देवस्थानम बोर्ड को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ रावत का बयान कहा,सरकार को देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार करना चाहिए

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत दो दिवसीय चमोली दौरे पर है। भारतीय जनता पार्टी बूथ समिति सत्यापन अभियान के अंतर्गत उन्होंने नन्दप्रयाग और गोपेश्वर में बूथ सत्यापन कार्यक्रम में सहभाग किया। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ता से मुलाकात कर विधान सभा चुनाव की तैयारी का जायजा भी लिया।

इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की,जब पत्रकारों द्वारा गढ़वाल सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से देवस्थानम बोर्ड को लेकर सवाल किया गया था। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के चार धामों के प्रबंधन के लिए बनाए गए देवस्थानम बोर्ड पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। यह तीर्थ पुरोहितों, हक हकूक धारियों और पंडा समाज के अधिकारों और आस्था का विषय है। इसका निश्चित तौर ध्यान रखा जाना चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में मैंने देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुनर्विचार करने और हक हकूक धारियों और पंडा समाज के अधिकारों के संरक्षण के बात की थी। मैं आज भी उस पर कायम हू। उन्होंने कहा कि मैंने कहा था कि हम इस मामले को लेकर तीर्थ पुरोहित समाज के साथ बात करेंगे और कोई बीच का रास्ता निकाला जाएगा।

चार धाम यात्रा को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने कहा कि यह मामला अभी न्यायालय में है। न्यायाल के निर्णय आने के बाद सरकार चार धाम यात्रा को जल्द से जल्द शुरू कर देगी। उन्होंने कहा कि सरकार की चार धाम यात्रा सुचारू करने की पूरी तैयारियां हैं। कोर्ट का निर्णय आने के बाद यात्रा सुचारू कर दी जाएगी।

सुनिए देवस्थानम बोर्ड को लेकर क्या कहा पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने

आपको बता दें कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर उत्तराखंड में तीर्थ पुरोहितों, हक हकूक धारियों और पंडा समाज सरकार लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। इस बोर्ड के गठन से बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री समेत 55 मंदिर सरकारी नियंत्रण में आ गए है। इस फैसले से बीजेपी की खासी किरकिरी भी हो रही है। जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बीजेपी के तमाम नेता तीर्थ पुरोहितों,हक हकूक धारियों और पंडा समाज से बात कर इस ममाले का हल निकालने की बात कर रहे है,लेकिन अभी तक देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई है।