद कर रहा है। इस मौके पर राष्ट्रपति कोविंद,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ने देशवासियों को बधाई दी।विजय दिवस के मौके पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली स्थित नैशनल वॉर मेमोरियल पहुंचे हैं। जहां प्रधानमंत्री ने अमर ज्योति से चार स्वर्णिम मशालें जलाईं। इस मौके पर 1971 युद्ध के सैनिक भी यहां मौजूद रहे।
नैशनल वॉर मेमोरियल पहुत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 की जंग के जाबांजों को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ‘विजय ज्योति यात्रा’ को राजधानी दिल्ली से रवाना किया। ‘विजय ज्योति यात्रा’ में चार ‘विजय मशाल’ एक साल की अवधि में पूरे देश के छावनी क्षेत्रों का दौरा करेगी। इनमें 1971 युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेता सैनिकों के गांव भी शामिल हैं जो अगले साल नई दिल्ली में ही पूरी होगी।
विजय दिवस के 50 साल पूरे होने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर स्वर्णिम विजय वर्ष के लोगो का अनावरण किया। इसी के साथ पूरे साल तक चलने वाले स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह की शुरुआत भी हुई।
विजय दिवस भारतीय सेना के शौर्य,पराक्रम और मान को स्थापित करता है
मात्र 13 दिन में भारतीय सैनिकों के साहस व बहादुरी के सामने नतमस्तक होकर पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करना। 1971 का भारत-पाक युद्ध उपमहाद्वीप के इतिहास में एक निर्णायक क्षण था। जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का उदय हुआ। इसने सेना, वायु सेना और नौसेना सहित भारतीय सशस्त्र बलों की प्रगति की स्थापना की। यह युद्ध 3 दिसंबर 1971 को उस समय शुरू हुआ था, जब पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष चल रहा था। यह युद्ध 13 दिन बाद 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना के बिना शर्त आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ। बांग्लादेश आजाद हुआ। तब से इस दिन को भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
‘विजय मशाल’ कहां-कहां जाएगी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 की जंग के जाबांजों को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ‘विजय ज्योति यात्रा’ को राजधानी दिल्ली से रवाना किया। ‘विजय ज्योति यात्रा’ में चार ‘विजय मशाल’ एक साल की अवधि में पूरे देश के छावनी क्षेत्रों का दौरा करेगी। ये मशाल 1971 के युद्ध के लिए वीर चक्र तथा महावीर चक्र विजेताओं के गांवों में भी जाएंगी। इन पदक विजेता वीरों के गांवों तथा जहां अहम लड़ाई लड़ी गई, उन जगहों की मिट्टी नेशनल वार मेमोरियल लाई जाएगी।
‘विजय ज्योति यात्रा’ का मार्ग?
‘विजय ज्योति यात्रा’ दिल्ली से मथुरा होते हुए भरतपुर, अलवर, हिसार,कोटो, जयपुर आदि सैन्य छावनियों और उनके आसपास आने वाले शहरों का भ्रमण करती हुई वापस दिल्ली पहुंचेगी। यात्रा की अवधि एक साल की होगी। यात्रा बांग्लादेश की राजधानी ढाका भी जाएगी।