Pravasi Uttarakhandi Sammelan:-पहले सत्र में जल,जमीन,जंगल पर अहम चर्चा,प्रवासी उत्तराखंडियों ने पूछे सवाल,दिए कई सुझाव

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प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का पहला सत्र जल,जंगल,जमीन के संरक्षण की परम आवश्यकता पर केंद्रित रहा। इस मौके पर जोर देते हुए कहा गया कि उत्तराखंड की सबसे बड़ी खूबसूरती जल,जंगल और जमीन से जुड़ी है। जोर देते हुए कहा गया कि जीडीपी तय करते हुए एक पैमाना यह भी होना चाहिए कि संबंधित क्षेत्र की पारिस्थितिकी प्रगति किस तरह की रही है।

  • जीडीपी में पारिस्थितिकी प्रगति भी हो एक पैमाना
  • विकास व पारिस्थितिकी में संतुलन साधने पर जोर


दून विश्वविद्यालय में आयोजित इस सम्मेलन के पहले सत्र में हेस्को संस्था के संस्थापक पदम भूषण डा.अनिल जोशी ने कहा कि देश का कोई कोना हो या विश्व की कोई अन्य जगह,पारिस्थितिकी और विकास के बीच संतुलन की चर्चा केंद्र में है। हिमालयी प्रदेश होने के कारण हमारे यहां तो यह चर्चा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच संतुलन अति आवश्यक है,क्योंकि आज पारिस्थितिकी संकट गहराने लगा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से जीडीपी तय करते वक्त औद्योगिक विकास, रोजगार समेत अन्य पैमानों पर ध्यान दिया जाता है,उसमें पारिस्थितिकी प्रगति का भी मूल्यांकन जरूरी है।


यूएनडीपी के स्टेड हेड प्रदीप मेहता ने कहा कि यह जरूरी है कि हम परंपरागत कृषि करें, लेकिन परिस्थिति और सुविधाओं के अनुरूप उसमें बदलाव किया जाना भी आवश्यक है। वन विभाग के पूर्व पीसीसीएफ और आईआईटी रूड़की की फैकल्टी डा कपिल जोशी ने कहा कि निःसंदेह हिमालयी क्षेत्रों में विकास हुआ है,लेकिन यह समीक्षा होनी भी जरूरी है कि उससे पारिस्थितिकी तंत्र पर कितना असर पड़ा है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में आंकडे़ भी प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि चाहे तापमान हो, बारिश हो या पारिस्थितिकी से जुड़ी अन्य कोई बात, आंकडे़ बता रहे हैं कि उनमें बहुत ज्यादा चरम स्थिति दिख रही है, जो कि ठीक नहीं है।
वन विभाग की पीसीसीएफ और यूकेएफडीसी की एमडी नीना ग्रेवाल ने कहा कि प्राकृतिक संपदा का उतना ही इस्तेमाल जरूरी है,जितने की आवश्यकता है। उन्होंने अपने संबोधन में वनों पर आधारित रोजगार,ईको-टूरिज्म की आवश्यकता पर जोर दिया। एटरो रीसाइक्लिंग प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ नितिन गुप्ता ने कहा कि ई-वेस्ट को रिसाइकल करके हम इस समस्या को अवसर में बदल सकते हैं।


इस सत्र के कोऑर्डिनेटर वन विभाग के पीसीसीएफ डा.एसपी सुबुद्धि ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सरकार के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने प्रवासी उत्तराखंडियों की ओर से उठाए गए सवालों का भी जवाब दिया। प्रवासी उत्तराखंडियों में डा मायाराम उनियाल,रामप्रकाश पैन्यूली,सतीश पांडेय और राजेंद्र सिंह ने सुझाव दिए।

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