
राजभवन देहरादू में शनिवार को मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वंडरवेल फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने पैनल चर्चा की। पैनल चर्चा में स्वास्थ्य विशेषज्ञों,मनोवैज्ञानिकों, विधि विशेषज्ञों और वित्तीय परामर्शदाताओं ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य केवल चिकित्सा से जुड़ा विषय नहीं, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र से गहराई से संबंधित है।

इस अवसर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि)मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली,तनाव और प्रतिस्पर्धा के बीच मानसिक शांति बनाए रखना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। यदि मन अस्थिर है तो शरीर भी स्वस्थ नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि आत्मचिंतन और आत्मसंवाद से ही हम अपने भीतर की शक्ति को पहचान सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि हमें छोटी-छोटी बातों में खुश रहना सीखना चाहिए। जीवन की वास्तविक खुशी बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति में नहीं,बल्कि छोटी-छोटी खुशियों के अनुभव में छिपी होती है। उन्होंने कहा कि “वर्तमान क्षण को जीना ही मानसिक संतुलन और खुशी का सबसे बड़ा आधार है। राज्यपाल ने कहा कि हमें जीवन जीने की कला ‘आर्ट ऑफ लिविंग’सीखना जरूरी है। यह केवल ध्यान या योग का अभ्यास नहीं,बल्कि एक जीवन दृष्टि है जिसमें हम हर परिस्थिति में सकारात्मक बने रहना,दूसरों के प्रति सहानुभूति रखना और भीतर की शांति को बनाए रखना सीखते हैं।
राज्यपाल ने वंडरवेल फाउंडेशन की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता,संवेदनशीलता और संवाद की संस्कृति विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस अवसर पर वंडरवेल फाउंडेशन की संस्थापक और मनोचिकित्सक डॉ.याशना बाहरी सिंह ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया। वरिष्ट पत्रकार सतीश शर्मा,डॉ.विपुल कण्डवाल,टी.एस.बिन्द्रा,विरेन्द्र कालरा और दुर्गा वर्मा ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग कर मानसिक स्वास्थ्य के बारे में पैनल चर्चा की।
इस अवसर पर विधि परामर्शी राज्यपाल कौशल किशोर शुक्ल,इन्द्रजीत सिंह नामधारी,सुरजीत कौर,वरुण वासन,रवि बाहरी सहित चिकित्सक,शिक्षाविद,एनजीओ प्रतिनिधि,विद्यार्थी एवं राजभवन के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।