अदम्य साहस,मुखरता तथा प्रयोग धर्मिता के लिए जाने जाएंगे सी.डी.एस बिपिन रावत

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उत्तराखंड अपनी शानदार तथा गौरवान्वित करने वाली सैन्य परंपरा के लिए विख्यात है। ब्रिटिश राज में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान (1914 में) बहादुरी के लिए दिए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ सम्मान विक्टोरिया क्रॉस को सबसे पहले प्राप्त करने वाले वीरों की सूची में उत्तराखंड के ही महान सैनिक दरबान सिंह नेगी चंद का नाम भी शामिल है ।अगले ही वर्ष यह सर्वश्रेष्ठ सम्मान चंबा के सैनिक गब्बर सिंह नेगी को मरणोपरांत प्राप्त हुआ। तब से ही लगातार उत्तराखंड की शौर्य गाथा लिखी जा रही है। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में आज डेढ़ लाख से अधिक पूर्व सैनिक अथवा उनकी विध्वाएं निवास कर रही हैं,तो 68 हजार से अधिक नौजवान भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड की सैन्य इस परंपरा का ही प्रतिनिधित्व करते थे। आपके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए, इस कारण सेना के लिए जरूरी बारीकियों को जनरल रावत बचपन से समझते रहे। 16 मार्च 1958 को जन्म लेने वाले जनरल बिपिन रावत बहादुर सैनिक के साथ शानदार स्कॉलर भी थे।  वर्ष 1978 में पांचवी गोरखा राइफल से अपना सैनिक जीवन प्रारंभ करने वाले जनरल बिपिन रावत जहां अपने अदम्य साहस के लिए जाने जाते हैं वहीं सेना में नए प्रयोग तथा जनरल रहते हुए सैनिक मुखरता के लिए भी अधिक जाने जाते हैं। जनरल बनने से पहले बिपिन रावत मणिपुर की सीमा के पास माइन्मार कि सीमा के भीतर आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की कमान करने के कारण सुर्खियों में आए आपकी इस आकर्मकता नेआप को सेनाध्यक्ष बनने में मदद की और 31 दिसंबर 2016 को आप वरिष्ठता क्रम में दो अन्य अधिकारियों से ऊपर आकर सेना अध्यक्ष के पद पर सुशोभित हुए। जहां 31 दिसंबर 2019 तक थल सेना अध्यक्ष रहे 1 जनवरी 2020 से कारगिल कमेटी की संस्तुतियों के आधार पर पहली बार भारत की तीनों सेनाओं में समन्वय स्थापित करने की दृष्टि से सृजित चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद पर तैनात हुए।

जनरल रावत से पहले भारत की सैन्य परंपरा में दो देशों के बीच सैन्य कार्यवाही और रणनीति संबंधित बयान देने की परंपरा सेना अध्यक्ष द्वारा नहीं थी ।लेकिन जनरल रावत ने अपनी आक्रामकता और रणनीतिक मुखरता के कारण लगातार ऐसे वक्तव्य दिए जिन्हें भारतीय सेना के मनोबल बढाने के साथ उसकी रणनीतिक दिशा तय करनेऔर दुश्मन पर दबाव बनाने के तौर पर देखा जाता है ।

यह जनरल रावत ही थे जिन्होंने पहली बार कहा कि हमारा दुश्मन नंबर एक पाकीस्तान नहीं,चीन है। वह कश्मीर पर पाकिस्तान और चीन के उभरते नैक्सस के प्रति लगातार सतर्क और मुखर रहे, पुलवामा की आतंकवादी घटना के बाद पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति भी उनके सैन्य साहस को प्रदर्शित करती है, साथ ही 2017 में कश्मीर में आतंकवादियों के विरुद्ध चलाए गए संयुक्त अभियान ऑपरेशन ऑल आउट भी उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

एक सैन्य अधिकारी के साथ जनरल रावत बहुत व्यावहारिक और लोकप्रिय सैन्य अधिकारी थे,बतौर निर्देशकसेनाध्यक्ष भी वह गढ़वाली तथा अन्य आंचलिक गानों में समारोह के बीच सैनिकों के मध्य थिरकते नजर आते थे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल रावत इन दिनों भारतीय सेना के आधुनिकीकरण में एक अभियान के रूप में जुटे थे , जहां वह सैनिकों की संख्या से अधिक महत्व सैनिकों की तकनीकी क्षमता और आधुनिकीकरण को दे रहे थे लेकिन दुर्भाग्य से

8 दिसंबर 2021 का वह काला दिन आ गया जब भारतीय सेना के प्रथम सीडीएस पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत 13 अन्य सैन्य अधिकारियों के साथ तमिलनाडु में एम.आई-17 हेलीकॉप्टर क्रैश होने के कारण मारे गए यह राष्ट्र तथा उत्तराखंड की एक अपूरणीय क्षति है ।

विनम्र श्रद्धांजली

प्रमोद साह