अनामिका अनु की कविताएं

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अनामिका अनु

अनामिका अनु केरल के तिरुवनंतपुरम में रहती है। आपकी कविताएं परिकथा,हंस,कादंबिनी, नया ज्ञानोदय,समकालीन भारतीय साहित्य, वागार्थ,आजकल,बया,मधुमती, माटी,दोआब, नवभारत टाइम्स,दैनिक भास्कर,दैनिक जागरण,प्रभात खबर,राजस्थान पत्रिका,दुनिया इन दिनों,चौथी दुनिया,जानकीपुल,समालोचन, अनुनाद,शब्दांकन,पोषम पा,हिंदीनामा,हिन्दगी आदि पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रहती है। संवाद जाह्नवी के इस मंच पर प्रकाशित है अनामिका अनु की दो ताज़ा कविताएं

डूब रही हूँ

मैं डूब रही हूँ

एक तालाब में

छोटे से तालाब में

जिसके बगल में एक स्कूल है

थोड़ी दूर पर एक मंदिर

न मैं पढ़ी-लिखी हूँ

न धार्मिक

मौत तय है

मुझे तैरना नहीं आता

तैरना जाने बिना

तालाब में कूदना

वह भी उस दिन

जब स्कूल बंद

और मंदिर खुला हो

मौत को हकार देना भर है

मौत को निमंत्रण देना

स्कूल के रहते

दुनिया की सबसे अजीब घटना है।

घर से निकली चिड़ियाँ

शीत से उबर रहा था मौसम

हिमाच्छादित खड़े पहाड़ों

से झाँक रहे हैं प्रस्तर

सुगबुगाती धूप में

दाना चुगती चिड़ियाँ पहुँच

गयी हैं पटरियों पर

रेल से प्रकंपित आज पहाड़ भी

कि पटरियों पर चलती रेलों

के पहियों में खून लगी हैं

घर से निकली

पढ़ी-लिखी

कई चिड़ियों के।