अल्मोड़ा से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी,बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा राजकीय बालिका इंटर कालेज ज्वालापुर,हरिद्वार में ‘बालसाहित्य और सामाजिक सरोकार’ विषय पर जन सहयोग से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के डॉ. प्रकाश पंत ने कहा कि एक दौर में बच्चे दादा व नानी की कहानियां सुनकर खुश होते थे। ये कहानियां मनोरंजन के साथ ही बच्चों में संस्कार भी जाग्रत करती थी।
संयुक्त परिवारों के विघटन के बाद आज बच्चों को माता-पिता व दादा दादी से प्राकृतिक प्यार नही मिल रहा है। मोबाइल फोन की बढ़ती संस्कृति से बच्चे अब वीडियो गेम में मार-काट व हिंसक खेल सीख रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए ऐसा साहित्य लिखा जाना चाहिए जो उन्हें मानवीय मूल्यों व सामाजिक सरोकारों से जोड़े।
दून विश्वविद्यालय देहरादून के डॉ.हरीशचंद्र अंडोला ने कहा कि बच्चों के लिए लिखते समय हमें बाल मनोविज्ञान को समझते हुए बालसाहित्य लिखना होगा। संस्कृत अकादमी के शोध अधिकारी डॉ.हरिशचंद्र गुरूरानी ने कहा कि पठन पाठन की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए बतौर शिक्षक,साहित्यकार तथा अभिभावक पहले हम बड़े लोग पुस्तकें पढ़ने की आदत बनाएंगे तभी बच्चों से अपेक्षा की जा सकती है।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय छात्रावास के अधीक्षक योगेश्वर सिंह ने कहा कि भारत गांवों का देश हैं। इसलिए जरूरी है कि ग्रामीण क्षेत्र के अपवंचित बच्चों के लिए मनोरंजक एवं प्रेरणादायी बालसाहित्य लिखा जाए। एडवांस मेडिकल सेंटर के डॉ.पंकज पाराशर ने कहा कि बालसाहित्य पर्याप्त मात्रा में लिखा जा रहा है। इसे बच्चों तक पहुंचाना अपने आप में चुनोतीपूर्ण कार्य है।
संस्था की अध्यक्ष मीरा भारद्वाज ने बच्चों के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित बालसाहित्य लिखे जाने की बात कही। संगोष्टी की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार प्रकाशचंद्र पांडे ने कहा कि मोबाइल के आज के दौर में हम सब देश दुनिया के लोगों से जुड़ रहे हैं। परंतु अपने घर में सभी अपने-अपने मोबाइल पर चिपके हैं। घर के लोग घर में रहते हुए भी एक दूसरे से दूरी बनाए हुए हैं।
प्रारंभ में संगोष्ठी के मुख्य आयोजक बालप्रहरी के संपादक एवं बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव उदय किरौला ने बताया कि बालप्रहरी,बालसाहित्य संस्थान एवं नेताजी सुभाषचंद्र बोस छात्रावास लालढांग हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में 8, 9 व 10 जून, 2023 को राष्ट्रीय बालसाहित्य संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन ‘लालढ़ांग, हरिद्वार में किया जा रहा है।
संगोष्ठी में देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 125 बाल साहित्यकार प्रतिभाग करेंगे। संगोष्ठी का संचालन शिक्षक एवं साहित्यकार दिनेश रावत ने किया। संगोष्ठी में पौड़ी से आए शिक्षक एवं साहित्यकार डॉ.महेंद्रसिंह राणा,अजीम प्रेमजी फाउंडेन से सौरभ पांडकर सोनू तिवारी,अशोक कुमार,प्रीति आदि ने भी अपने विचार रखे। संगोष्ठी में बालप्रहरी परिवार से जुड़ी वृंदा,प्राची तथा सपना आदि बच्चों ने भी अपने विचार रखे।