पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिह रावत ने देहरादून में प्राणवायु देने वाले वृक्षों को रोपने का किया आह्वान

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उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक लाख पौधे लगाने के संकल्प को आगे बढाते हुए आज देहरादून में पुनःसभी से इस मुहिम को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पीपल, बट, पिलखन जैसे प्राणवायु दायक पौधे हमें लगाने चाहिये। साथ ही हमें पौधों के संरक्षण का भी संकल्प लेना चाहिये।

यह बात आज पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तेगबहादुर रोड स्थित गार्डन में जनप्रतिनिधियों को पौध वितरण के मौके पर कही। बीती 16 जुलाई को लोकपर्व हरेला के विशेष अवसर पर उन्होंने प्रदेश भर में एक लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया था। उनका यह संकल्प जन सहयोग से लक्ष्य की ओर बढ रहा है। पिछले दिनों अपने गढ़वाल भ्रमण के दौरान भी उन्होंने पौध रोपण के कई सफल कार्यक्रम आयोजित किए।

इन कार्यक्रमों में आम लोगों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। अब तक करीब 60 हजार से ज्यादा पीपल, बरगद और इसी प्रजाति के पौधे अब तक लगाए जा चुके हैं। आने वाले कई सालों तक ये वृक्ष हमें प्राणवायु और छाया देंगे। ये वृक्ष दीर्घजीवी हैं और इनमें हर मौसम को झेलने की सामर्थ्य होती है।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पौध रोपण के काम में सभी को आगे आना होगा। उन्होंने आम जनता से आह्वान किया कि अपने बच्चों के जन्मदिन, शादी की सालगिरह और अपने पुरखों की याद में भी हम पौधा लगा सकते हैं। पौधा लगाने के साथ ही उनका संरक्षण बहुत जरूरी है। 

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हम जितना काम कर पाएंगे उतना ही हम अपने आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित रख पाएंगे। स्थानीाय लोगों, जनप्रतिनिधियों, वन विभाग, पर्यावरण प्रेमियों के सहयोग से प्रदेश में 1 लाख पौध रोपण करने का लक्ष्य जन सहभागिता से आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में उनके पास पर्याप्त मात्रा में पीपल, बरगद और पिलखन आदि के पौधे उपलब्ध हैं, पहाड़ों में भी वृक्ष भेजे गए हैं और उधमसिंह नगर, नैनीताल, हरिद्वार, कोटद्वार आदि जिलों में भी वृक्ष भेजे जा रहे हैं। रुड़की में कोर इस्टीट्यूट से भी पौधों की मांग आई है। उन्हें भी पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने सभी से ‘एक व्यक्ति-एक वृक्ष’ लगाने के लिए आगे आने को कहा।

इस मौके पर कई स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे। पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें भी प्राणवायु प्रदान करने वाले पौधे रोपण के लिए दिए।