उत्तरकाशी में 4 अक्टूबर को सुबह द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी के पास हुए हिमस्खलन प्रशिक्षण के लिए गए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों के दल से जुड़ी खबर निरंतर यहां गए पर्वतारोहियों के परिजनों को मायूस कर रही है। द्रौपदी डांडा-2 में एवलॉन्च हादसे के बाद क्रेवास में फंसे पर्वतारोहियों तक गुरूवार को भी रेस्क्यू टीम नहीं पहुंच पाई है।
गुरूवार को सुबह निम और एसडीआरएफ की रेस्क्यू टीम ने गुरुवार को 13 और शव निकाले है। अब तक कुल संख्या 16 पहुंच गई है। जबकि 15 पर्वतारोहियों को सुरक्षित उत्तरकाशी पहुंचाया गया है। 16 बेस कैम्प में सुरक्षित हैं। गुरूवार को द्रौपदी के डांडा मे फंसे पर्वतारोहियों को बचाने के लिए जम्मू कश्मीर के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग की रेस्क्यू टीम पहुंची है। इस टीम को द्रौपदी डांडा के बेस कैंप क्षेत्र में उतारा गया है। जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही यहां फंसे पर्वतारोहियों तक यह टीम पहुंच जाएगी।
आपको बता दें कि 4 अक्टूबर को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी द्वारा उत्तरकाशी जनपद के डोकरानी बामक हिमनद में संचालित एडवान्स पर्वतारोहण कोर्स के प्रतिभागी द्रौपदी का डांडा-2 (5670 मी.) के आरोहण के समय हिम-स्खलन की चपेट में आ जाने के कारण समुद्र तल से लगभग 5200 मीटर ऊपर हिमनद में स्थित दरारों में फस गये थे।
इस घटना की जानकारी मिलते ही भारतीय वायु सेना,थल सेना एवं भारत तिब्बत सीमा पुलिस का सहयोग लिया गया साथ ही राज्य आपदा प्रतिवादन बल के खोज एवं बचाव दल को प्रभावित क्षेत्र में भेजा गया। खोज एवं बचाव में सहायता हेतु गुलमर्ग स्थित उच्च ऊँचाई युद्ध स्कूल HAWS को भी अनुरोध किया गया।
5 अक्टूबर बुधवार को एस.डी.आर.एफ,आई.टी.बी.पी.एवं एन.आई.एम. के बचाव दल अग्रिम शिविर तक पहुँच गये थे और आधार कैम्प से सुरक्षित बच गये 15 व्यक्तियों को उपचार हेतु मातली,उत्तरकाशी लाया गया।
6 अक्टूबर को हिम-स्खलन से प्रभावित क्षेत्र में खोज एवं बचाव कार्य संचालित किये गये तथा इन कार्यो में सहयोग हेतु एच.ए.वा.स्कूल के बचाव दल को हैलीकाप्टर के माध्यम से प्रभावित क्षेत्र में पहुँचाया गया। विगत दिवस में सुरक्षित निकाले गये व्यक्तियों में से 01 को उपचार हेतु हैलीकाप्टर द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश भेजा गया। इस खोज एवं बचाव कार्यो में लगे व्यक्तियों में एन.आई.एम.-42,आई.टी.बी.पी.-12,एस.डी.आर.एफ.-08,एच.ए.वा.स्कूल- 14, और सेना-12,कुल मिलकार 88 दल शामिल है। इसी के साथ अतिरिक्त सेना के 26 व्यक्तियों का दल खोज एवं बचाव कार्यो में सहयोग हेतु पैदल मार्ग से बेस कैम्प पहुँच गया है।
गुरूवार को किए गये खोज एवं बचाव कार्यो में 12 शवो को बरामद किया गया। इस प्रकार वर्तमान तक घटना से प्रभावित व्यक्तियों में से 16 के शव बरामद किये जा चुके है। इन शवों को बेस कैम्प लाने की कार्यवाही की जा रही है। वर्तमान तक उक्त घटना में प्रभावित व्यक्तियों का विवरण निम्नवत् हैः-कुल व्यक्ति-61,सुरक्षित व्यक्ति- 32,मृत व्यक्ति-16,सुश्री सविता कंसवाल,सुश्री नवमी रावत,अज्ञात-14 और लापता व्यक्तियों की संख्या 13 है। 32 सुरक्षित व्यक्तियों में से एन.आई.एम.के 02 प्रशिक्षको द्वारा खोज एवं बचाव कार्यो में सहयोग किया जा रहा है।
खोज एवं बचाव प्रचालनों के अलावा संचालन हेतु मातली व हर्षिल में ए.टी.एफ. की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है। बचाव दलों के पास आपातकालीन संचार व सुचनाओं के आदान-प्रदान हेतु 03 सैटेलाईट फोन उपलब्ध है। घटना स्थल पर पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेन्डर,दवायें व खाद्य सामग्री उपलब्ध करवायी गयी है व साथ ही आपातकालीन आपूर्ति हेतु मातली में भण्डारण व्यवस्था की गयी है।
खोज एवं बचाव कार्यो में तेजी लाने के लिए सेनानायक, एस.डी.आर.एफ.घटनास्थल के लिये रवाना हो गये हैं। बेस कैम्प में संचालित बेसिक पर्वतारोहण कोर्स के सभी प्रतिभागियों को पैदल मार्ग से सुरक्षित ए.आई.एम.उत्तरकाशी लाया गया है।
इस बीच उत्तरकाशी में मौसम खराब होने के चलते फिलहाल बचाव कार्य रोक दिया गया है। आपको बता दें कि मंगलवार 4 अक्टूबर को उत्तराकाशी में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित द्रौपदी का डांडा-2 चोटी पर हुए एवलांच में 56 ट्रैकर्स फसं गए थे। जिसके बाद से इन्हें बचाने के लिए भारतीय वायुसेना,नेहरू पर्वतारोहण संस्थान,SDRF, NDRF,ITBP,सेना और जम्मू कश्मीर के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग की रेस्क्यू टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है।