Harela Festival 2023:-सामाजिक संस्था धाद का हरेला अभियान होगा स्वागत और सवालों के साथ,प्रदेश के साथ देश में पेड़ लगाए पेड़ बचाये और हिमालयी कृषि के पक्ष में होंगी गतिविधियां

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सामाजिक संस्था धाद ने अपने हरेला अभियान का शुभारम्भ 16 जुलाई को हरेला स्वागत और सवाल के साथ करने का तय किया है। जिसके साथ प्रदेश और देश में धाद के साथी आम समाज में जाकर वृक्षारोपण और हिमालयी उपज के पक्ष में गतिविधि करेंगे। धाद ने आम समाज से हरेला के माह एक पौधा लगाने के साथ अपने आस पास के पेड़ो का ध्यान रखने और हिमालय उपज को आपने जीवन में शामिल करने की अपील की है।

  • हरेला वन के साथ शहरों में और हरेला गाँव के साथ ग्रामीण क्षेत्र में पहल होगी 
  • स्कूल मोहल्ले संस्थान में सभाओं के साथ हरेला की बात की जायेगी

देहरादून में पत्रकार वार्ता को धाद के सचिव तन्मय, हरेला देहरादून की संयोजक अर्चना,ट्रीज ऑफ़ दून के हिमांशु आहूजा,स्मृतिवन की सचिव नीना रावत,कोना कक्षा का के संयोजक गणेश चंद्र उनियालऔर फँची सहकारिता के सचिव किशन सिंह ने सम्बोधित किया।

इस अवसर पर हरेला पर विचार रखते हुए तन्मय ने बताया कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचलों का कृषि पर्व हरेला का स्वागत के साथ एक सवाल सामने है। कि जब पर्वतीय कृषि भूमि निरंतर काम हो रही हो,तब और जब मैदानी क्षेत्रों में बड़े स्तर पर पेड़ों का कटान हो रहा हो तब हरेला कैसे हो धाद इस सवाल के साथ हरेला का स्वागत करने के साथ देश दुनिया में विभिन्न स्थानों पर गतिविधियां करेगी, सामाजिक चेतना के इतर इस वर्ष हरेला वन और हरेला गाँव के साथ दो कार्यक्रम प्रारम्भ किये जा रहे हैं।  

अभियान के देहरादून अध्याय की जानकारी देते हुए संयोजक अर्चना ने बताया की हर वर्ष की तरह धाद हरेला के साथ एक माह तक विभिन्न सामाजिक गतिविधियों का आयोजन करेगी। जिसका शुभारम्भ हरेला मार्च के साथ 16 जुलाई शाम 4 बजे गाँधी पार्क के सामने पिलखन के पेड़ के साथ होगा। जिसमें धाद के साथ समाज के गणमान्य नागरिक भी हिस्सेदारी करेंगे। इसके पश्चात स्कूल,संस्थान मोहल्ले में धाद के साथी सभाएं करेंगे। देहरादून में हर रविवार युवाओं के साथ रन फॉर हरेला,वरिष्ठ नागरिकों के साथ वॉक फॉर हरेला,हरेला गीतों की संध्या के साथ अभियान का समापन घी संग्रांद पर पहाड़ के अन्न और भोजन के साथ होगा। 

ट्रीज ऑफ़ दून के संयोजक हिमांशु आहूजा ने कहा हम धाद की ओर से पौधे रोप कर हरेला मनाते आएं हैं,लेकिन पिछले कुछ सालों से जिस तरह तेजी से फैलते शहर पेड़ों की बलि चढ़ाते आ रहे हैं,उसमें पेड़ लगाने के साथ ही पेड़ों को बचाने का मुहीम भी बेहद जरूरी हो गया है। हरेला में हम ट्रीज ऑफ दून यानी पेड़ देहरादून के मुहिम शुरू की है। जिसमें हम शहर में मौजूद हजारों की संख्या में बड़े पुराने पेड़ों को बचाने और संरक्षित करने की बात करते हैं। साथ ही समाज में पौधे लगाने के साथ वर्तमान पेड़ों के प्रति संवेदनशीलता होने के लिए काम करते हैं 

हरेला वन के बाबत बताते हुए स्मृतिवन की सचिव नीना रावत ने बताया कि हरेला वन यानी न्यूनतम 100 वृक्षो का समूह जिसे समाज के विभिन्न लोग अपने सहयोग से विकसित करेंगे। जिसमे हर सदस्य के द्वारा य उसकी तरफ से हर वर्ष हरेला में एक पौधा रोपित किया जाएगा इसका सफल प्रयोग स्मृतिवन है स्मृतिवन,मालदेवता,देहरादून में उत्तराखंड की श्रेष्ठ विभूतियों के निमित्त पौधरोपण के साथ विकसित किया गया है। जिसमें लोग अपने प्रियजनों की स्मृति में पौधा लगाने के साथ उस वृक्ष की देखभाल सुरक्षा आदि की जिम्मेदारी लेते हैं। इस सामाजिक प्रयोग को एक कदम आगे ले जाते हुए हरेला वन एकांश प्रारंभ कर रहे हैं जिसके अंतर्गत आने वाले समय में पुष्पवन, बालवन, मित्रवन आदि विकसित किये जाएंगे।

हरेला उत्तराखंड के संयोजक गणेश चंद्र उनियाल ने बताया सार्वजनिक शिक्षा से जुड़े स्कूलों के साथ हम एक कोना कक्षा का कार्यक्रम के तहत हरेला मनाते आये हैं। अब सरकारी स्तर पर सभी स्कूलों और संस्थानों में हरेला का आयोजन होता है हम आम समज के सहयोग से 500 से अधिक स्कूलों के 10000 से अधिक बच्चों तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि आने वाली पीढी जागरूक हो और पौधे लगाने के साथ ही उसे पेड़ बनने तक की जिममेदारी ले। साथ ही हमने स्कूलो से इस महीने स्थानीय हिमालयी उपज को भोजन में शामिल करने के लिए भी अपील की है।

हरेला गाँव का परिचय देते हुए फँची सहकारिता के सचिव किशन सिंह ने बताया कि हरेला गाँव का विचार उत्तराखंड हिमालय के गाँव की हरियाली और खुशहाली के निमित्त पहल है। जिसमे धाद ऐसे सभी गाँव के साथ जुड़कर उनकी बेहतरी के लिए काम करने की पहल करेगी। जिसमे स्थानीय निवासियों और प्रवासियों के साथ मिलकर गाँव के उत्पादन तंत्र के विकास और विपणन में सहयोग करेंगे। सहयोग धाद की सहयोगी संस्था फँची सहकारिता के माध्यम से किया जाएगा।

हरेला देश दुनिया के संयोजक दयासागर धस्माना ने कहा कि अब समय आ गया है की हरेला का विचार प्रदेश एक साथ देश दुनिया में फैले क्यूंकि यह उत्तराखंड के समाज को एक वैश्विक पहचान दिलाने की समर्थ्य रखता है। उत्तराखडं की एक बड़ी आबादी जो देश विदेश में रह रही है। वह हरेला के साथ जुड़कर देश दुनिया को एक हरी भरी दुनिया का सन्देश दे सकता है। इसलिए गत वर्षों में धाद द्वारा देश और विदेश में हरेला आयोजन की पहल की गयी है। जिसमे उसे अपनी धरती जहाँ वह रह रहा हैं,वहां पौधा लगाने और पहाड़ की उपज को अपने जीवन व्यवहार में शामिल करने की गतिविधि करनी है।