उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में बहुत जल्द सुनाई देगी रेल की छुक-छुक की आवाज़,त्रिवेंद्र सरकार ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण में तेजी लाने के दिए निर्देश

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उत्तराखंड के लोगों को पहाड़ की वादियों में बहुत जल्द रेल की छुक-छुक की आवाज़ सुनाई देने वाली है। इसी के साथ राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर 2011 को उत्तराखंड वासियों को पहाड़ पर रेल चढ़ाने का जो सपना दिखाया गया था। प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार इस सपने को जल्द से जल्द साकार करने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है। इसी का नतीजा भी हैं कि सरकार की यह कवायद रंग भी लाने लगी है।

ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन जिसका पूरा होने का लक्ष्य 2024 तक रखा गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ रहे है। इसको लेकर श्री रावत ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण में तेजी लाये जाने के लिये कार्यदायी संस्थाओं को उनकी आवश्यकता के अनुरूप आवश्यक सहयोग के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य हित से जुड़ी इस महत्वपूर्ण योजना को निर्धारित समय पर पूर्ण होना जरूरी है। इसके लिये रेल विकास निगम के अधिकारियों के साथ ही रेलवे लाइन निर्माण हेतु विभिन्न पैकेजों में कार्य करने वाली कार्यदायी संस्थाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान पर ध्यान दिया जाय।
मुख्यमंत्री आवास में शासन के उच्चाधिकारियों, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के अधिकारियों एवं कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ परियोजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को उनके क्षेत्र में संचालित परियोजना के कार्यों में आने वाली समस्याओं के निराकरण के निर्देश दिये गये हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के साथ ही चार धाम सड़क परियोजना राज्य के लिये महत्वपूर्ण योजना है। चार धाम यात्रा के साथ ही पर्यटन को इससे बढ़ावा मिलेगा।

 इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के विभिन्न पैकेजों पर कार्य करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों की भी समस्यायें सुनी तथा उनके निराकरण के भी निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन समस्याओं का समाधान जिलाधिकारियों के स्तर पर नहीं हो पा रहा हो उसके लिये शासन स्तर पर शीघ्रता से कार्यवाही की जाय। मुख्यमंत्री ने कार्यदायी संस्थाओं को निर्माण सामग्री की आपूर्ति में हो रही कठिनाई के अविलम्ब निराकरण के भी निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कार्यदायी संस्थाओं से अपेक्षा की कि वे अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने की व्यवस्था करें। उन्होंने परियोजना में उपयोग में लायी जा रही आधुनिक मशीनों के संचालन एवं रख-रखाव आदि की तकनीकि जानकारी के लिये स्थानीय आईटीआई के छात्रों को प्रशिक्षित करने को कहा ताकि उन्हें भी परियोजना के अधीन रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें।


 रेल विकास निगम लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया गया कि वीरभद्र-न्यू ऋषिकेश ब्लॉक सेक्शन का काम पूर्ण हो चुका है। ऋषिकेश में एक आरओबी तथा एक आरयूवी भी तैयार हो चुका है। परियोजना के तहत 17 टनल के कार्यों को 10 पैकेज में बांटा गया है। लछमोली व श्रीनगर में अलकनंदा नदी पर आर.ओ.बी. का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। श्रीनगर, गौचर व सिवाइ में रोड ब्रिज का कार्य भी प्रगति पर है। ऋषिकेश-देवप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2023-24 और देवप्रयाग-कर्णप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2024-25 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रेल विकास निगम लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा यह भी जानकारी दी गई कि उत्तराखण्ड के चारधाम यमुनोत्री, गंगोत्री, श्री केदारनाथ व श्री बद्रीनाथ को रेलवे सेवा से जोड़ने के लिए लगभग 327 किलोमीटर की कुल लम्बाई की 4 रेलवे लाईन अलाईनमेंट पर कार्य किया किया जा रहा है।
बैठक में मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार के.एस पंवार, मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव आर.के.सुधांशु, शैलेश बगौली, विशेष सचिव डॉ.पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन प्रोजेक्ट के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर श्री हिमांशु बडोनी सहित विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।