फायर सीजन को लेकर राजजी टाइगर रिजर्व तैयार,42 क्रू-स्टेशन अलर्ट मोड पर

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स्वरूप पूरी

उत्तराखंड में 15 फरवरी से फायर सीजन की शुरुआत हो चुकी है। हर वर्ष की तरह इस बार भी आने वाली गर्मियां वन महकमे के लिए चुनौती भरी होंगी। राज्य में मार्च,अप्रैल एवं जून माह में पहाड़ी क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों के जंगलों में लगने वाली आग वन महकमे के लिए बड़ा संकट लाती है। तमाम प्रयासों के बाद भी सुलगते वन जहां हजारों हेक्टेयर जंगलों को राख कर देते है वहीं इन वनों में रहने वाले वन्य जीव भी काल के गाल में समा जाते है। वनाग्नि को रोकने के लिए राज्य वन महकमे ने अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। इसके साथ ही पहाड़ी व मैदानी क्षेत्रों में तैनात वन कर्मियों को भी अलर्ट मोड़ में रहने को कहा गया है।

फाइल फोटो

राजाजी में 42 फायर क्रू स्टेशन के माध्यम से वनाग्नि को किया जाएगा कंट्रोल

मैदानी क्षेत्र में स्थित राजजी टाइगर रिजर्व ने भी अपनी तैयारियो को अंतिम रूप दे दिया है। राजाजी की सभी रेंजों को मिला कर 42 फायर क्रू-स्टेशन बनाये गए है। इस के साथ ही सभी रेंजों को अलर्ट मोड़ में रख फायर लाइन तैयार की जा रही है। वहीं इस बार वन कर्मियों को फायर ब्लोअर जैसे आधुनिक संसाधन भी उपलब्ध करवाए जा रहे है। पार्क की चीला रेन्ज में चार,गोहरी में पांच,रामगढ़ में पांच,कांसरो में तीन,मोतीचूर में चार,हरीद्वार में छः,चीलवाली में चार,बेरिवाडा में चार,धौलखण्ड के तीन व रवासन में चार फायर क्रू स्टेसन तैयार किये गए है।

राजाजी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर ललित टम्टा ने इस बार में बताया की देहरादून में मास्टर कंट्रोल रूम बनाया गया है। सभी 42 क्रू स्टेसनों से प्रतिदिन वनाग्नि को लेकर किये जा रहे कार्यो का ब्यौरा इक्कठा किया जाएगा। इसके साथ ही वायरलैस सिस्टम को भी अपडेट किया गया है। सभी रेंजों को अलर्ट मोड़ में रहने के निर्देश जारी करने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाये जा रहे है।”

चीला एवं गोहरी रेंज के अधिकारी अनिल पैन्यूली ने बताया कि “बाघो की दृष्टि से गोहरी व चीला रेन्ज बेहद अहम है। वनाग्नि के दौरान इनके आशियानों को बचाना बड़ी चुनौती होता है। सभी वन कर्मियों को चप्पे चप्पे पर पैनी नजर रखने के आदेश दिए गए है।”