गैरसैंण के बच्चो ने पारंपरिक वेशभूषा में भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में लोकपर्व फूलदेई मनाया। बुधवार सुबह गैरसैंण के बच्चे भराड़ीसैंण विधानसभा भवन पहुंचे। जहां उन्होंने पारंपरिक लोकगीत के साथ भवन की दहलीज में फूल बिखरे। विधानसभा अध्यक्ष ने बच्चों को गुड़ और टॉफी खिलाकर उन्हें लोकपर्व की बधाई दी।
उत्तराखण्ड के लोक पर्व फूलदेई पर भराड़ीसैंण स्थित विधान सभा भवन में जीवंत हुई लोक संस्कृति।
फूलदेई के अवसर पर क्षेत्र के बच्चों ने पारम्परिक मांगल गीतों के साथ बरसाये रंग-बिरंगे प्राकृतिक पुष्प।
विधान सभा अध्यक्ष के साथ कैबिनेट मंत्रियों एवं विधायकों ने बच्चों से भेंट कर अपनी परम्परा से जुड़ने के लिए किया उत्साहवर्धन।
सभी ने बतायी अपनी समृद्ध लोक संस्कृति एवं परम्पराओं के संवर्द्धन की जरूरत।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा की उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व फूलदेई बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। देवभूमि के बच्चे परंपरानुसार सुबह-सवेरे ही अपने गांव, मोहल्ले के घरों में जा कर उनकी देहरियों पर रंगबिरंगे फूलों को बिखेरते हैं और गीत गाते हुए सुख समृद्धि की मंगलकामना करते हैं। फूलदेई को सीधे तौर पर प्रकृति से जोड़कर मनाया जाता है वहीं अपनी जड़ों से भी जोड़ कर रखने का त्यौहार माना जाता है।
उन्होंने कहा की उत्तराखंड वासियों का प्रकृति प्रेम जगविख्यात है। चाहे पेड़ बचाने के लिए चिपको आंदोलन हो या पेड़ लगाने के लिए मैती आंदोलन या प्रकृति का त्योहार हरेला हो। इसी प्रकार प्रकृति को प्रेम प्रकट करने का त्योहार फूलदेई मनाई जाती है।
चैत्र मास की संक्रांति को आयोजित होने वाले उत्तराखण्ड के लोक पर्व फूलदेई के अवसर पर भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में बड़ी संख्या में क्षेत्र के बच्चों ने पारम्परिक मांगल गीतों के साथ रंग-बिरंगे प्राकृतिक पुष्पों की वर्षा की। बच्चों के साथ विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी,डॉ.धनसिंह रावत,सौरभ बहुगुणा,डॉ.प्रेम चन्द अग्रवाल,विधायक अनिल नौटियाल आदि ने बच्चों से भेंट कर अपनी लोक संस्कृति एवं लोक परम्पराओं से जुड़ने के लिए उनका उत्साह वर्धन किया।
विधान सभा अध्यक्ष के साथ सभी ने इस पावन पर्व की बधाई देते हुए कहा कि हमारे पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने तथा उसके संरक्षण का संदेश देते हैं। अपनी लोक परम्पराओं एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोये रखने की भी जरूरत बतायी।