भगवान बद्री विशाल जी के दर्शन करने वाले देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक अच्छी खबर। बदरीनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को अब यात्रा के दौरान किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि उत्तराखंड सरकार ने 1980 के दशक में शुरू हुए बदरीनाथ हाईवे पर पांडुकेश्वर व बदरीनाथ के बीच लामबगड़ स्लाइड जोन का स्थायी ट्रीटमेंट कर दिया है। जिसके बाद बदरीनाथ आने वाले लाखों श्रद्धालु अब बिना किसी परेशानी के बाबा बद्री विशाल जी के दर्शनों के लिए पहुंच पाएंगे।
बदरीनाथ हाईवे पर पांडुकेश्वर व बदरीनाथ के बीच लामबगड़ स्लाइड जोन बदरीनाथ आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और यहां के आसपास के ग्रामीणों के मन-मस्तिष्क हमेशा डर के रूप में विद्यमान रहता था। जो हल्की बारिश होने पर भरभराकर गिर जाता था। जानकारों के मुताबिक इस स्लाइड जोन की शुरूआत 1980 के दशक में हुई थी। तब से अभी तक इस स्लाइड जोन पर लाखों खर्च होने के बाद भी इस स्लाइड जोन का स्थायी समाधान नहीं हो पाया था।
लेकिन अब उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने इस वर्ष चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले बदरीनाथ आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को लामबगड़ स्लाइड जोन का स्थायी ट्रीटमेंट कर बड़ी सौगात दे दी है। जो डोबराचांटी पुल के बाद त्रिवेन्द्र सरकार के एक और ऐसे प्रोजेक्ट का पूरा होना है। जो बीते ढाई दशकों से अटका हुआ था। बदरीनाथ धाम की यात्रा में नासूर बने ‘लामबगड़ स्लाइड जोन’ का स्थायी ट्रीटमेंट कर लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की इच्छाशक्ति और सख्ती की बदौलत यह प्रोजेक्ट महज दो वर्ष में ही पूरा हो गया। तकरीबन 500 मीटर लम्बे स्लाइड जोन का ट्रीटमेंट 107 करोड़ की लागत से किया गया। अब बदरीनाथधाम की यात्रा निर्बाध हो सकेगी, जिससे तीर्थयात्रियों को परेशानियों से निजात मिलेगी।
लामबगड़ स्लाइड जोन के स्थायी ट्रीटमेंट होने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हमारी सरकार चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए तत्पर है। लामबगङ स्लाईड जोन बदरीनाथ यात्रा में बङी बाधा था। हमने इसके ट्रीटमेंट को ईमानदारी से पूरी कोशिश की। इसका परिणाम सभी के सामने हैं। लगातार प्रभावी मानिटरिंग से वर्षों से अटकी परियोजनाओं को पूरा किया है।
आपको बता दें कि सीमांत जनपद चमोली में 26 साल पहले ऋषिकेश-बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर पाण्डुकेश्वर के पास लामबगड़ में पहाड़ के दरकने से स्लाड जोन बन गया। हल्की सी बारिश में ही पहाड़ से भारी मलवा सड़क पर आ जाने से हर साल बदरीनाथ धाम की यात्रा अक्सर बाधित होने लगी। लगभग 500 मीटर लम्बा यह जोन यात्रा के लिए नासूर बन गया। पिछले ढाई दशकों में इस स्थान पर खासकर बरसात के दिनों मे कई वाहनों के मलवे में दबने के साथ ही कई लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। करोड़ों खर्च होने पर भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था। पूर्व मे जब लामबगड़ में बैराज का निर्माण किया जा रहा था, तब जेपी कंपनी ने इस स्थान सुरंग निर्माण का प्रस्ताव रखा, लेकिन उस वक्त यह सड़क बीआरओ के अधीन थी और बीआरओ ने भी सुरंग बनाने के लिए हामी भर दी थी। दोनों के एस्टीमेट कास्ट मे बड़ा अंतर होने के कारण मामला अधर मे लटक गया था।
इसके बाद वर्ष 2013 की भीषण आपदा में लामबगड स्लाइड जोन में हाईवे का नामोनिशां मिट गया। तब सडक परिवहन मंत्रालय ने लामबगड स्लाइड जोन के स्थाई ट्रीटमेंट की जिम्मेदारी एनएच पीडब्लूडी को दी। एनएच से विदेशी कम्पनी मैकाफेरी नामक कंपनी ने यह कार्य लिया। फॉरेस्ट क्लीयरेंस समेत तमाम अड़चनों की वजह से ट्रीटमेंट का यह काम धीमा पड़ता गया। वर्ष 2017 में त्रिवेन्द्र सरकार के सत्ता में आते ही ये तमाम अड़चनें मिशन मोड में दूर की गईं और दिसम्बर 2018 में प्रोजेक्ट का काम युद्धस्तर पर शुरू हुआ। महज दो वर्ष में अब यह ट्रीटमेंट पूरा हो चुका है। अगले 10 दिन के भीतर इसे जनता के लिए समर्पित कर दिया जाएगा। इसे त्रिवेन्द्र सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है।