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फरवरी की पहली तारीख से यहां प्रगति मैदान में शुरू हुए विश्व पुस्तक मेले में मातृभाषा,लोक साहित्य,संस्कृति,इतिहास और भूगोल की पुस्तकों के लिए विनसर पब्लिशिंग कंपनी का स्टॉल प्रवासी उत्तराखण्डियों की पसंद का केंद्र बना हुआ है। आज के डिजिटल दौर में पुस्तकों को खरीद कर पढ़ने का चलन कम जरूर हुआ है किंतु खत्म नहीं हुआ है। विनसर के स्टॉल पर विभिन्न पुस्तकों के बारे में पूछताछ करते पाठक इस बात की तस्दीक करते हैं कि जमाना कैसा भी हो,पुस्तकों का महत्व कभी कम नहीं होगा।
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लोकभाषा,संस्कृति,पहाड़ का भूगोल और इतिहास के साथ संस्कृति के विभिन्न सोपानों पर विनसर पब्लिशिंग कंपनी ने एक बेहतरीन गुलदस्ता सजाया है। स्टॉल पर उत्तराखंड की लोक संस्कृति के ध्वजवाहक नरेंद्र सिंह नेगी के रचना संसार के साथ विभिन्न लेखकों की कृतियां उपलब्ध हैं,जिन पुस्तकों का स्टॉक खत्म हो गया है,उन्हें दोबारा मंगाया जा रहा है। धरती का स्वर्ग उत्तराखंड शीर्षक से प्रकाशित डॉ.रमेश पोखरियाल “निशंक” की श्रृंखला की पुस्तकों के प्रति भी पाठक दिलचस्पी लेते दिखे हैं किंतु सर्वाधिक दिलचस्पी नरेंद्र सिंह नेगी के एक सौ एक गीतों की आईएएस ललित मोहन रयाल द्वारा की गई व्याख्यात्मक पुस्तक में पाठक दिखा रहे हैं और यह पुस्तक हाथोंहाथ बिक रही है। विनसर की ईयर बुक की बढ़ती मांग का आलम यह है कि उसकी पहली खेप ही खत्म हो चुकी है।
इसके अलावा लोक संस्कृति के विभिन्न आयामों पर केंद्रित पुस्तकों का आकर्षण भी खूब है। प्रतीत होता है कि विनसर के अधिष्ठाता कीर्ति नवानी ने प्रवासियों के टेस्ट का खूब ध्यान रखा है,क्योंकि परदेश में रह रहे लोग अपनी जड़ों को तलाशने,उसकी सुध लेने को व्यग्र तो होते ही हैं। उत्तराखंडी साहित्य और संस्कृति की श्रीवृद्धि में निरंतर योगदान देते आ रहे साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी भी लगातार स्टॉल पर उपस्थिति दर्ज करवा कर पाठकों से संवाद भी कर रहे हैं।
वरिष्ठ लेखिका बीना बेंजवाल,डॉ.नन्द किशोर हटवाल,गणेश खुगसाल “गणी”,रमाकांत बेंजवाल आदि अनेक लोग स्टॉल पर जा झुके हैं जबकि प्रो.(डॉ.)डी.आर.पुरोहित के साथ एक संवाद सत्र का आयोजन किया जा रहा है। इस सत्र में साकेत बहुगुणा भी होंगे जबकि संचालन गणेश खुगसाल “गणी”करेंगे। दिल्ली में फरवरी का पहला सप्ताह विधानसभा चुनाव की गहमागहमी में बीत चुका है,इसके बावजूद पाठकों ने पुस्तकों के प्रति जुड़ाव दिखा कर सिद्ध किया कि लिखा हुआ शब्द डिजिटल दौर में भी बेहद प्रासंगिक है।